David and Goliath Story in Hindi – बाइबल की यह कहानी लोगों में बहुत ही ज्यादा प्रचलित है। यह सिर्फ और सिर्फ बच्चों को ही नहीं बड़ों को भी बहुत ही ज्यादा प्रेरणा देती है। इस कहानी को पढ़कर हमें पता चलता है कि सिर्फ शरीर बड़ा होने से कुछ नहीं होता और ना हि ज्यादा ताकतवर होने से। फर्क इससे पड़ता है कि हम परेशानी के समय अपने दिमाग का सही तरीके से इस्तेमाल करते हैं या नहीं। परेशानियों को हल करने के लिए दिमाग से सोचना बहुत ज़रुरी है। इस कहानी में भी डेविड ने अपने दिमाग का इस्तेमाल किया और अपनी कला के सहायता से इसराइल की बड़ी समस्या को आसानी से खत्म कर दिया।
डेविड और गोलियथ की कहानी हिन्दी में | David and Goliath Story in Hindi
यह कहानी है इजराइल की है। जहाँ का राजा शाऊल हुआ करता था। राजा शाऊल के इस देश में डेविड नाम का एक गड़रिया रहा करता था। डेविड के 8 भाई थे जिसमें से वह सबसे छोटा था। डेविड गोफन(गुलेल) चलाने में माहिर था। उसके गोफन का निशाना कभी नहीं चुकता था।
Read this story in English – David and Goliath Bible Story in English
शाऊल, इजराइल के राजा फिलिस्तीन पर हमला किया करते लेकिन इस बार फिलिस्तीन ने हमला किया।
एक दिन फिलिस्तीन की सेना इजराइल पर हमला करने के लिए इलाह की घाटी में आ खड़ी हुई। फिलिस्तीन की सेना को देख राजा शाऊल ने निर्णय किया की इजराइल पहले हमला नहीं करेगा क्योकि ऐसा करने से उन्हें नुकसान होगा।
लेकिन दोनों देशो के बीच जंग शुरू हुआ। 40 दिनों तक इजराइल के लोगो ने फिलिस्तीन का सामना किया। फिलिस्तीन के सेना में एक गोलिअथ नाम का एक योद्धा था। जो दिखने में एक दानव की तरह दीखता था। गोलिअथ आम योद्धाओं से बहुत ही लम्बा था और दिखने में एक दानव की तरह दीखता था। वह एक बार में बहुत से इसरायली सेनाओ को मार देता। जिसकी वजह से उससे लड़ने को कोई सामने नहीं आया।
राजा शाऊल और उसके सेनाओ की परेशानियाँ बढ़ते ही जा रही थी क्योकि गोलिअथ से मुकाबला करने के लिए उनकी सेना में कोई भी नहीं था।
एक दिन डेविड के पिताजी ने उसे युद्ध के मैदान में भेजा ताकि वह वहाँ जाकर अपने भाइयो की खबर ला सके। डेविड युद्ध के मैदान में पंहुचा तो वहाँ उसने देखा की गोलिअथ सबको ऊंची-ऊंची आवाज़ में ललकार रहा था।
गोलिअथ कह रहा था, “जिसे मुझसे लड़ना है वह मेरे सामने आए, अगर मैं जीता तो तुम मेरे गुलाम बनोगे और अगर मैं हारा तो हम सब तुम्हारें गुलाम बनेंगे।”
डेविड ने गोलिअथ की सारी बातें सुनी और उसने निर्णय लिया की वह गोलिअथ से लड़ाई करेगा। लेकिन युद्ध में लड़ने के लिए उसे राजा के आज्ञा की ज़रूरत होगी इसलिए डेविड राजा शाऊल के पास पंहुचा ताकि वह राजा से लड़ाई की इजाज़त ले सके।
राजा और डेविड
डेविड ने राजा से कहा, “राजा मैं युद्ध के मैदान से आ रहा हूँ। मैंने देखा की गोलिअथ हमें चुनौती दे रहा है और मैं उसकी इस चुनौती को स्वीकार करना चाहता हु। आप मुझे आज्ञा दें की मैं उससे लड़ सकू। “
राजा ने डेविड की बातों को सुना और कहा, “डेविड क्या तुमने गोलिअथ को देखा है ? तुम गोलिअथ का शरीर देखो और अपना शरीर देखो। तुम उससे नहीं लड़ सकते वह तुम्हें एक बार में ही ख़तम कर देगा। डेविड, तुम अभी बहुत छोटे हो इसलिए मैं तुम्हें लड़ने की अनुमति नहीं दे सकता।”
डेविड ने फिर से आज्ञा मांगने की कोशिश की, “आप इस बात की चिंता ना करें की कौन छोटा है या कौन बड़ा है। बस आप मुझे गोलिअथ से लड़ने की आज्ञा दे। “
राजा ने फिर सवाल पूछा, “अच्छा तुम उससे कैसे लड़ोगे तुमने तो कभी युद्ध नहीं किया है?”
