बंदर और मगरमच्छ की कहानी

Monkey and The Crocodile Story in Hindi. एक दिन वह नदी से बाहर निकलकर एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था। तभी वहां उसे ऊपर एक अजीब सी आवाज सुनाई दी। वह आवाज़ बंदर की थी जो पेड़ पर बैठकर जामुन खा रहा था। बंदर इतने चाव से उस जामुन को खा रहा था जिसे देखकर मगरमच्छ को भी लालच आ गई। मगरमच्छ ने बंदर से पूछा, “तुम क्या खा रहे हो? दिखने में तो यह बहुत ही स्वादिष्ट लगता है।”

बंदर ने जवाब दिया, “यह रसिले जामुन है और यह बहुत ही स्वादिष्ट है। मैं इसे अधिकतर खाता हूं और मुझे यह बहुत ही ज्यादा पसंद है। मुझे लगता है कि तुम भी इसे बहुत पसंद करोगे। इसे ज़रा खा कर देखो।” यह कहकर बंदर ने कुछ जामुन मगरमच्छ के मुंह में फेंका। मगरमच्छ उन जामुन को खाने लगा।

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Monkey and The Crocodile Story in Hindi बंदर और मगरमच्छ की कहानी

उन स्वादिष्ट जमुनों को खाने के बाद मगरमच्छ ने बंदर से कहा, “अरे यह तो बहुत ही स्वादिष्ट है। मैंने आज तक कभी भी ऐसा कुछ नहीं खाया था। क्या तुम मुझे और थोड़ा सा जामुन तोड़ कर दे सकते हो?”

“हां क्यों नहीं! मैं तुम्हें और भी जामुन तोड़ कर दे सकता हूं।” बंदर ने कहा। बंदर ने और भी जामुन तोड़कर मगरमच्छ के मुंह में फेंका।

अब मगरमच्छ रोज उस पेड़ के नीचे आया करता और बंदर उसे जामुन खिलाता। दोनों मगरमच्छ और बंदर बहुत अच्छे दोस्त बन चुके थे। दोनों की मित्रता बहुत ही ज्यादा बढ़ गई थी। कभी-कभी मगरमच्छ नदी से निकलकर बंदर के साथ खेला करता और कभी-कभी बंदर मगरमच्छ की पीठ पर बैठकर नदियों की सैर करता।

उस मगरमच्छ की एक पत्नी भी थी जो दूर रहा करती थी। तो मगरमच्छ ने एक दिन सोचा कि वह अपनी पत्नी को खुश करेगा और उसे भी यह स्वादिष्ट जामुन खिलाएगा। उस मगरमच्छ ने बंदर को जाकर कहा, “मेरे दोस्त क्या तुम मुझे थोड़ा ज्यादा करके जामुन तोड़ कर दे सकते हो? क्योंकि मैं चाहता हूं कि यह जामुन में अपनी पत्नी को भी खिलाऊ। वह नदी के उस पार यहां से थोड़ी दूर पर रहा करती है।”

“हां।” बंदे ने कहा, “मैं तुम्हें आज बहुत सारे जामुन तोड़कर दूंगा। तुम इसे अपनी पत्नी को खिलाना वह पक्का इसे खाकर खुश हो जाएगी।”

बंदर ने जामुन तोड़े और उन जामुन को मगरमच्छ अपने मुंह में दबाकर अपनी पत्नी के पास ले गया। अपनी पत्नी के पास जाकर उसने कहा, “यह देखो मैं तुम्हारे लिए यह जामुन लेकर आया हूं। यह जामुन बहुत ही स्वादिष्ट है। इसे खाओगी तो इसे कभी नहीं भूल पाओगी।”

यह सब सुनकर मगरमच्छ की पत्नी ने कहा, “अच्छा ऐसी बात है। लाओ में जरा इसे खाकर देखती हूं कि आखिर यह कितना स्वादिष्ट है।”

मगरमच्छ की पत्नी ने जामुन को खाया और जामुन को खाने के बाद वह भी इसकी दीवानी हो चुकी थी। मगरमच्छ की पत्नी ने कहा, “अरे वाह! यह तो बहुत ही स्वादिष्ट है। मैंने आज तक कभी ऐसा जामुन नहीं खाया था। तुमने यह जामुन कहां से लाया?”

