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Joshua and Caleb Story in Hindi

Joshua and Caleb Story in Hindi

Posted on January 3, 2021February 28, 2021 By somkrmkr No Comments on Joshua and Caleb Story in Hindi

अब्राहम के गुज़र जाने के हज़ारों सालों बाद हिब्रू मिस्त्र में गुलामों की तरह रहा करते थे। लेकिन उन गुलामो को मिस्त्र के फ़राओ से आज़ाद करने के लिए एक नबी का जन्म हुआ। जिसका नाम मोसेस था। मोसेस ने ईश्वर का सन्देश मिस्त्र के फ़राओ को सुनाया और गुलामों को आज़ाद करने की विनती की लेकिन फ़राओ ने उन्हें एक बार में आज़ाद नहीं किया। लेकिन मोसेस गुलामों को मिस्त्र से आज़ाद करवा कर ईश्वर द्वारा प्रदत्त देश की ओर लेकर गया। यह वही प्रदत्त देश है जिसका वादा ईश्वर ने अब्राहम से किया था।

मोसेस की पूरी कहानी अच्छे से जानने के लिए यहाँ क्लिक करे – Moses Bible Story in Hindi
अब्राहम की पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे – Abraham Bible Story in Hindi

12 जासूस

ऐसा करने के बाद मोसेस ने अपने लोगो में से हर एक कबीले से एक-एक आदमी चुना। वहाँ कुल 12 कबीले थे तो इस वजह से मोसेस ने कुल 12 लोग चुने। मोसेस ने उन सबको ईश्वर द्वारा प्रदत्त देश, कनान की ओर जाने को कहा। ऐसा करने का कारण यह था की मोसेस जानना चाहता था की कनान के लोग किस तरह से रहते है? कनान के लोग किस तरह से रहते है? क्या वे किलों में रहते है या कैंप बना कर रहते है ? वहाँ की ज़मीन कैसी है? इसके अलावा मोसेस ने उन्हें कुछ फल लाने को भी कहा। क्योकि वह समय अंगूर के पकने का सीजन था। इस तरह से वे 12 लोग 12 जासूस कहलाए।

इसके बाद वे सब दक्षिण दिशा की ओर चल पड़े जैसा मोसेस ने उनसे कहा था। कनान देश पहुंचने के बाद उन्होंने वहाँ की हर एक चीज़ को देखा। उन्होंने ऐसा देश शायद ही कभी देखा हो। फिर 40 दिनों के बाद वे 12 जासूस अपने लोगो के पास वापस आ पहुंचे। एक-एक करके सबने कनान के देश का विवरण दिया।

लौटते वक़्त उनके हाथ में बहुत बड़ा अंगूर का गुच्छा था। अंगूर का गुच्छा इतना बड़ा था की उसे उठाने के लिए दो लोगों की आवश्यता पड़ी। सबने उस अंगूर के गुच्छे को देखा। इसके बाद उन्होंने कनान का विवरण देना शुरू किया। उन्होंने बताया की कनान के लोग बड़े-बड़े महलो में रहते है। उनका शहर बड़ी सी दिवार के अंदर सुरक्षित है। वहाँ के लोग बहुत ही मजबूत है और बहुत ही लम्बे है। अगर हम उनके सामने जाएंगे तो टिड्डियों की तरह नज़र आएँगे।

लेकिन उनमे से दो लोग ऐसे भी थे जो ईश्वर की बात को मान कर कनान पर कब्ज़ा करना चाहते थे। उन दोनों का नाम कालेब और जोशुआ था। सबकी बात सुनकर कालेब तुरंत आता है और सबसे कहता है, “चलो जाकर एक बार में उस जगह पर कब्ज़ा कर लेते है। हम उस जगह को जितने में सक्षम है।” जोशुआ और कालेब अपने लोगो से बार-बार कहते है की वह जगह बहुत अच्छी है। जिसमे दूध और शहद की नदियाँ बहती है। वहाँ जाकर उनका जीवन सुधर जाएगा और ऐसा करने में ईश्वर उनका साथ देंगे। लोगो ने दोनों की बात नहीं सुनी।

दूसरे लोगो के अंदर डर था जोशुआ और कालेब के अलावा बाकी 10 लोग जो जासूसी करने गए थे। वे इस बात से इंकार कर रहे थे की वे कनान पर कब्ज़ा नहीं कर सकते। लोगो ने कहा, “हमें मरने के लिए मिस्त्र में ही रह जाना चाहिए था!” लोगो की कही इन बातों से लगता है की वे ईश्वर पर भरोसा नहीं करते थे।

