Three Little Pigs Story in Hindi With Moral. एक घने जंगल में एक सूअर रहती थी। उस सुगर के तीन बच्चे थे। एक का नाम पिगी था। दूसरे का नाम विगी और तीसरे का नाम डिगी था। माँ उन तीनों सूअरों का अच्छे से ध्यान रखती थी और उन्हें बहुत प्यार करती थी। अब तीनों बड़े हो चुके थे इसीलिए माँ ने सोचा कि इन्हें अब अपने पैरों पर खड़ा होना होगा। इसीलिए उन्होंने तीनों से कहा, “बच्चों तुम अब बड़े हो चुके हो। इसीलिए तुम्हें जाकर अपने पैरों पर खड़ा होना होगा और अपने लिए कुछ करना होगा। अब तुम सब जाओगे और अपने भविष्य के लिए काम करोगे।”
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ऐसा कहकर मां ने तीनों को आगे बढ़ाने को कहा। इसके बाद तीनों सूअर तैयार होकर एक साथ घर से निकल पड़े। चलते-चलते रात हो चुकी थी इसीलिए तीनों ने सोचा कि वह बरगद के पेड़ के नीचे रुक जाएंगे और वहां आराम करेंगे। जब वे आराम कर रहे थे तब उनमें से पिगी ने कहा, “हम तीनों अलग-अलग जाएंगे और अपना घर बनाएंगे। इसके बाद हम वहां रहेंगे।”
विगी पिगी की बात से सहमत था इसलिए उसने दोनों से कहा, “हां तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो मेरे भाई। हम अलग-अलग जाएंगे और अपना घर बनाएंगे। उस घर में अपना भविष्य तैयार करेंगे।”
लेकिन उनका तीसरा भाई डिगी उन तीनो में सबसे ज्यादा समझदार था। वह जानता था कि अगर तीनों एक साथ रहेंगे तो वे मजबूत रहेंगे क्योंकि एकता में बल होती है। यही बात समझाते हुए उसने अपने दोनों भाई से कहा, “मेरे भाइयों अगर हम एक साथ रहेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा। इससे हम मजबूत होंगे और किसी परेशानी में भी एक दूसरे का साथ दे पाएंगे। इसलिए मैं चाहता हूं कि हम तीनों एक साथ ही रहे।”
लेकिन दोनों भाई यह नहीं चाहते थे और वे उसकी बात को इनकार करने लगे।
“नहीं, नहीं, हम अलग ही जाएंगे और अलग ही घर बसाएंगे।” दोनों ने एक साथ कहा।
ऐसे में डिगी ने फिर से कहा, “अच्छा ठीक है एक काम करते हैं हम तीनों अपना-अपना घर अलग ही बनाएंगे लेकिन हमारा घर एक दूसरे के पास होगा।”
उसकी इस बात पर बाकी दो भाई सहमत हुए और उन दोनों ने हां कहा। अगले दिन सुबह होते ही तीनों एक अच्छी सी जगह की तलाश में निकल पड़े। चलते-चलते उन्हें एक नदी का किनारा मिला जहां पर एक बड़ा सा मैदान था। उन तीनों ने सोचा कि यह जगह घर बनाने के लिए सबसे अच्छी होगी। क्योंकि यहां खाने के लिए खाना तो है ही और पीने के लिए पानी बड़ी आसानी से मिल जाएगा। इसलिए तीनों ने वहीं घर बनाने का सोचा। तीनों ने अपनी-अपनी जमीन चुनी। अब वे तीनो अपना घर बनाने वाले थे।
डिगी चाहता था कि वह अपना घर भुसो से बनाएं। इसीलिए वह एक किसान के पास गया और उसके पास से ढेर सारा भूसा खरीद कर ले आया।

वहीं दूसरी तरफ विगी लकड़ियों से बना हुआ घर बनाना चाहता था। इसीलिए वह सबसे पहले एक लकड़हारे के पास जाने का सोचा। वह लकड़हारे के पास गया और उसके पास से वह सारी चीजें खरीद ली जो लकड़ी के घर बनाने में काम आती है।
