Adam and Eve Bible Story In Hindi – यह कहानी ऐडम और ईव की है जोकि बाईबल की सबसे प्रचलित कहानियों मे से एक है। इस कहानी मे हमें जानने का मौका मिलता है की कैसे ईश्वर ने इस सृष्टि का निर्माण किया? और किस तरह से ईश्वर ने मनुष्यों को बनाया।
सृष्टि की रचना से पहले कुछ भी नहीं था। न ये धरती, ना ये आसमान, ना पानी, ना मनुष्य और यहाँ तक रौशनी भी नहीं था। ईश्वर ने इस सृष्टि की रचना बड़ी मेहनत से की है। उन्होंने इस सृष्टि को बहुत ही सुन्दर और सरल बनाया है।

ईश्वर ने इस सृष्टि की रचना 6 दिन में की थी। पहले दिन ईश्वर ने उजाला बनाया और इस से दिन और रात की उत्पत्ति हुई। दूसरे दिन परमेश्वर ने आकाश की रचना की। तीसरे दिन ईश्वर ने पेड़-पत्ते, फूल और सारी तरह की वनस्पति को बनाया। चौथे दिन उन्होंने पानी में रहने वाली मछलियों को बनाया। पाँचवे दिन ईश्वर ने पशु-पक्षी और तरह-तरह के जानवर बनाए। और अंत में छटे दिन ईश्वर ने मनुष्य का निर्माण किया।
ये सारें काम हो जाने के बाद सांतवे दिन ईश्वर ने आराम किया।
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ऐडम और ईव की रचना
ईश्वर ने मनुष्य को मिट्टी से बनाया था। मनुष्य की रचना के बाद ईश्वर ने उनमें जान डाल दी और उस पहले मनुष्य का नाम ऐडम था। जिसे भगवन ने ईडन गार्डन में रखा। ईडन गार्डन बहुत ही सुन्दर था। जहाँ सुन्दर-सुन्दर वृक्ष, सुन्दर-सुन्दर पक्षी आदि मौजूद थे। इस गार्डन में जीवन का वृक्ष भी था और एक भले-बुरे की ज्ञान का वृक्ष भी था। ऐडम को खाने-पीने की चिंता कभी नहीं होती और वह अमर था।

ईश्वर ने ऐडम को गार्डन सँभालने का कार्य दिया। ऐडम ने वही किया जैसा की उसे ईश्वर ने कहा था। ईश्वर ने देखा की ऐडम अकेला है और ऐडम को एक साथी की आवश्यक्ता होती। फिर उन्होंने सोचा की मुझे उसके लिए एक साथी बनाना चाहिए।एक दिन जब ऐडम सो रहा था तब ईश्वर ने उसकी एक पसलि से एक स्त्री की रचना की और उस स्त्री का नाम ईव था। ऐडम की आँख खुली तो उसने अपने पास ईव को देखा।
इसके बाद ईश्वर प्रकट हुए और उन्होनें कहा, “अब तुम दोनों एक साथ रहोगे। तुम दोनों इस गार्डन से जो चाहे वह खा सकते हो। लेकिन, भले-बुरे के ज्ञान के वृक्ष से कभी फल मत खाना। अगर तुम में से किसी ने भी उस वृक्ष से फल खाया तो वह मर जाएगा।”
यह कहकर ईश्वर चले गए।

एडम और ईव का फल को खाना
ऐडम और ईव वहाँ खुशी-खुशी रहने लगे। एक दिन जब ईव गार्डन से फल तोड रही थी की तभी एक साँप आया और उसने ईव से कहा, “क्या ईश्वर ने तुम्हे सारें फल खाने की अनुमती दि है?”
“हाँ, ईश्वर ने हमें सारें फलों को खाने की अनुमती दि है। लेकिन उन्होनें हमें भले-बुरे के पेड़ से फल खाने से मना किया है। अगर हम उस पेड़ के फल खाएंगे तो हम मर जाएंगे।” ईव ने साँप को जवाब देते हुए कहा।
साँप ने कहा, “नहीं, ऐसा बिलकुल भी नहीं है। जो उस पेड़ का फल खाता है वो मरता नहीं बल्कि ईश्वर के समान हो जाता है। उसमे ईश्वर के समान शक्तियाँ आ जाती है।”
साँप की बात सुनकर ईव उस पेड़ के पास जाती है। उस पेड़ के फल बहुत ही स्वादिष्ट दिख रहें थे और उनमें से खुसबू भी अच्छी आ रही थी।

