दुष्ट काजी कहानी – The Wicked Kazi Story in Hindi. यह कहानी एक किसान की है जिसका नाम सैफ अली था। वह आगरा में रहा करता था। कुछ ही महीनों पहले उसकी पत्नी का देहांत हुआ था जिसकी वजह से वह उदास रहने लगा। वह दिन भर उदास और निराश होकर भटकता रहता था। सैफ अली ठीक से खेती करना भी बंद कर चुका था।
एक दिन जब वह निराश होकर रास्ते से गुजर रहा था तो उसे एक काजी ने कहा, “क्या बात है सैफ अली? मैं तुम्हें कुछ दिनों से देख रहा हूं कि तुम बहुत उदास रहने लगे हो। मैं जानता हूं कि तुम्हारी पत्नी का देहांत हुआ है लेकिन अभी भी तुम्हारी जिंदगी बाकी है। तुम्हें अपना जीवन तो चलाना पड़ेगा ना।”
काजी की बातों को सुनकर वह निराश किसान बोला, “मैं जानता हूं काजी सहाब लेकिन मैं क्या करूं? जबसे मेरी पत्नी का देहांत हुआ है तब से मैं बहुत निराश हूं। उसके जाने के बाद मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता। ऐसा लगता है मानो मेरी भी जिंदगी खत्म हो गई है।
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यह सुनते ही गाजी ने उससे कहा, “तुम एक काम करो। तुम अजमेर जाओ और वहां जाकर ख्वाजा के दरबार हो आओ। वहां जाकर तुम्हें अपने जीवन का नया दिशा मिल जाएगा।” सैफ अली को काजी की बात अच्छी लगी और अब वह अजमेर जाना चाहता था। सबसे पहले वह अपने घर गया और अपने सामान को इकट्ठा करके एक जगह रख दिया। उसने अपने जीवन भर कमाया हुआ धन भी इकट्ठा करके एक थैले में रख दिया। इसके बाद वह सोचने लगा कि वह इतना सारा धन अपने साथ नहीं ले जा सकता इसीलिए सैफ अली चाहता था कि वह इसे किसी के पास सही सलामत रख दे।
ऐसे में उसने काजी के बारे में सोचा और वह उनके पास चला गया। वह काजी के पास जाकर बोला, “हुजूर मैं चाहता हूं कि आप मेरे धन की रखवाली करें और फिर जब मैं अजमेर से वापस आऊंगा तो इसे आपके पास से ले जाऊंगा।”
“ठीक है, तुम इस थैली को अच्छे से बांध दो और इस पर मुहर लगा दो ताकि तुम जब इसे आकर देखो तो यह तुम्हें सही सलामत मिल जाए।” काजी ने सैफ अली से कहा।
इसके बाद काजी अंदर से अपना मुंह ले आया और फिर सैफ अली ने अपने थैले पर अच्छे से रस्सी बांधी और उसपर मुहर लगा दिया। यह करने के बाद थैले को एक सुरक्षित जगह पर रख दिया।
अब सैफ अली निश्चिंत होकर अजमेर के लिए रवाना हो गया। अजमेर जाकर सैफ अली बहुत खुश हुआ। उसे अपने जीवन का नया मकसद मिल गया। अब वह गरीब बच्चों को पढ़ाना चाहता था और उनकी सेवा करना चाहता था। अजमेर से लौटते ही वह सीधे काजी के पास गया और उसे अपना धन का थैला मांगा। काजी ने सैफ अली को धन का थैला दिया और फिर सैफ अली अपने घर लौट गया।
घर लौटते ही उसने अपना थैला खोलकर देखा तो उस थैले में सोने के सिक्कों की जगह पत्थर रखे हुए थे। यह देखते ही सैफ अली अचंभित हो गया और वह सीधे काजी के पास पहुंच गया और उसे बोला, “हुजूर मेरे इस थैले पर सिर्फ और सिर्फ पत्थर है। लेकिन मैंने आपको इसमें सोने के सिक्के रख कर दिए थे।”