जैसा कि हम जानते हैं कि डिग्गी सबसे समझदार था। इसीलिए वह सबसे मजबूत घर बनाना चाहता था ताकि वह सालों साल तक टिका रहे, जो तेज आंधी में भी टीका रहे, जो तूफानों में भी डाटा रहे। इसी के चलते उसने सीमेंट और ईटों से बना हुआ घर बनाने का सोचा। यह सब खरीदने के लिए वह एक व्यापारी के पास गया जिससे कि वह ईट और सीमेंट खरीद सके। डिगी उसके पास गया और ईट सीमेंट सब खरीद कर ले आया।
तीनों ने अपना सामान खरीद लिया था। अब तीनों ने अपना घर बनाना शुरू किया। पिगी का घर बहुत ही जल्दी बन चुका था क्योंकि भूसे से घर को बनाने के लिए ज्यादा समय नहीं लगता। घर को पूरा करने के बाद पिगी ने कहा, “अरे वाह! मेरा घर तो बहुत ही जल्दी तैयार हो गया। अब मैं घर के अंदर जाकर बड़े आराम से चाय पियूंगा।”
वही विगी ने देखा कि उसके भाई का घर जल्दी बनकर तैयार था। इसीलिए उसने भी बड़ी मेहनत करके रातभर काम करके अपना घर बना ही लिया। घर बनाने के बाद उसने कहा, “चलो मेरा घर भी तैयार हो ही गया। अब मैं जाकर बड़े आराम से सो सकता हूं।”
लेकिन डिगी अपना घर मजबूती से बनाना चाहता था। दोनों का घर बनकर तैयार हो चुका था लेकिन डिगी का घर अभी नहीं बना था। वह तो अभी बस घर की नींव बना रहा था। अगले दिन उठकर डिगी तुरंत अपने घर बनाने के काम पर जुट गया। जब वह घर बना रहा था तब उसके दोनों भाई उसके पास आए और उसका मजाक उड़ाने लगे कि उसने अभी तक अपना घर तैयार नहीं किया है। लेकिन उसने उन दोनों की बात पर ध्यान नहीं दिया और अपना घर बड़े आराम से बनाने लगा। लगभग 4 दिन लगातार काम करने के बाद उसका घर बनकर तैयार हो गया। घर तैयार होने के बाद उसने कहा, “चलो मेरा घर भी बन ही गया। यह सबसे मजबूत है और सारी परेशानियों को आसानी से सह सकता है।”
एक दिन एक भेड़िया वहां से गुजर रहा था। तभी उसने उन तीनों सूअरों को देखा। उन्हें देखकर उसी वक्त उसने सोच लिया था कि वह उन तीनों को खाएगा। वह खड़े होकर सोचने लगा की तीनों कितने स्वादिष्ट सूअर है।
यह सोचकर वह सीधे ही पिगी के घर के पास गया और उसका दरवाजा खटखटाया और बोला, “अपना दरवाजा खोलो और मुझे अंदर आने दो।”
भेड़िए की आवाज सुनकर अंदर बैठा पिगी बहुत ही ज्यादा डर गया था। लेकिन उसने हौसला दिखाया और कहा, “मैं तुम्हे अंदर आने नही दूँगा और वैसे भी तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। मैं अपने घर के अंदर बैठा हूं और यह घर सबसे मजबूत है।”
“अच्छा तो तुम मुझे अन्दर आने नहीं दोगे। मैं बहुत ही ताकतवर हूं और तुम्हारे घर को पलक झपकते ही उड़ा सकता हूं।” भेड़िए ने ऐसा कहकर वह अपने अंदर हवा भरने लगा और पूरा दम लगा कर फूंक मारा। उसने इतनी तेजी से हवा छोड़ा था कि पिगी का घर पूरा उड़ गया। पिगी लुढ़कते लुढ़कते विगी के घर चला गया।
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जैसे ही वह विगी के घर पहुंचा तो विगी ने उससे सवाल पूछा, “तुम मेरे घर पर क्या कर रहे हो और वह भी लुढ़कते लुढ़कते आने की क्या जरूरत थी?”
