बाइबिल के बहुत से नबियों ने इस बात की भविष्यवाणी की थी ईश्वर का बेटा इस धरती पर जन्म लेगा और लोगो को ईश्वर के मार्ग पर लेकर आएगा। ईश्वर के उस बेटे का नाम जीसस होगा और उसका जन्म लोगो के उद्धार के लिए होगा। ईश्वर मनुष्यों से इतना प्यार करते है की उन्होंने अपने बच्चे को इस धरती पर भेजा। तो चलिए जानते है जीसस की कहानी।

जीसस के जन्म की कहानी

मदर मैरी

इस कहानी की शुरुआत होती है नाज़रेथ से जहाँ एक कुंवारी महिला रहती थी जिसका नाम मैरी था। मैरी की शादी बेथलेहम के जोसफ से होने वाली थी। मैरी एक धार्मिक महिला थी जो अपने ईश्वर से बहुत प्रेम करती थी और उनपर बहुत आस्था रखती थी।

एक दिन मैरी के पास ईश्वर ने अपना एक एंजेल भेजा। उस एंजेल का नाम गेब्रियल था। गेब्रियल मैरी के पास आया और उससे कहने लगा, “मैरी मैं गेब्रियल हूँ। ईश्वर द्वारा भेज गया एक एंजेल। मैं तुम्हारे लिए ईश्वर का बहुत ही महत्वपूर्ण सन्देश लेकर आया हूँ।”

मैरी ने कभी ऐसा कुछ भी नहीं देखा था इसलिए उस एंजेल को देखकर वह घबरा गई थी।

“मैरी घबराओ नहीं मैं तुम्हे नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा,” एंजेल ने कहा, “ईश्वर का बेटा तुम्हारे कोख से जन्म लेने वाला है। उसका नाम जीसस रखना। वह बहुत ही महान होगा और ईश्वर का बेटा के नाम से जाना जाएगा।”

यह सुनकर मैरी के मन में एक शंका उत्तपन हुई की उसकी शादी अभी तक नहीं हुई थी। ऐसे में वह माँ कैसे बन सकती है? मैरी अपनी शंका दूर करने के लिए उस एंजेल से पूछती है, “मेरी शादी नहीं हुई है तो क्या ऐसा होना संभव है? कैसे बिना शादी किये मैं माँ बन सकती हूँ?”

“सबका मानना था कि आपके चचेरी बहन, एलिज़ाबेथ का गर्भवती होना संभव नहीं है। लेकिन, उनका भी एक बच्चा होगा। उस बच्चे का नाम जॉन(योहन्ना) होगा। उसका जन्म जीसस का रास्ता तैयार करने के लिए होगा।” एंजेल ने मैरी से कहा। ऐसा कहकर वह एंजेल वहाँ से चला गया।

मैरी अपने होने वाले पति जोसफ को यह बात बताती है कि वह एक बच्चे को जन्म देने वाली है। अब ऐसे में जोसफ परेशान हो गया कि ऐसा कैसे हो सकता है? जब जोसफ ऐसा सोच रहा था तभी उसके सपने में वह एंजेल आया और कहा, “जोसफ, मैं तुम्हारी चिंता को समझ सकता हूँ। लेकिन तुम्हे घबराने कि जरुरत नहीं है। मैरी पर भरोसा करो। तुम उस बच्चे का नाम जीसस रखना। वह ईश्वर का बेटा है।”

उस एंजेल कि बातें सुनकर जोसफ के मन कि सारी दुविधा ख़तम हो गई। उस एंजेल का सपने में आकर ऐसा कहना ईश्वर कि अनुमति थी। फिर जोसफ ने मैरी को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और उससे शादी कर लिया।

जोसफ और मैरी बेथलेहम कि ओर

जोसफ बेथलेहम का रहने वाला था जो उस समय रोमन शाशन के अंदर आता था। वहाँ का शाशक अपने लोगो कि सूचि रखना चाहता था। वह उस सूचि में और भी लोगो को जोड़ना चाहता था जिनका नाम उसमे शामिल नहीं था। इसके लिए शाशक ने आदेश दिया कि जो जहाँ का मूल निवासी है वह वहाँ उपस्थित होकर अपना नाम सूचि में लिखवाए। सूचि में नाम लिखवाने के लिए जोसफ और मैरी को बेथलेहम जाना पड़ा।

दोनों, जोसफ और मैरी नाज़रेथ से निकलकर बेथलेहम कि ओर रवाना हुए। दोनों जगहों कि दुरी बहुत ज़्यादा थी और उन दिनों साधन कि व्यवस्था उतनी अच्छी नहीं थी। दोनों ने मुश्किल से वह रास्ता तय किया। उन्हें वहाँ पहुंचने में एक सप्ताह का वक़्त लगा। वें रात के समय बेथलेहम जा पहुंचे। मैरी बहुत थक चुकी थी।