यह सुनकर शायद ईश्वर को बहुत दुःख हुआ होगा और शायद मोसेस को भी क्योकि मोसेस ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर उन गुलामों को मिस्त्र के फ़राओ से बचाया था। ऐसा करने में मोसेस का साथ ईश्वर ने दिया था। तभी वे सब रेड समद्र कोआसानी से पार कर मिस्त्र के फ़राओ से बच पाए थे। ऐसे चमत्कार देखने के बाद भी लोगो ने ईश्वर पर भरोसा नहीं किया।

इस वजह से ईश्वर ने उन्हें श्राप दिया की उस पीढ़ी के सारें लोग जिनकी उम्र 20 साल से अधिक है वे कभी उस ज़मीन पर नहीं जा पाएंगे जो ईश्वर द्वारा प्रदत्त है। उनकी मृत्यु जंगल में भटकते-भटकते होगी जिन्होंने ईश्वर पर विश्वास नहीं किया था। उस पीढ़ी के लोगो की मृत्यु होते-होते 40 साल हो गए। लेकिन उनमें से जोसुआ और कालेब को कुछ नहीं हुआ। इस वजह से उन्हें 40 साल तक जंगलो में भटकना पड़ा।

जोशुआ एक नबी

इसके बाद वे सब जॉर्डन नदी के किनारें आ बसे। मोसेस को उस ज़मीन पर नहीं जा सकता था इसीलिए ईश्वर ने आगे का कमान जोशुआ को सौंपा। ईश्वर ने जोशुआ से कहा, “जोशुआ, तुम डरो नहीं मई तुम्हारे साथ हूँ। मई तुम्हे और तुम्हारे लोगो को उस देश लेकर जाऊंगा जिसका मैंने वादा किया था। ” यह कहकर ईश्वर ने जोशुआ का हौसला बढ़ाया।

वही दूसरी तरफ जेरिको के राजा को इस बात की खबर मिली की। इजराइल के लोग जॉर्डन नदी के किनारें बसने लगे है और वे जेरिको में घुसना चाहते है। (उन दिनों जेरिको कनान का हिस्सा हुआ करता था।) ऐसे में राजा नदी के किनारें पंहुचा और इजराइल के लोगो को चेतावनी देने लगा। राजा ने कहा, “तुम सब यहाँ से चले जाओ यहाँ तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता। तुम ये नदी देख रहे हो? इसे तुम कभी पार नहीं कर सकते और अगर पार कर भी लिए तो हमारे किले की दिवार को कभी पार नहीं कर पाओगे। “

राजा की बात पर जोशुआ ने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया क्योकि वह जनता था की ईश्वर उसके साथ है। अब वह जानना चाहता था की जेरिको के किले की दीवाल कितनी बड़ी है। इसके लिए जोशुआ ने 2 लोगो को जासूसी के लिए जेरिको भेजा। वे दोनों जैसे-तैसे जेरिको में घुस गए। उन्होंने बारीकी से किले का निरिक्षण किया। निरिक्षण करते समय उन्हें एक पहरेदार ने देख लिए। पहरेदार से बचने के लिए वे भागने लगे।

जब वे भाग रहे थे तब एक महिला जिसका नाम राहाब था उसने उन्हें छुपने के लिए घर में जगह दी। इसके बदले में राहाब ने उनसे विनती की कि जब उनके लोग जेरिको में हमला करेंगे तब वे उसे नहीं मारेंगे। उन दोनों जासूसों ने राहाब को अपने घर पर लाल रस्सी लगाने को कहा। यह एक चिन्ह था।

अब दोनों जोशुआ के पास वापस आ चुके थे। दोनों ने जोशुआ को वो सारी बात बताई जो-जो उन्होंने देखा था। इसके अलावा उन्होंने जोशुआ को राहाब के बारें में भी बताया। जोशुआ ने अपने लोगो को तैयार किया और अगले दिन वे जॉर्डन नदी पार करने वाले थे।

इजराइल के लोग जेरिको में

जैसे ही अगला दिन शुरू हुआ सब जॉर्डन नदी के किनारें एकत्र हुए और जोशुआ ने वाचा का संदूक मंगवाया। जैसे ही लोग वाचा का संदूक नदी के पास लेकर पहुंचे तभी नदी में अपने-आप एक मार्ग बन गया। जैसा मोसेस ने समुद्र में मार्ग बनाया था। उस नदी को पार करने के बाद उन्होंने वहाँ एक कैंप लगाया। उस रात जहा उन्होंने रात गुज़ारी थी वहाँ उन्होंने 12 पत्थर रखा। यह पत्थर इस बात का प्रतिक था कि जब वे नदी पार कर रहे थे तब नदी रुक गई थी। इसे गिलगाल कहा जाता है। उन्होंने 12 पत्थर इसलिए लगाए थे क्योकि वहाँ कुल 12 कबीले थे।

