Tower of Babel Story in Hindi. बहुत समय पहले जब दुनिया में पाप बढ़ रहा था तब ईश्वर ने सबको सज़ा देने के लिए ऐसा बाढ़ लाया जिससे कोई भी नही बच सकता था। ईश्वर ने सब खतम कर दिया। लेकिन उन्होंने सिर्फ उन्हें जीने का मोका दिया जो पापी नही थे। उनमें से एक था नोआह और उसका परिवार। ईश्वर ने नोआह को रास्ता दिखाया की कैसे उसे इस तबाही से बचना है। नोआह ईश्वर द्वारा बताए गए मार्ग के चलकर सफलता पूर्वक अपने परिवार और अन्य जानवरों को बचा पाया। नोआह ने धीरे धीरे अपना परिवार बड़ा किया और उनके परवारों ने और भी परिवार बनाए। इस तरह से इस दुनिया के लोगों की आबादी बढ़ने लगी।

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जैसे जैसे लोगों का परिवार बढ़ता गया वैसे ही लोगों की लालच, इर्षा, पाप आदि बढ़ने लगा। कुछ लोग खुदको भगवान की भाती समझने लगे थे। लोगो ने एक लम्बा इमारत बनाने का सोचा जोकि एक टावर होता। लोग उस टावर के मदद से स्वर्ग पहुंचा चाहते थे। और कई लोग खुदको ईश्वर की जगह रखना चाहते थे। सब ने मिलकर उस टावर का निर्माण शुरू किया । धीरे धीरे उस टावर की ऊंचाई बढ़ने लगी।
ईश्वर मनुष्यों की इन हरकतों को देख रहें थे। मनुष्य भी बड़ा विचित्र प्राणी है जो बिना कुछ किए स्वर में आना चाहता है और कुछ तो खुदको ईश्वर समझने लगे है। ऐसे के ईश्वर ने सबको सबक सिखाने का सोचा। वें सब एक ही भाषा में बात किया करते थे। ऐसे के ईश्वर ने सबकी भाषाएं बदल दी। ऐसा होने के बाद कोई भी एक दूसरे से बात नहीं कर पा रहा था। सब उलझन में पड़ गए कोई भी किसी की बात नाही समझ पा रहा था और नाही कोई अपनी बात दूसरे को समझा पा रहा था।
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ऐसे के लोग आपस में लड़ने लगे और एक एक करके लोग उस जगह को छोड़कर वहां से जाने लगे। उस Babel के टावर को पूरा करने के लिए लोगों की ज़रूरत होती लेकिन लोग वहां से जाने लगे थे। इस वजह से वह Babel का टावर पूरा नही हो पाया। इस तरह से ईश्वर ने फिर से सबको सबक सिखाया।
जब सब लोग उस जगह को छोड़कर जा चुके थे Jared और उसका भाई वही एक साथ रह रहे थे। दोनों ईश्वर से प्रेम करते थे और उनसे प्रार्थना भी करते। अब दोनो की भाषा अलग हो चुकी थी फिर भी वे दोनों एक साथ रहना चाहते थे।
एक दिन Jared ने ईश्वर से प्रार्थना की कि उन दोनों भाइयों की भाषा एक समान हो जाए जिससे की वे दोनों एक दूसरे से बात कर सके। और एक साथ परिवार की तरह रह सके। ईश्वर ने उसकी प्रार्थना सुनी और उनकी भाषा एक समान कर दी। इसके बाद दोनों एक दूसरे से बात करने लगे और एक दूसरे के साथ एक परिवार की तरह रहने लगे। ये बाद के चलकर Jaredites कहलाए।
इसीलिए कहते है की हमेशा ईश्वर के बताए हुए मार्ग पर चलना चाहिए इससे हम कभी गलत नही करेंगे।
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