बेथलेहम पहुंचकर जोसफ ने रुकने के लिए विश्राम घर खोजने लगा। लेकिन उस दिन सारा विश्राम घर भर चूका था। मैरी उस वक़्त गर्भ से थी और उसे देखकर एक व्यक्ति को उनपर दया आ गई। उसने उन दोनों को अपने अस्तबल में रात गुज़ारने के लिए जगह दे दी।

मैरी को महसूस होने लगा था कि उसका बेटा जन्म लेने वाला है। ऐसे में उसने अपने पति जोसफ से कहा, “जोसफ, बच्चा बाहर आने वाला है। यह बच्चा आज रात ही पैदा होगा। “

उस वक़्त चमचमाते तारें आसमान में नज़र आ रहे थे। वहाँ जानवर आवाज़ कर रहे थे। फिर उस अस्तबल में मैरी ने बच्चे को जन्म दिया। उन्होंने उसका नाम जीसस रखा जैसा गेब्रियल ने उनसे कहा था। उनके पैदा होते ही दोनों खुश थे। उन्होंने नन्हे जीसस को गरम कपड़े से बांधा और उनके सोने के लिए पास में पड़े भूसे से उनका बिस्तर बनाया। बिस्तर बनाने के बाद उन्होंने नन्हे जीसस को वहाँ सुला दिया।

जैसे ही उनके जन्म कि खबर बाकी लोगो को मिली तो सुब उन्हें देखने के लिए वहाँ आने लगे। सबने नन्हे जीसस के सामने घुटने टेके और ईश्वर को याद करने लगे। जीसस का जन्म सबके लिए एक चमत्कार से कम नहीं था। जीसस का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था और इसी वजह से हम हर साल 25 दिसंबर को उनकी याद में क्रिसमस मानते है।

जीसस के बेप्टिस्म की कहानी

जीसस के जन्म कि कहानी में हमने पढ़ा था कि गैब्रिएल नामक एंजेल ने मैरी से कहा था कि जीसस जन्म से पहले जॉन नामक बच्चे का जन्म होगा। जो मैरी कि चचेरी बहन, एलिज़ाबेथ के घर जन्म लेगा। ईश्वर ने जॉन को एक अहम् मकसद से भेजा था। जॉन लोगो को जीसस के आने कि तयारी करवाने वाला था। वह जीसस के लिए मार्ग तैयार करने वाला था।

जॉन बड़े होकर सबको ईश्वर का सन्देश देते पर सबको बताते कि ईश्वर का बेटा हमारे बीच है। लोग उनकी बातें सुनते और उनपर विश्वास करते। जॉन को रेगिस्तान में एक सन्देश मिला कि उसे पापों कि सजा और प्रस्च्यताप के बेप्टिस्म का प्रचार करना है। इसके बाद से उन्होंने यही किया।

अब जीसस 30 साल के हो चुके थे। उस वक़्त जॉन लोगो को जॉर्डन नदी के किनारे बेप्टिस्म दिया करते थे। यह वह जॉर्डन नदी है जहाँ से जोशुआ ने वाचा के संदूक को लेकर इजराइल के लोगो को नदी पार करवाया था।

एक दिन जॉन पहले कि तरह लोगो को जॉर्डन नदी में बेप्टिस्म दे रहे थे। बेप्टिस्म देते वक़्त जॉन लोगो को ईश्वर के अच्छे सन्देश सुना रहे थे उसी बीच एक व्यक्ति उनके पास आया। वह कोई और नहीं जीसस थे। वही जॉर्डन नदी में जीसस ने जॉन से बेप्टिस्म लिया।

जीसस के बेप्टिस्म लेने के बाद ईश्वर का पवित्र आत्मा कबूतर के रूप में उनपर आकर उतरा। इसके बाद स्वर्ग से आवाज़, “आई तुम मेरे प्रिय पुत्र हो। मैं तुमसे प्रसन्न हूँ। ” इस तरह से जीसस का बेप्टिस्म हुआ।

जीसस के चमत्कार की कहानी

जीसस ने पानी को वाइन में बदला

यह कहानी उस समय कि है जब जीसस गलीली में उपस्थित थे। गलीली में काना नाम का एक स्थान था उस स्थान में एक शादी का जश्न मनाया जा रहा था। यह जश्न का तीसरा दिन था। उस शादी में मदर मैरी भी उपस्थित थी और वहाँ जीसस और उनके अनुयाइयों को भी आमंत्रित किया गया था।

