यह कहानी डोजो की है जिससे घुमना बहुत पसंद है। जगह-जगह घुमने के लिए वो अपने उछलते गुब्बारे की मदद लेता है। यह एक ऐसा गुब्बारा है जिसमे वह घुसकर सैर पर निकल जाता है। इस कहानी के माध्यम से आप अपने बच्चे को दुनिया के 7 अजुबो के बारें में बता सकते है। तो चलिए जानते है डोजो के इस सफर के बारें मे।

एक दिन डोजो को उसके पिता ने एक छोटी सी पुस्तक दि जिसमें दुनियाँ के 7 अजुबों के बारें में बताया गया था। रात भर डोजो उस किताब को पढ़ता रहा और उसने रात को ही सारी किताब खतम कर ली। रात को सोते-सोते उसने विचार किया की क्यों ना इन 7 जगहों की सैर की जाए। अब वह सुबह उठकर अपनी यात्रा की शुरुआत करेगा।

डोजो सुबह जल्दी से उठा और अपने गुब्बारे में हवा भरा। गुब्बारे में हवा भरते ही वह गुब्बारा उड़ने लगा। अब डोजो ने अपने माता-पिता से लिया और अपने यात्रा पे निकल पड़ा।

डोजो ने दुनियाँ का नक्शा निकाला और गुब्बारे को उछालते हुए सबसे पहले मेक्सिको की ओर जा पहुचा। वहाँ डोजो ने जो अजब देखा उसका नाम था चिचेन इत्ज़ा । चिचेन इत्ज़ा में उसे एक पिरामिड दिखा जिससे वह देखता ही रह गया। वहाँ जाकर डोजो को पता चला की ये लगभग 1500 साल पुराना है। डोजो बहुत दूर तक लोगो को वहाँ आते-जाते देखता रहा। अब बारी थी आगे बढ़ने की तो वह फिर से अपना नक्शा निकाला और अपने अगले मंज़िल को निशाना लगाया और वह था पेरू का माचू पिच्चू।
अब डोजो अपने मंजिल की ओर चल पड़ा और वो माचू पिच्चू जा पहुचा। वहाँ पहुचते ही उसने देखा की माचू पिच्चु एक ऊँची चोटी पर स्थित शहर हुआ करता था। इतनी उचाई मे शहर बसा देख डोजो आस्चर्यचकित हो उठा और सोचने लगा की आखिर इनती उचाई में शहर कैसे बसा होगा और वहाँ लोग कैसे रहतें होंगे?

अब बारी थी तीसरे अजुबे की जो है क्राइस्ट दी रिडीमर और यह है ब्राज़ील में । डोजो ने अपना नक्शा निकाला और अपने अगले मांजील तक पहुचने का रास्ता पता लगया। अब वह गुब्बारे में बैठ कूदते हुए अपने अगले मंज़िल की ओर चल पड़ा और देखते-देखते अपने मंज़िल तक जा पहुचा। क्राइस्ट दी रिडीमर को देख डोजो हैरान हो गया। उसने वहाँ देखा की जीसस की लंबी मुर्ति एक पहाड़ की चोटी पुर खड़ी थी। यह देख डोजो हैरान हो गया और सोचा की इतनी लंबी मुर्ति लोगो ने कैसे बनाई होगी और वह भी इतनी ऊचाई पर। अब डोजो ने अपने केमरे से तस्वीर ली और जल्दी ही अपने अगले मंज़िल की और जाने लगा क्योंकि अगला मंज़िल बहुत दूर था।
अब बारी आई मिस्त्र के पिरामिड की जिसे दी ग्रेट पिरामिड ऑफ़ गिज़ा भी कहते है। उसे यहाँ पहुचने में ज़यादा समय लगा क्योंकि यह ब्राज़ील से बहुत दूर है। इन बड़े-बड़े पिरामिड को देख वह उन्हें देखता ही रह गया। उसे यह जानकर हैरानी हुई की यह 3800 साल से भी ज्यादा पुरानी है। डोजो ने इन पिरामिड की ढेर सारी तस्वीरें ली और अपने अगले मंज़िल की ओर चल पड़ा।

कूदते-कूदते वह अपने अगले मंज़िल की ओर जा पहुचा और वो है ताज महल जोकि भारत में स्थित है। सफेद संगमरमर से बने इस विशाल इमरत की सुन्दरता को देख डोजो आकर्षित हो उठा और इसे चारों ओर से देखने लगा ओर ढेर सारी तस्वीरें लेने लगा। उसे वह पता चला कि ताजमहल एक प्यार का प्रतीक है। अब उसका समय बीतता चला जा रहा था और उसे घर जल्दी पहुंचना था| इस वजह से वह जल्दी-जल्दी आगे बढ़ चला। उसने अपने अगले मंज़िल का रास्ता अपने नक्शे में देखा और उसकी ओर चल पड़ा।
अब डोजो कि अगली मंजिल थी चीन की दीवार। चीन की दीवार को लोग बहुत अच्छे से जानते है और कहते हैं कि अंतरिक्ष से इसे देखा जा सकता है। डोजो ने देखा कि यह दीवार बहुत ही लंबी दूरी तक फैला हुआ है और इसे देखकर वह अपने अगले मंजिल की ओर चल पड़ा।
अब उसे जाना था रोम का कोलोसियम यह इडली में बसा ये एक विशाल स्टेडियम है। लेकिन भूकंप से ये थोडा बहुत ध्वस्त हुआ था। डोजो ने इस कोलोसियम को बड़े ध्यान से देखा और इस की ढेर सारी तस्वीरें ली।
अब डोजो का सफर यहां पर खत्म होना था। इसीलिए वह अब सीधे अपने घर की ओर रवाना हो चला। घर पहुंचते ही उसने अपने गुब्बारे को खोला और वहां से बाहर निकल कर बड़ी खुशी से अपनी मां बाबा को अपनी सफर के बारे में बताया। उसने जो तस्वीरें ली थी उसे बारी-बारी करके अपने मां-बाबा को दिखाया और इस तरह से डोजो ने अपनी सारी सफर पूरी की।
तो इस तरह से डोजो ने अपने सफ़र में सात अजूबों को देखा जिसे देखकर वह बहुत ही खुश हुआ। उम्मीद करते हैं कि आपके बच्चे ने भी इस कहानी का आनंद उठाया होगा अगर आपको यह अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी साझा करें और भी कहानियां पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट से जुड़े रहे।
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