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यह सुनते ही काजी सैफ अली से बोला, “यह मैं नहीं जानता। तुमने मुझे इतना थैला दिया था मैंने इसे सुरक्षित रख दिया। क्या तुमने मुझे थैला खोल कर दिखाया था कि इसके अंदर क्या है?” यह कहकर काजी ने सैफ अली को वहां से भगा दिया।
सैफ अली बहुत परेशान हुआ क्योंकि उसके जीवन भर की कमाई उसके पास अब नहीं थी परेशान होकर वह सीधे बादशाह अकबर के दरबार में गया और वहां जाकर उन्हें सारी बात बताई। सैफ अली ने बादशाह अकबर को वह थैला भी दिखाया जिस पर पहले सोना रखा हुआ था लेकिन अब उसमें पत्थर था। ऐसे में बादशाह अकबर ने यह कार्य बीरबल को सौंप दिया और उसे कहा कि वह सच का पता लगाएं।
सभा खत्म होते ही बिरबल अपने घर पहुंचे और उन्होंने एक कपड़ा लिया और उसे बीच से काट दिया। फटे हुए कपड़े को लेकर वह अपने सेवक राम के पास गए और उसे बोले, “सेवक राम यह कपड़ा बीच से फटा हुआ है। जाओ इसे रफू करवा कर लाओ। तुम इसे किसी ऐसे दर्जी के पास लेकर जाना जो सबसे बेहतर हो। याद रहे तुम्हें इसकी सिलाई ऐसी करवानी है कि पता ही ना चले कि यह कपड़ा फटा हुआ था।”
इसके बाद बीरबल का सेवक कपड़े को लेकर बाजार में गया और कुछ घंटों बाद वापस आया। बीरबल को उसने फटा हुआ कपड़ा दिखाया जो अब पूरी तरह से सिला हुआ था। अब उस कपड़े में कोई निशान नहीं था। फिर बीरबल ने अपने सेवक से पूछा, “सेवक राम तुमने यह काम किस दर्जी से करवाया है? मुझे उसका पता बताओ।”
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फिर सेवक ने बीरबल को उस दर्जी का पता बताया। अगले दिन बीरबल दरबार में पहुंचे तब बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल क्या तुमने सैफ अली और काजी का सच पता लगा लिया है?”
“जी हां हुजूर मैंने दोनों का सच पता लगा लिया है। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप सैफ अली और उस काजी को इस दरबार में बुलाने का आदेश दे।” बीरबल के कहने के बाद बादशाह अकबर ने दोनों को बुलाने का आदेश दिया।

जब वे दोनों दरबार में पधारे तब बीरबल ने मोहन दर्जी को बुलाया और उससे कहा, “दर्जी क्या तुम्हारे पास काजी कोई थैला लेकर आए थे जिसका तुमने रफू किया था?
“जी हां हुजूर मेरे पास यह काजी आए थे और कुछ दिन पहले इन्होंने एक पैसे के थैले को मुझसे रफू करवाया था।” उस दर्जी ने दरबार में कहां।
“जहांपना दोषी कोई और नहीं यह काशी ही है जिसने सैफ अली के पैसों के थैले को काटकर उसमें से सारा सोना निकाल लिया। फिर उस थैले को इस दर्जी से रफू करवा लिया। इसने चालाकी से उस थैले पर पत्थर रख दिया।” बीरबल ने बादशाह अकबर को सच बताया।
सच के सामने आते ही काजी बादशाह से माफी मांगने लगा। लेकिन बादशाह अकबर ने उसकी एक ना सुनी। उसे जेल में बंद कर दिया गया। बादशाह अकबर ने सैफ अली का खोया हुआ धन भी वापस दिलवाया। तो इस तरह से बीरबल ने सच का पता लगाया। दुष्ट काजी कहानी – The Wicked Kazi Story in Hindi.
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