एक शेर मांस – A Pound Of Flesh Story in Hindi. यह कहानी उस समय की है जब आगरा में बादशाह अकबर रहा करते थे। उस समय आगरा में दो महाजन थे जो लोगों को पैसे देकर उस पर ब्याज लिया करते। उनमें से एक का नाम था नेकीराम जो लोगों को पैसे देकर उनसे ब्याज लिया करता था लेकिन वह दूसरों के साथ बेईमानी नहीं करता था और वह सस्ते दरों में उन्हें ब्याज देता था। वहीं दूसरी तरफ दूसरा महाजन बलीराम था। वह लोगों के साथ बेईमानी करता और जरूरतमंद लोगों को ज्यादा दरों में ब्याज देकर उन्हें लूटा करता था। जो भी उससे ब्याज में पैसे लेकर जाता था वह सारी जिंदगी उसका ब्याज चुकाने में ही बीता देता था।

एक दिन नेकीराम के पास उसका एक दोस्त आया जिसका नाम कमल था। वह बड़ा परेशान लग रहा था। जैसे ही वह अपने दोस्त नेकीराम के पास आया उससे बोला, “दोस्त, मुझे 500 सोने की अशर्फियां चाहिए। मुझे अभी इसकी बहुत जरूरत है क्या तुम मुझे यह दे सकते हो?”

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अपने दोस्त कमल को परेशान देखकर नेकीराम ने उसकी मदद करने की सोची वह उसे बोला, “कमल मेरे पास अभी इतने सोने की अशर्फियां नहीं है। लेकिन मैं तुम्हें 300 अशर्फियां अभी तुरंत दे सकता हूं और बाकी के दो सौ अशर्फियां मैं पास के बलीराम से लेकर तुम्हें दिलवा देता हूं।” इसके बाद नेकीराम बलिराम के पास गया और उससे 200 सोने की अशर्फियां मांगा। ऐसे में बलिराम उसे 200 सोने की अशरफिया देने को तैयार हो गया लेकिन उसने नेकीराम के सामने दो शर्तें रखी। बलीराम नेकीराम से बोला, “मैं तुम्हें यह अशरफिया दे देता हूं लेकिन मेरी दो शर्ते है। पहली शर्त यह है कि तुम्हें इन 200 सोने की अशर्फियो के साथ 50 सोने की अशर्फियां ब्याज में देना होगा। दूसरी शर्त यह है कि अगर तुम समय पर मुझे यह रकम नहीं लौटा पाए तो तुम्हें अपने शरीर का एक शेर मांस काट कर देना होगा।”

बलिराम की इस शर्त को सुनकर नेकी राम चौक गया लेकिन मजबूरी के चलते उसने इन दो शर्तों को मान लिया। सोने की अशर्फियां को लेकर वह अपने दोस्त के पास गया और उसे कुल 500 सोने की अशर्फियां दी। अशरफिया देते समय उसने अपने दोस्त से कहा, “दोस्त मुझे यह समय पर लौटा देना नहीं तो मेरी जान मुसीबत में आ सकती है।” यह सुनकर नेकीराम के दोस्त कमल ने उससे कहा, “नेकीराम तुम मेरे अच्छे दोस्त हो और मैं तुम्हारी जान को खतरे में नहीं डालूंगा। मैं समय पर आकर तुम्हारे पैसे दे जाऊंगा।” यह कहकर कमल वहां से चला गया।

देखते ही देखते 6 महीने बीत गया और 6 महीनो के बाद समय आ चुका था कि नेकीराम को 200 सोने की अशर्फियां वापस लौटानी थी। ऐसे में बलिराम सीधा नेकीराम के पास पहुंच गया और उससे 200 सोने की अशर्फियां मांगने लगा। फिर नेकी राम ने उससे कहा, “हां बस मैं तुम्हें तुम्हारे सोने की अशर्फियां लौटाने वाला हूं। दरअसल बात यह है कि मेरा दोस्त अभी तक लौटा नहीं है। उसे आ जाने दो फिर मैं आप को आपकी रकम वापस कर दूंगा। आप मुझे शाम तक का समय दें।”

यह सुनकर बलीराम वहां से चला गया और वह शाम होने का इंतजार करने लगा। समय बीत गया और शाम होते ही बलिराम फिर से नेकीराम के पास और उससे बोला, “तुम्हारा समय पूरा हुआ। तुमने अभी तक मेरे पैसे नहीं लौटाए हैं। अब तुम्हें वादे के मुताबिक अपने शरीर का एक शेर मांस देना होगा।”

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जब वे दोनों बात कर रहे थे तो आसपास भीड़ इकट्ठी होनी शुरू हो गई। बलीराम अपने बात पर अड़ चुका था कि वह नेकीराम के शरीर से एक शेर मांस निकलेगा लेकिन नेकीराम उसे बार-बार विनती कर रहा था, “मेरा दोस्त कमल आता ही होगा। शायद उसे कुछ मजबूरी आ गई होगी। इस वजह से वह अभी तक नहीं पहुंचा है। तुम मुझे एक-दो दिन की मोहलत दे दो। मैं तुम्हें तुम्हारे पैसे लौटा दूंगा।”