जश्न में लोगो को वाइन दिया जाता है। वहाँ भी सबको जी भरकर वाइन बाँटा जा रहा था। लोग जितना वाइन पीना चाहते उन्हें उतना वाइन दिया जाता। लेकिन वाइन बांटते समय उनके सामने एक समस्या आ गई। समय से पहले ही वाइन ख़तम हो गया था और लोगो को ठीक से वाइन भी बाँटा नहीं गया था। अब ऐसे में सुब परेशान हो गए।

यह परेशानी लेकर मदर मैरी जीसस के पास गई। उन्होंने जीसस से कहा, “समय से पहले पूरा वीने ख़तम हो गया है। “

“आप मुझे इसमें क्यों शामिल कर रही है?” जीसस ने कहा, “यह उनका मामला है मेरा समय अभी नहीं आया है। “

इसके बाद जीसस उस जगह पर गए जहाँ वाइन के जार रखे हुए थे। मदर मैरी ने कर्मचरियों से कहा, “वह जो कहता है वह करो। “

जीसस ने उन लोगों को उस जार में पानी भरने को कहा। इसके बाद जीसस ने उनलोगो से कहा, “जाओ इसे लोगो में बाँट दो।”

लोगो ने उस पानी को पिया और उन्हें वह बहुत ही स्वादिष्ट लगा। वह पानी वाइन बन चूका था। सबने ऐसा वाइन कभी नहीं पिया था। सबने दूल्हे से कहा, “शुरू में लोग अच्छी वीने पिलाते है और जब सुब अच्छे से पी लेते है तब सबस्टी वाइन पिलाते है। लेकिन, तुमने तो सबसे अच्छी वाइन अब तुक बचा कर रखी”

तो यह था जीसस का पहला चमत्कार जिसमें उन्होंने पानी को वाइन में बदल दिया था।

जीसस ने 5000 लोगो को खाना खिलाया

जैसे-जैसे जीसस आगे बढ़ते जाते उनके अनुयाइयों कि संख्या भी बढ़ती जाती। वे जगह-जगह घूमते और लोगो को ईश्वर का सन्देश सुनाते। एक दिन जब लोगो ने सुना कि जीसस और उनके शिष्य एक जगह पर आने वाले है। तो वें सुब उनके आने से पहले ही उस जगह पर इक्खट्टा होने लगे।

जीसस जब वहाँ पहुंचे तो उन्होंने बहुत सारे लोगो को देखा जो उनसे और चमत्कार देखना और ईश्वर के बारे में जानना चाहते थे। लेकिन जीसस इतनी बड़ी भीड़ को सम्बोधित नहीं करना चाहते थे। क्योकि वे जानते थे इतनी बड़ी भीड़ को ईश्वर के राज्य के बारे में बता पाना मुश्किल है।

लेकिन, इतनी बड़ी भीड़ को देखकर उन्हें यह समझ आ गया कि ये भीड़ भेड़ों के झुंड कि तरह है जिसका कोई मालिक नहीं है। ऐसे में वे सुब भटक जाएंगे। इसलिए उन्होंने वहाँ रुकने का सोचा। सबने जीसस के कुछ कहने का इंतज़ार किया।

समय निकलता जा रहा था और लोगो को भूख लगने लगा था। जीसस के एक शिष्य ने उनसे आकर कहा, “आप इन सबको वापस भेज दीजिये हम इनके कहने का बंदोबस्त नहीं कर सकते ये सुब भूखे है।” उन शिष्यों को सबके खाने कि चिंता सता रही थी। लेकिन जीसस जानते थे कि उनकी चिंता व्यर्थ है। ईश्वर सबसे प्रेम करता है वह सबके खाने के लिए इंतेज़ाम करेगा।

ऐसे में एक छोटा बच्चा आया उसेक पास 5 रोटियां और 2 मछलियां थी। उसने वह 5 रोटियां और 2 मछलियां जीसस के शिष्यों को दे दी।

जीसस ने अपने शिष्यों को उन 5 रोटियां और 2 मछलियों को सबमे बाँटने को कहा। उनके सारे शिष्य हैरान हो गए कि ऐसे कैसे हो सकता है? हम इन 5 रोटियां और 2 मछलियों को ईंटे सारें लोगों में कैसे बाँट सकते है?