यह सब देख ईव ने उस पेड़ में से एक फल तोड़ा और उसने वह फल खा लिया। ईव ने वह फल ऐडम को भी खिलाया।
उस फल को खाने के बाद ऐडम और ईव को भले-बुरे का ज्ञान होने लगा। इसके बाद अचानक ईश्वर की आवाज़ गुन्जने लगी, “ऐडम! ऐडम! ऐडम और ईव क्या तुम दोनो ने भले-बुरे के पेड़ से फल खाया?”
ऐडम और ईव दोनों ही एक पेड़ के पीछे जा छुपे। पेड़ के पीछे से ऐडम ने कहा, “जी हाँ ईश्वर, लेकिन वह फल मुझे ईव ने खिलाया था।”
फिर ईव बोली, “ईश्वर मुझे वह फल खाने के लिए साँप ने कहा था। इसिलिए मैने वह फल खाया। मुझे माफ कर दीजिए।”
दोनों ऐडम और ईव ने ईश्वर माफी मांगी। लेकिन ईश्वर ने उनके गलतियों की सज़ा ऐडम, ईव और उस साँप तीनों को दि।

ईश्वर की सज़ा
ईश्वर ने ईव को सज़ा दि की वह जब कभी भी बच्चें को जन्म देगी तो उसे खुब पीड़ा होगी। इतनी पीड़ा जिसका अनुभव किसी ने ना किया हो।
ऐडम को सज़ा मिली की उसे अब खाने-पीने के लिए मेहनत करना होगा। वह अबसे अपने लिए अनाज उगाएगा और उसे बिना मेहनत किए कुछ भी नहीं मिलेगा। उन्होनें यह भी कहा की तुम दोनों की मृत्यु भी होगी। तुम मिट्टी से बने थे और मिट्टी में मिल जाओगे।
ईश्वर ने साँप को भी सज़ा दि की वह अबसे ज़मीन मे रेंगेगा। साँप और मनुष्य के बीच हमेश मतभेद होगा। साँप मनुष्य के पैर को काटेंगे और मनुष्य साँप को अपने पैरों से कुचलेगा। इसके बाद ईश्वर ने ऐडम और ईव को ईडेन गार्डन से बाहर निकाल दिया।
तो यह थी ऐडम और ईव की कहानी।
Moral of the Adam and Eve story in Hindi
इस कहानी में हमनें देखा की किस तरह से ईश्वर ने हमें सारी सुख सुविधा दि लेकिन बुरी ताकतों और दूसरों के प्रभाव के चलतें हमनें सब खो दिया। ईश्वर हमेशा हमार भला चाहते है लेकिन हम ही बेवकुफो की तरह गलत काम करके अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर देते है।
हमें हमेशा अच्छे काम करने चाहिए और अगर हमारें मन में कुछ बुरा करने का खयाल भी आए तो हमे ईश्वर को याद करना चाहिए। ईश्वर हमें सही रास्ता जरूर दिखाएँगे।
क्या ईश्वर को ऐडम और ईव को माफ कर देना चाहिए था?
वैसे यह सवाल भिन्न-भिन्न जवाबों की ओर लेकर जाता है। मगर ज़रा सोच कर देखिये। हर एक गल्तियों की सज़ा जरूर होती है। अगर सज़ा पाने का डर ही नहीं होगा तो लोगों का जो मन करेगा वे सब वही करने लगेंगे। इसिलिए गलतियों की सज़ा ज़रुरी है। ईश्वर ने जो भी किया वह बिलकुल सही था।
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Adam and Eve story in Hindi free PDF download
आप चाहे तो इस कहानी को बाद में भी पढ़ सकते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने आपके लिए इस कहानी का पीडीएफ फाइल भी रखा हुआ है। जिसे आप दिए हुए लिंक में क्लिक करके डाउनलोड कर सकते हैं। एडम और ईव की कहानी हिंदी में पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

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