डेविड ने जवाब देते हुए कहा, “हार और जीत ये सुब मैं अपने ईश्वर पर छोड़ देता हूँ। जब मैं जंगल में भेड़ चराने जाता हूँ तब ईश्वर ही शेर और जंगली जानवरों से मेरी रक्षा करते है। ईश्वर ही है जो मुझे शैतान से बचाएगा और गोलिअथ से लड़ने में मेरी मदद करेगा। “
डेविड की बातों और ईश्वर के प्रति उसकी आस्था को देखकर राजा ने डेविड को युद्ध में जाने की अनुमति दे दीं और कहा, “ठीक है तुम गोलिअथ से लड़ सकते हो लेकिन तुम्हें युद्ध के मैदान में जाने से पहले अपनी सुरक्षा के लिए कवच पहनना होगा। तुम्हें मेरी बात माननी ही होगी नहीं तो मैं इजाज़त नहीं दे सकता। “
उसने ने राजा से कहा की उसे कवच पहनने की आदत नहीं है और वह इसका भार नहीं संभाल सकता इसलिए वह यह नहीं पहन सकता। डेविड ने कहा, “मेरा ईश्वर ही मेरी रक्षा करेगा और मुझे लड़ने की ताकत देगा वही है मेरा सच्चा रक्षक। “
इसके बाद डेविड ने अपना गोफन निकाला और राजा से कहा, “यह है मेरा हथियार और ईश्वर ने मुझे इसे चलाने का हुनर भी दिया है। हे राजा आप चिंता ना करें और मुझे युद्ध में जाने की अनुमति दें। “
अब राजा शाऊल ने डेविड को जंग में जाने की अनुमति दे दी। इसके बाद डेविड युद्ध के मैदान की ओर बढ़ने लगा। रास्ते में उसने गोफन के लिए 5 पत्थर उठा लिए।
डेविड और गोलियथ का आमना-सामना
वह युद्ध के मैदान में पंहुचा और गोलिअथ के सामने जा खड़ा हुआ और कहा, “यहाँ नीचे देखों गोलिअथ , मैं तुमसे युद्ध करूँगा। ईश्वर के आशीर्वाद से और उनकी दी हुई शक्ति से मैं तुम्हारा खात्मा करूँगा। “
डेविड को देख गोलिअथ उसका मज़ाक उडाने लगा, “हे पिद्दी से लड़के तू क्या मुझसे लड़ाई करेगा? मैं बड़ी आसानी से तुम्हें अपने पैरो से कुचल दूंगा। तुम सब मिलकर मेरा अपमान कर रहे हो। मुझ जैसे महान योद्धा से लड़ने के लिए तुमने एक मामूली से बच्चे को भेज दिया। “

सबकी नज़र डेविड पर थी क्योकि डेविड ईश्वर के विश्वास के साथ युद्ध करने गया था। युद्ध के मैदान में डेविड ने सबसे कहा, “भले ही गोलिअथ के पास बड़े-बड़े हथियार हो लेकिन मेरे साथ परम पिता परमेश्वर है। वही मेरी रक्षा करेंगे और गोलिअथ से लड़ने में मेरा साथ देंगे। युद्ध सिर्फ तलवार से नहीं जीती जाती। युद्ध ईश्वर के आशीर्वाद से जीती जाती है। “
“आज मैं तुम्हें मार कर रहूँगा और लोग सब देखेंगे की किस तरह से ईश्वर अपने चाहने वालों की रक्षा करते है?” डेविड ने गोलिअथ से कहा।

इसके तुरंत बाद गोलिअथ डेविड की ओर बढ़ने लगा। गोलिअथ को सामने आता देख डेविड ने एक पत्थर निकाला और उसे अपने गोफन में फसाया। डेविड ने गोफन को बड़ी तेज़ी से घुमाया और पत्थर को गोलिअथ की ओर छोड़ दिया।
गोफन से निकला हुआ पत्थर सीधा गोलिअथ के सर पर लगा और वह सीधे नीचे गिर पड़ा। डेविड ने गोलिअथ की तलवार निकली और उससे गोलिअथ का गला काट दिया।
गोलिअथ के मरते ही फिलिस्तीन की सेना भागने लगी और इजराइल ने जंग जीत ली। युद्ध के बाद डेविड ने ईश्वर से शुक्रिया कहा, “हे परम पिता परमेश्वर आपका शुक्रिया जो आपने मुझे अपने आशीष में लिया और मेरी रक्षा की। आप ही हमारे सच्चे पिता हो। “
तो यह थी डेविड और गोलिअथ की कहानी हिन्दी में।
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हमें डेविड और गोलिअथ की कहानी से क्या सिख मिलती है ?
