Solomon Bible Story in Hindi – इंसान अपने अच्छे समय में खूब तरक्की करता है। वह यश, नाम और धन यह सब कमाता है। वह व्यक्ति अपनी बुद्धि को ठीक रखकर कार्य करे तो वह और भी आगे बढ़ता जाता है। लेकिन वही व्यक्ति घमंड और गलत संगत में पड़ जाए तो उसका पतन होना निश्चित है। इस कहानी में हम यह देखेंगे की एक समझदार और बुद्धिमान राजा जो अपनी जनता के बीच लोकप्रिय था। उस राजा पर ईश्वर का हाथ था लेकिन गलत संगत और अपने घमंत के चलते उसे अपने पतन और अपने जीवन के अंतिम समय में निराशा का सामना करना पड़ा।

हम बात कर रहे है राजा सोलोमन की जो बहुत ही बुद्धिमान शाशक था। सोलोमन, राजा डेविड का बेटा था और उसने अपने पिता के बाद इजराइल को संभाला। ऐसा कहा जाता है की ईशवर ने स्वयं राजा सोलोमन को आशीर्वाद दिया था की वह सबसे बुद्धिमान शाशक बनेगा।

सोलोमन राजा बनने के बाद सारे शाशकों और दुश्मनो को ख़तम कर दिया। सोलोमन के पास बहुत सारे सैनिक, जहाज, घोड़े, हाथी आदि थे। जो उसके सेना को मजबूत बना देते और इसकी वजह से वह अपने शत्रु को खत्म कर पाता था। सोलोमन ने ईश्वर के लिए बड़े-बड़े मंदिर भी बनाए क्योकि वह ईश्वर से प्रेम करता था। वह एक न्याय प्रिय राजा था जो दूसरों के साथ हमेशा न्याय करता। उसके पास जो भी आता उसे न्याय जरूर मिलता।

राजा का न्याय

एक दिन राजा सोलोमन के पास दो महिला रोते हुए आई जिनमें से एक के पास एक छोटा सा नवजात बच्चा था। दोनों को रोता देख सोलोमन ने उनसे पूछा, “क्या हुआ है तुम दोनों के साथ? ऐसी क्या बात है जिसकी वजह से तुम इतना रो रही हो?”

उनमें से पहली महिला ने कहा, “राजा आप हमारी मदद कीजिए और मुझे आपसे उम्मीद है कि आप हमारे साथ न्याय करेंगे। यह मेरा बेटा है और कब से यह औरत कहे जा रही है की यह उसका बेटा है। आप ही फैसला करें कि यह किसका बेटा है। “

“राजा ,आज ही इसका बेटा पैदा हुआ लेकिन वह मरा हुआ था। उसी के साथ-साथ आज ही के दिन मेरा भी बच्चा पैदा हुआ और उसने मेरे जीवित बच्चे को मुझसे छिन लिया और उसे वह अपना बताने लगी, ” दूसरी महिला ने कहा।

यह सुनकर राजा दुविधा में पड़ चुका था। वह सोचने लगा था कि इन दोनों में से कौन सही बोल रहा है और कौन झूठ बोल रहा है? इसके बाद राजा ने एक तरकीब सोच निकाली। उन्होंने अपने सैनिक को आदेश दिया, “सैनिक इधर आओ और इस बच्चे को मेरे पास ले आओ। अब तुम इस बच्चे के दो टुकड़े कर दो और यह टुकड़े उन 2 महिलाओं में बांट दो। “

राजा की ऐसी बात सुनकर लोग चौक गए। इसकी वजह यह थी कि उस बच्चे को काटने पर वह मर जाता। राजा के आदेश देने पर पहली महिला जिसके हाथ में बच्चा था वह कहने लगी कि राजा का यह फैसला बिल्कुल सही है। वह ऐसा करने के लिए राज़ी है और ऐसा करने से सहमति रखती है। वहीं दूसरी तरफ, दूसरी महिला जोर-जोर से रोने लगी और कहने लगी कि राजा ऐसा ना करें इससे अच्छा आप इस बच्चे को उसे ही दे दे।