लेकिन उन्होंने बांटना शुरू किया। वे खाना बांटते रह गए लेकिन वह ख़तम नहीं हो रहा था। और इस तरह से उन्होंने 5000 लोगो को खाना खिलाया। यह चमत्कार जीसस के अन्य चमत्कारों से ज़्यादा प्रचलित है।

जीसस पानी पर चले

जीसस लोगों को और अपने शिष्यों को चमत्कार दिखाया करते थे। ऐसा करने का मुख्य कारण यह था कि लोग और उनके शिष्य पूरी तरह से उनपर विश्वास नहीं करते थे कि जीसस ही ईश्वर के पुत्र है। ऐसे में लोगों का विश्वास जीतने के लिए उन्हें इतने सारे चमत्कार करने पड़े। इसी तरह से उन्होंने अपने शिष्यों के सामने एक और चमत्कार करके दिखाया। उन्होंने अपने शिष्यों के सामने पानी पर चलकर दिखाया।

उस दिन, 5000 लोगों को ढेर सारी रोटी और मछलिया खिलाने के बाद वहाँ से जाने का समय हो चूका था। जीसस वहाँ अपनी नाव से आए थे। इसीलिए उन्होंने अपने शिष्यों ने नाव को खोजने के लिए भेजा।

जब उनके शिष्य नाव लाने चले गए तो जीसस उनसे दूर होकर एक पहाड़ के ऊपर प्रार्थना करने चले गए। जीसस ने अपनी प्राथना ख़तम कि और जब वे वापस झील के तट पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि नाव तट से दूर जा पंहुचा था और उनके शिष्य भी उस नाव पर थे।

उस वक़्त बहुत तेज़ हवा चल रही थी। तेज़ हवा कि वजह से ही उनका नाव झील के तट से दूर चला गया था। जीसस को उस नाव तक पहुंचना था। अब जीसस ने पानी में चलना शुरू कि और वे चलते गए। ज़रा सोच कर देखिये कि वह नज़ारा कैसा रहा होगा जब जीसस पानी पर चले होंगे।

जीसस चलते चलते उस नाव के नज़दीक पहुंचे। दूसरी तरह उनके शिष्यों ने उन्हें देखा लेकिन वे नहीं समझ पा रहे थे कि वह क्या था? उनमे से एक ने कहा कि वहाँ एक भूत है। वे सब डर रहे थे। जीसस ने चिल्ला कर कहा, “मैं यहाँ हूँ। डरो नहीं!” इसके बाद उन्होंने पीटर को बुलाया।

पीटर नाव से निकलकर जीसस कि ओर जाने लगा। लेकिन तेज़ हवा ने उसका ध्यान भटका दिया और वह पानी में गिर गया। जीसस ने उसका हाथ थामा और उसे ऊपर उठाया।

उनके शिष्यों ने वह सारा दृश्य देखा। सब हैरान थे! इसके बाद शिष्यों का विश्वास जीसस के प्रति और बढ़ गया था।

जीसस ने अंधे के आँखों कि रौशनी लौटना

एक दिन जीसस अपने शिष्यों के साथ मार्ग पर चल रहे थे तभी उन्होंने रस्ते में बैठे एक अंधे आदमी को देखा। वह अँधा आदमी बचपन से ही अँधा था। अपने आँखों से ना देख पाने कि वजह से वह कोई काम नहीं कर सकता था। इसलिए वह भीख माँगा करता था।

एक शिष्य ने जीसस से कहा, “रब्बी, किसने पाप किया, इस आदमी ने या इसके माता-पिता ने, कि यह अंधा पैदा हुआ था?”

जीसस ने अपने शिष्य को कहा कि उस अंधे वयकति ने कोई पाप नहीं किया है और ना ही उसके माता-पिता ने। यह इसलिए अँधा है क्योकि इसके ज़रिये ईश्वर अपनी प्रभुता दुसरो को दिखा सके।

इसके बाद जो हुआ वह बहुत ही अद्भुत था। जीसस एक ऐसा चमत्कार करने वाले थे। जिससे लोग जान जाते कि वही ईश्वर का बेटा है और वह सबका उद्धार करने आया है।

जीसस ने ज़मीन पर थूका और उस जगह से मिट्टी उठाई। उन्होंने उस मिट्टी को अपनी थूक से गिला किया। उन्होंने उस गीली मिट्टी को अंधे व्यक्ति कि आँखों में लगाया। “जा,” जीसस ने कहा, “जाकर इसे सिलवम के तालाब के पानी से धो ले।”

यह सुनकर वह अँधा आदमी जल्द से सिलवम के तालाब के पास गया और वहाँ के पानी से अपनी आँखों पर लगी मिट्टी को धोया। ऐसा करने के बाद उस व्यक्ति ने अपनी आँखे खोली। अब वह सबकुछ देख सकता था। जो लोग उसे जानते थे उसे इस तरह से देखकर हैरान हो गए। उसने सबको बताया कि जीसस ने उसकी आँखों को ठीक किया है।

इस तरह से एक बार और उस ऊपर वाले कि महिमा हुई।

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