यह कहानी हमें बहुत ही महत्वपूर्ण बात सिखाती है की हमें अपने ईश्वर से प्रेम करना चाहिए। इस कहानी में डेविड ईश्वर से प्रेम करता और उनपर भरोसा करता। उसके साथ जो भी अच्छा होता उसका कारण वह ईश्वर को ही मानता। डेविड गोफन चलाने में माहिर था लेकिन वह मानता था की यह ईश्वर की देन है। यह हुनर उसे ईश्वर ने दिया दिया है।
डेविड मानता था की जंगल के शेरों और जंगली जानवरो से ईश्वर उसकी रक्षा करते है। ईश्वर ही है जो उसे मुसीबतों से बचते है। ईश्वर पर भरोसा करने वालो हर एक मुसीबतों का सामना करता है और उसे जीत हासिल होती है। युद्ध में डेविड ने ईश्वर से सहायता मांगी और ईश्वर ने उसकी मदद की।
इसीलिए हमें भी बिना किसी संदेह के अपने ईश्वर पर भरोसा करना चाहिए और उनसे प्रार्थना करनी चाहिए जैसे डेविड किया करता था।
हमें ईश्वर पर भरोसा करना चाहिए और उनपर संदेह नहीं करना चाहिए। ईश्वर जो भी करते है वह सबके भले के लिए करते है।
हमें हमेशा ईश्वर से प्रार्था करनी चाहिए। ईश्वर से की गई प्रार्थना कभी खली नहीं जाती। डेविड ने भी ईश्वर से प्रार्थना की थी।
डेविड और गोलियथ की कहानी से कुछ प्रश्न
राजा शाऊल के इस देश इजराइल में डेविड नाम का एक गड़रिया रहा करता था। डेविड के 8 भाई थे जिसमें से वह सबसे छोटा था। डेविड गोफन(गुलेल) चलाने में माहिर था। उसके गोफन का निशाना कभी नहीं चुकता था।
गोलियथ फिलिस्तीन देश का सिपाही था वह फिलिस्तीन में रहता था।
फिलिस्तीन के सेना में एक गोलिअथ नाम का एक योद्धा था। जो दिखने में एक दानव की तरह दीखता था। गोलिअथ आम योद्धाओं से बहुत ही लम्बा था और दिखने में एक दानव की तरह दीखता था। वह एक बार में बहुत से इसरायली सेनाओ को मार देता। जिसकी वजह से उससे लड़ने को कोई सामने नहीं आया।
गोलिअथ को सामने आता देख डेविड ने एक पत्थर निकाला और उसे अपने गोफन में फसाया। डेविड ने गोफन को बड़ी तेज़ी से घुमाया और पत्थर को गोलिअथ की ओर छोड़ दिया। गोफन से निकला हुआ पत्थर सीधा गोलिअथ के सर पर लगा और वह सीधे नीचे गिर पड़ा। डेविड ने गोलिअथ की तलवार निकली और उससे गोलिअथ का गला काट दिया।
यह कहानी हमें बहुत ही महत्वपूर्ण बात सिखाती है की हमें अपने ईश्वर से प्रेम करना चाहिए। इस कहानी में डेविड ईश्वर से प्रेम करता और उनपर भरोसा करता। उसके साथ जो भी अच्छा होता उसका कारण वह ईश्वर को ही मानता। डेविड गोफन चलाने में माहिर था लेकिन वह मानता था की यह ईश्वर की देन है। यह हुनर उसे ईश्वर ने दिया दिया है।
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