राजा ने उन दोनों महिलाओं के हावभाव को देखा और इसके बाद वह समझ चुके थे कि उस बच्चे की असली मां कौन है? राजा ने आदेश दिया कि दूसरी महिला ही उस बच्चे की मां है। उसे उसका बच्चा दे दिया जाए और पहली महिला को जेल में डाल दिया जाए।

राजा की सूझबूझ को देखकर सारी जनता प्रसन्न हुई और कहने लगी कि उन्हें एक समझदार राजा और न्याय प्रिय राजा मिला है। इसी वजह से कई लोग सोलोमन के पास न्याय मांगने आते थे

सोलोमन की समझदारी और उसके कार्यों की प्रशंसा विदेशों में भी होने लगा था। वह बहुत ही प्रचलित हो चुका था। उसकी प्रशंसा शेबा की रानी फिरौन की बेटी के पास पहुंची। शेबा की रानी ने निर्णय किया कि वह राजा सोलोमन के पास जाएगी और उसकी बुद्धिमत्ता का परीक्षण करेगी।

शेबा की राजकुमारी ने सोलोमन से बहुत से सवाल पूछे और सोलोमन ने इन सवालों के जवाब सूझबूझ और बुद्धिमानी के साथ दिया। सोलोमन की बुद्धिमत्ता को देखकर शेबा की राजकुमारी सोलोमन से प्रभावित हुई और कुछ सालों बाद उन दोनों ने शादी कर ली।

सोलोमन का पतन

अब वह सोलोमन की पत्नी बन चुकी थी। सोलोमन की पत्नी अपने साथ अपने देवता की मूर्तियां लेकर आई। सोलोमन ने जेरूसलम में अपने पत्नी के देवताओ के लिए मंदिर बनाना चालू किया। इजराइल में ईश्वर की आज्ञा के विरुद्ध मूर्ति पूजा होने लगी। सोलोमन अपनी पत्नियों के लिए भव्य महल बनाने लगा और जनता के बारे में सोचना बंद कर दिया।

मंदिर और महल बनाने के लिए अधिक मात्रा में लोगों की आवश्यकता और अधिक धन की भी आवश्यकता होती है। इसी वजह से सोलोमन ने अपनी जनता पर बड़े-बड़े कर थोंप दिए और लोगों को जबरदस्ती मंदिर और महलों में काम कराने लगा। इसे इसराइल में पाप बढ़ने लगा था। उन लोगों के ऊपर शोषण धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा था।

इजराइल की जनता परेशान रहने लगी क्योंकि उन पर बहुत ही ज्यादा शोषण होता था। इसी के चलते वे दिन-रात ईश्वर से प्रार्थना करते ताकि ईश्वर उनकी सहायता करें और उन्हें इस शोषण से बचाए। ईश्वर ने उन पीड़ितों की प्रार्थना सुनी और उन्होंने नबी एलिजाह को राजा सोलोमन के लिए अपना सन्देश दिया।

नबी एलिजाह

ईश्वर का सन्देश प्राप्त करने के बाद नबी एलिजाह राजा सोलोमन के पास पहुंचे। राजा ने उनसे पूछा, “आप कौन है ? आप तो यहाँ के नहीं लगते। “

“मैं नबी एलिजाह हूँ और मैं यहाँ ईश्वर का सन्देश लेकर आया हूँ। ईश्वर ने मुझे उनका सन्देश पहुंचाने के लिया कहा है, ” नबी ने राजा से कहा।

एलिजाह बोले, “यह क्या किया राजा तुमने? तुमने डेविड के सिंहासन को अपमानित किया है।”

” क्या तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई,” राजा ने कहा।

इसके बाद एलिजाह ने कहा, “शांत रहिए। यह वाणी ईश्वर के वचन की घोषणा है। तुमने मेरे पवित्र नगर को मूर्तियों से सजा दिया। “