पिगी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और वह डरकर टेबल के नीचे छुप गया। छपने के बाद उसने अपने भाई से डर कर कहा, “जल्दी से दरवाजा बंद कर दो। वह खूंखार भेड़िया नहीं तो अंदर आ जाएगा।”
यह सुनकर विगी तुरंत दरवाजे की ओर भागा और उसे बंद कर दिया। भेड़िया इस बार विगी के दरवाजे पर आया और बोला, “दरवाजा खोलो और मुझे अंदर आने दो।”
दोनों भाई डर गए थे लेकिन विगी ने हौसला दिखाया और उससे कहा, “मैं तुम्हें अन्दर आने नहीं दूंगा।वैसे भी तुम हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते क्योंकि मेरा घर सबसे मजबूत है।”
यह सुनने के बाद भेड़िया फिर से अपने मुंह में हवा भरा और तेजी से फूंक मारा। इससे विगी का घर पूरी तरह से उड़ गया। सिर्फ और सिर्फ उसका दरवाजा खड़ा रहा। यह देखकर दोनों भाई बहुत ही ज्यादा डर गए और सीधे दौड़कर अपने तीसरे भाई डिगी के घर जा पहुंचे।
डिग्गी के घर जाकर उन्होंने तुरंत दरवाजा बंदकर दिया। अपने दोनों भाई को इतना डरा हुआ देखकर डिगी ने उनसे पूछा, “क्या हुआ भाई तुम दोनों इतने डरे क्यों हो?”
“बाहर एक भेड़िया आया हुआ है और वह हमको मार कर खाना चाहता है।” दोनों ने डिगी से कहा।
“अरे नहीं! अगर ऐसी यह बात है तो हमें अपनी रक्षा करनी होगी” डिगी ने कहा।
इसके बाद लोमड़ी डिगी के घर आया और दरवाजा खट-खटा कर बोला, “अपना दरवाजा खोलो और मुझे अंदर आने दो।”
“नहीं हम तुम्हें अंदर आने नहीं देंगे दुष्ट भेड़िया। यहां से चले जाओ। तुम हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।क्योंकि यह घर सबसे मजबूत है” डिगी ने उस भेड़िए से कहा।
इसके बाद फिर से भेड़िए ने अपने मुंह में हवा भरी और बहुत जोर से फूंक मारा। भेड़िए ने देखा कि उसकी भूख से डिगी के घर को कुछ भी नहीं हुआ। फिर से उसने अपने मुह में हवा भरी और जोर से फूंक मारा। इस बार भी डिगी के घर को कुछ नहीं हुआ।
भेड़िए की हालत खराब हो चुकी थी। थक कर वह धड़ाम से नीचे गिर गया और कुछ देर तक वहीं पड़ा रहा। बहुत देर तक इंतजार करने के बाद डिगी ने हल्का सा दरवाजा खोला और उसने देखा कि भेड़िया बाहर गिरा पड़ा था। उसने वापस दरवाजा बंद कर दिया क्योंकि उसे लग रहा था कि खतरा अभी टला नहीं है।
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कुछ देर बाद वह भेड़िया फिर से खड़ा हुआ और उसने जोर से ललकार कर कहा, “अब तुम देखो मैं तुम्हारा दरवाजा ही तोड़ दूंगा।”
यह सुनते ही तीनो भाई एक साथ दरवाजे के पास आ गए और उसे जोर से पकड़ कर खड़ी रहे। भेड़िया पीछे की ओर गया और दौड़कर दरवाजे को धक्का मारा। लेकिन दरवाजा नहीं टूटा। उसने ऐसा कई बार किया लेकिन उसका दरवाजा टूट ही नहीं रहा था।
इसलिए भेड़िए ने कुछ और करने का सोचा। भेड़िया ऊपर की ओर देखा और उसे घर की चिमनी दिखाई दी। उसने सोचा कि वह चिमनी से अंदर कूदकर अंदर जाएगा और उन तीनों को खा जाएगा।
वह उस घर की छत पर चढ़ गया और धीरे-धीरे चलने लगा। नीचे तीनों को छत पर भेड़िए के चलने की आवाज सुनाई दे रही थी। तीनो भाई समझ चुके थे कि भेड़िया क्या करने वाला है? इसीलिए उन्होंने अपनी भट्टी में बहुत सारी लकड़ी डाली और उसे आग लगा दी।
वहीं दूसरी तरफ भेड़िया चिमनी के ऊपर चढ़ा और उसके अंदर कूद गया। वह सीधा आग में जा पहुंचा और जलकर मर गया।

इसके बाद तीनो सुरक्षित होकर वहां बैठ गए तब तीनों भाइयों को समझ में आया कि एकता में कितना बल होता है। ऐसा हो जाने के बाद में तीनों एक साथ खुशी-खुशी रहने लगे।
मोरल ऑफ द स्टोरी – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने रहने का घर बहुत ही मजबूत तरीके से बनाना चाहिए। जो बड़ी से बड़ी परेशानियों को आसानी से सह सके।
हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि एकता में बल होती है। Three Little Pigs Story in Hindi With Moral.
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