नेकीराम के विनती करने पर भी बलीराम नहीं सुन रहा था। वह अपने म्यान से तलवार निकाला कि तभी एक सिपाही भीड़ को देखता हुआ वहां पहुंचा और उन सब से पूछा कि यहां क्या हो रहा है? तभी बलिराम ने उसे सारी बात बताई। बात को गर्माता देख सिपाही ने निर्णय लिया कि वह इस समस्या को बादशाह के दरबार में लेकर जाएगा और सही से इसका फैसला करवाएगा।

सैनिक दोनों को लेकर दरबार में पहुंचा और फिर सैनिक ने बादशाह को सारी बात बताई। बादशाह अकबर ने सारी बातें सुनकर बीरबल से इसे हल करने के लिए कहा। जब यह बात कर ही रहे थी कि तभी कमल दरबार में पहुंच गया। वह वादे के मुताबिक अपने दोस्त को पैसे लौटाने आया था। यह देखकर बादशाह अकबर ने कहा, “बलीराम तुम्हें तुम्हारा पैसा मिल रहा है इसे लो और यह मामला अभी खत्म करो।”

लेकिन अब बलीराम कुछ और ही चाहता था। उसने बादशाह अकबर से कहा, “मुझे माफ करना जहांपना लेकिन अब मुझे यह पैसे नहीं चाहिए। अब वादे के मुताबिक नेकीराम को अपने शरीर का एक शेर मांस देना ही होगा।” यह सुनकर बादशाह अकबर बलिराम को समझाने की कोशिश करने लगे कि ऐसा करना ठीक नहीं होगा। उसे पैसे वापस मिल रहे हैं तो बलीराम को यह मामला खत्म कर देना चाहिए।

एक शेर मांस - A Pound Of Flesh Story in Hindi
एक शेर मांस – A Pound Of Flesh Story in Hindi

बादशाह अकबर के कहने पर बलिराम बोला, “आप बादशाह है आपका बात मानना तो हमें पड़ेगा ही लेकिन इस वादे का क्या? अगर व्यापार में किए गए वादे ना निभाया जाए तो लोगों का व्यापार से भरोसा ही उठ जाएगा। ठीक है मैं नेकीराम के शरीर का एक शेर मांस नहीं निकालूँगा। लेकिन मेरी दूसरी शर्त यह है कि नेकीराम इस जगह को छोड़कर चला जाए और अपना व्यापार बंद कर दे।”

यह सुनते ही नेकीराम बादशाह अकबर से बोलने लगा, “जहांपना यहां मेरा घर है और मैं यहां बचपन से रह रहा हूं। मैं कहां जाऊंगा मेरा तो कोई और ठिकाना भी नहीं है।”

जब वे सब बातें हो रहें थे तभी बीरबल ने बलीराम से कहा, “ठीक है तुम नेकीराम का एक शेर मांस काट सकते हो।” यह सुनते ही बलीराम अंदर ही अंदर खुश हो गया। वह अपने म्यान से तलवार को निकालकर नेकीराम के शरीर से मांस काटने ही जा रहा था कि बीरबल ने फिर से कहा, “रुक जाओ, नेकिराम के शरीर से मांस काटने से पहले तुम्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि तुम्हें सिर्फ और सिर्फ उसके शरीर का मांस काटना है। उसके शरीर से खून नहीं बहना चाहिए क्योंकि वादे के मुताबिक तुम्हें सिर्फ और सिर्फ मांस चाहिए।”

यह सुनते ही बलीराम अपना तलवार नीचे फेंक दिया और बोला कि ऐसा करना उसके लिए मुमकिन नहीं है। यह सब देख बादशाह अकबर क्रोधित हो चुके थे और उन्होंने बलिराम से कहा, “मैं जानता हूं कि तुम्हारा इरादा क्या है। तुम नेकीराम को अपने व्यापार से हटाना चाहते हो। ताकि तुम अपने व्यापार में आगे बढ़ जाओ। तुम्हारे बातों से ही तुम्हारा इरादा साफ-साफ नजर आता है। हमने लोगों से भी सुना है कि तुम उनके साथ बेईमानी करते हो और उन्हें लूटते हो। इस वजह से मैं तुम्हें सजा देता हूं कि तुम 1 साल तक जेल में बितओगे। सिपाहियों इसे तुरंत पकड़ कर काल कोठरी में बंद कर दो।”

इस तरह से बादशाह अकबर ने सही इंसाफ किया और एक बार फिर बिरबल अपनी चतुराई का प्रमाण लोगों के सामने दिया। एक शेर मांस – A Pound Of Flesh Story in Hindi.

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