“लेकिन मैंने ईश्वर के लिए कई भव्य मंदिर बनवाए हैं। अगर मैंने अपनी पत्नियों की पूजा के लिए मंदिर बनवाया तो क्या गलत किया, ” राजा ने कहा।

नबी ने फिर कहा “तुमने उन्हीं लोगों को दास बनाया जिन्हे मैंने स्वतंत्र कराया है। अपने प्रिय डेविड के कारण तुमसे राज्य नहीं छिन रहा परंतु तुम्हारी मृत्यु के पश्चात तुम्हारा राज्य नष्ट होगा। यह मेरे वचन नहीं ईश्वर के वचन है याद रखना। “

एलिजाह ने ईश्वर का सन्देश राजा को सुनाया और वहाँ से चले गए। सोलोमन अब बदल चूका था। उसने ईश्वर की बात नहीं मानी और अपने बुरे काम करता रहा। वह उन सबको मार देता जो उसके खिलाफ आवाज़ उठाता।

जेरोबोआम

वही राजा का एक अधिकार लोगों के प्रति बहुत ही दयालु था। जिसका नाम जेरोबोआम था। वह लोगो की मदद करता और लोगो को हो रहे अत्याचार से बचता। उसकी दरयादिली और दया की भावना देखकर ईश्वर उससे खुश थे। इस वजह से ईश्वर ने नबी एलिजाह के द्वारा अपना सन्देश भेजा। जैसे ही एलिजाह जेरोबोआम के पास पहुंचे उन्होंने ईश्वर का सन्देश उससे सुनाया।

नबी ने कहा “जेरोबोआम , मैं एलिजाह नवी हूं। ईश्वर ने तुमसे मिलने भेजा है। तुम कुछ देर रुकोगे?”

एलिजाह की बात सुनकर जेरोबोआम चौक गया और उसने एलिजाह से पूछा, “ईश्वर ने, परंतु क्यों?”

“ईश्वर चाहते हैं कि मैं तुम्हें उनका संदेश तुम्हे बताऊ। मुझे बताओ इजराइल के लोगो के साथ कैसा व्यवहार करते हैं? अगर तुम राजा होते तो क्या करते?” एलिजाह ने कहा।

जेरोबोआम ने नबी के सवालों को सुना और उनका जवाब दिया, “अगर मैं राजा होता तो मैं गुलामो को मुक्त करता और प्रजा की भलाई के लिए काम करता।”

नबी ने ईश्वर का सन्देश सुनाया, “तुमने साबित कर दिया की तुम महान हो अब तुम ईश्वर का सन्देश सुनो। यह बिल्कुल सच है इजराइल के 10 घराने मैं तुमको दूंगा मेरे सेवक डेविड के लिए मैं उसके वंशजों को यूदह दूंगा। “

“क्या यह सच है? धन्यवाद ईश्वर धन्यवाद,” जेरोबोआम ने कहा।

सोलोमन को यह पता चल चूका था की जेरोबोआम गुलामों के प्रति दया दिखा रहा है। सोलोमन को लगने लगा की वह लोगों को राजा के प्रति भड़का रहा है। ऐसे में राजा ने उसे फांसी में चढ़ाने का आदेश दिया। यह सुनने के बाद जेरोबोआम मिस्त्र भाग गया। नबी एलिजाह ने उसे भागने में मदद की और उससे कहा कि जब तक राजा की मृत्यु नहीं हो जाती तुम यहां लौट कर वापस मत आना।

समय बीतता गया और राजा ने लोगों को खूब दबाने के कोशिश की लेकिन अपने जीवन के अंतिम छण में उन्हें इस बात का बहुत दुःख हुआ की आखिर उन्होंने लोगों के साथ क्या किया ? उनका अंतिम समय दुःख में बिता।

तो यह था “Solomon Bible Story in Hindi” की कहानी। अगर आपको यह अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

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