इसके बाद ईश्वर ने उन्हें किले कि दीवाल को गिराने का रास्ता जोशुआ को बताया। जोशुआ ने सबको कतार बनाने को कहा। सबसे पहले 7 लोग मेंढे के सींग से बनी तुरही लेकर खड़े थे। उनके पीछे वाचा का संदूक और सबसे पीछे सैनिक थे। कतार बनाने के बाद सबने शहर के चारो ओर किले कि परिक्रमा कि। लोग ज़ोर-ज़ोर से तुरही बजाते और परिक्रमा करते। 6 दिनों तक उन्होंने शहर कि परिक्रमा कि लेकिन सातवें दिन किले कि ऊँची दिवार निचे गिर गई।

इसके बाद इजराइल के लोगो ने जेरिको में कब्ज़ा कर लिया। जेरिको में कब्ज़ा करने के बाद उन्होंने और भी देशो पर कब्ज़ा किया और ईश्वर द्वारा प्रदत्त देश उन्हें हासिल हुआ।

तो यह थी 12 जासूस, जोशुआ और कालेब कि कहानी। अगर आपको यह अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करे

कहानी से सवाल

ईश्वर द्वारा प्रदत्त देश किसे कहा गया है जहाँ मोसेस और इजराइल के लोग जाना चाहते थे?

मोसेस ने मिस्त्र के गुलामो को आज़ाद कावाया और उसके बाद वे उन्हें ईश्वर द्वारा प्रदत्त देश लेजाना चाहता था। ईश्वर द्वारा प्रदत्त देश कनान को कहा जाता है जहाँ मोसेस और इजराइल के लोग जाना चाहते थे। इसी देश का वादा ईश्वर ने अब्राहम और उनकी संतानों से किया था।

मोसेस ने कितने लोगो को कनान की ओर भेजा और क्यों?

मोसेस ने कुल 12 लोगो को कनान की ओर भेजा। वहाँ कुल 12 कबीले थे तो इस वजह से मोसेस ने कुल 12 लोग चुने। ऐसा करने का कारण यह था की मोसेस जानना चाहता था की कनान के लोग किस तरह से रहते है? कनान के लोग किस तरह से रहते है? क्या वे किलों में रहते है या कैंप बना कर रहते है ? वहाँ की ज़मीन कैसी है? इसके अलावा मोसेस ने उन्हें कुछ फल लाने को भी कहा। क्योकि वह समय अंगूर के पकने का सीजन था।

जोशुआ और कालेब कौन थे?

जोशुआ और कालेब उन 12 जासूसों में से दो लोग थे जो कनान की ओर गए थे। उन 12 जासूसों में से जोशुआ और कालेब ही थे जो कनान की ओर जाना चाहते थे और उसपर कब्ज़ा करना चाहते थे। उन्दोनो ने ईश्वर पर भरोसा किया था। मोसेस के जाने के बाद ईश्वर ने जोशुआ को इजराइल के लोगो की ज़िम्मेदारी दी।

ईश्वर ने इजराइल के लोगो को 40 साल की सजा और उस पीढ़ी के लोगो को कनान ना जाने की सजा क्यों दी?

जोशुआ और कालेब के अलावा बाकी 10 लोग जो जासूसी करने गए थे। वे इस बात से इंकार कर रहे थे की वे कनान पर कब्ज़ा नहीं कर सकते। लोगो ने कहा, “हमें मरने के लिए मिस्त्र में ही रह जाना चाहिए था!” लोगो की कही इन बातों से लगता था की वे ईश्वर पर भरोसा नहीं करते थे।

इस वजह से ईश्वर ने उन्हें श्राप दिया की उस पीढ़ी के सारें लोग जिनकी उम्र 20 साल से अधिक है वे कभी उस ज़मीन पर नहीं जा पाएंगे जो ईश्वर द्वारा प्रदत्त है। उनकी मृत्यु जंगल में भटकते-भटकते होगी जिन्होंने ईश्वर पर विश्वास नहीं किया था। उस पीढ़ी के लोगो की मृत्यु होते-होते 40 साल हो गए। लेकिन उनमें से जोसुआ और कालेब को कुछ नहीं हुआ। इस वजह से उन्हें 40 साल तक जंगलो में भटकना पड़ा।

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