पत्नी के सब पूछने के बाद मगरमच्छ ने बंदर की बात बताई और बताया कि वह उसका एक अच्छा दोस्त है। बंदर उसे रोज जामुन खिलाता है। बंदर की बात सुनकर मगरमच्छ की पत्नी सोचने लगी कि अगर यह जामुन इतना स्वादिष्ट है तो इसे खाने वाले बंदर का दिल कितना स्वादिष्ट होगा? कैसे भी करके उसे बंदर का दिल खाना था। यह सोचकर मगरमच्छ की पत्नी मन ही मन एक षड्यंत्र रचने लग गई।

अगले दिन जब मगर कुछ वापस आया तो उसकी पत्नी ने उसे कहा, “मेरी तबीयत आज बहुत ज्यादा खराब है और पास के एक वैद ने मुझे कहा है कि ठीक होने के लिए मुझे एक बंदर का दिल खाना होगा। अगर मैं उसे नहीं खाऊंगी तो मैं मर भी सकती

अपनी पत्नी की यह बात सुनकर मगरमच्छ उदास हो गया। वह सोचने लगा कि वह बंदर का दिल कैसे लेकर आ सकता है वह तो उसका एक अच्छा सा दोस्त है? बंदर का दिल लाने के लिए उसे बंदर को मारना होगा। फिर यह सोचकर मगरमच्छ बंदर के पास चला गया। जैसे ही वह बंदर के पास गया तो उसने कहा, “मेरे दोस्त, तुमने उस दिन जो जामुन दिए थे। मैंने उसे अपनी पत्नी को खिलाया। वह उन जामुन को खाकर बहुत ही ज्यादा खुश थी और इसी के चलते उसने तुम्हें आज दावत पर बुलाया है।”

“अरे वाह!” बंदर ने कहा, “यह तो बहुत अच्छी बात है। बहुत लंबा समय हो चुका है किसी ने अभी तक दावत पर नहीं बुलाया। चलो चलते हैं।”

यह कहकर बंदर मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया और दोनों के दोनों मगरमच्छ के पत्नी के पास जाने लगे। जब वे रास्ते पर थे तब मगरमच्छ ने बंदर से कहा, “मेरी पत्नी का तबीयत बहुत ज्यादा खराब है और उसे तुम्हारा दिल खाना है। इसके बाद ही वह ठीक हो सकती

जैसे हि बंदर ने यह बात सुनी उसने अपना दिमाग दौड़ाया और मगरमच्छ से कहा, “अरे! तुम्हें यह बात पहले बतानी चाहिए थी। मैंने अपना दिल तो पेड़ पर रखकर आया है। क्योंकि मैं नहीं चाहता कि वह गिला हो जाए। हमें वापस जाकर उसे लेकर आना होगा।”

“अच्छा ऐसी बात है चलो हम उसे जाकर लेकर आते हैं।” मगरमच्छ ने कहा।

जैसे ही मगरमच्छ किनारे पर पहुंचा बंदर छलांग लगाकर उससे दूर हो गया। उसने मगमगरमच्छ से कहा, “तुम गधे कहीं के। कोई अपना दिल निकालकर किसी को देता है क्या? अगर मैं अपना दिल निकालकर दूंगा तो मैं मर जाऊंगा और लगता है तुम मुझे मारना ही चाहते हो। तुम्हारे जैसा दोस्त होने से अच्छा दोस्त ना ही हो तो ठीक है। जाओ यहां से बेवकुफ। अपनी पत्नी से कहना कि वह भी एक नंबर की गधी है।”

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी दोस्ती अच्छे से निभानी चाहिए और किसी के बहकावे में आकर अपने दोस्त को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।

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