Isaiah and Hezekiah Bible Story in Hindi – यह कहानी नबी यशायाह की है जिनका जन्म 8वी शताब्दी ईशा पूर्व में जुडाह नामक जगह में हुआ था। जोकि इजराइल के जेरूसलम में स्थित है। यशायाह ने इसा मसीह के आने की भविष्यवाणी की थी और कहा था की मसीह सबको उनके पापों से आज़ाद कराएंगे और लोगो को ईश्वर के मार्ग में लेकर आएँगे। यशायाह को इस बात से भी जाना जाता है कि किस तरह से उन्होंने राजा हेजेका कि मदद कि थी जेरूसलम को असीरिआ से बचाने में। तो चलिए जानते है यशायाह कि कहानी।
यशायाह कि कहानी
यशायाह को ईश्वय के प्रति अपार प्रेम था। वह रोज़ ईश्वर से प्रार्थना करने मंदिर जाया करते। हर बार कि तरह इस बार भी यशायाह मंदिर मर ईश्वर से प्रार्थना करने गए थे। जब वह प्रार्थना कर रहे थे तभी कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना उन्होंने कभी नहीं कि थी। वहाँ यशायाह को ईश्वर के दर्शन हुए। ईश्वर के दर्शन के बाद यशायाह अचंभित हो चुकता था और ईश्वर के दर्शन से उसे ईश्वर कि पवित्रता का अहसास हुआ। पहले तो यशायाह ईश्वर के दर्शन से प्रसन्न हुआ और ईश्वर कि पवित्रता को आनंद लिया। लेकिन बाद में उसे इस बात का भी अहसास हुआ कि वह पापी है।
इस बात का अहसास होते ही यशायाह ने ईश्वर से मदद मांगी, “हे ईश्वर, मैं पापी हूँ और मैं पापियों के साथ रह रहा हूँ। मैं आपसे विनती करता हूँ कि आप मेरे पापों को माफ़ करे और मुझे भी पवित्र कर दें। “
इसके बाद ईश्वर का दूत आया और उसने यशायाह को पवित्र बनाया। इसके बाद यशायाह के सारे पाप माफ़ हो गए। इसके बाद ईश्वर ने यशायाह से कहा, “जाओ और लोगों को मेरे वचन कि शिक्षा दो। लोग तुम्हारी बात पहली बार नहीं सुनेंगे लेकिन बार बार कहने पर वें तुम्हारी बात ज़रूर सुनेंगे। मैं तुम्हें आज्ञा देता हूँ कि तुम लोगो को मेरे मार्ग पर लेकर आओ। “
ईश्वर के दिए हुए आज्ञा को यशायाह ने खुसी-खुसी स्वीकारा और इसके बाद वह ईश्वर के दिए कार्य को करने लगा। यशायाह जगह जगह जाता और लोगो को ईश्वर के मार्ग में चलने को कहत। वह लोगों से कहता कि वें अपना पाप करना बंद कर दे। सब अपने पापों के लिए ईश्वर से माफ़ी मांगे और ईश्वर से प्रेम करें। ईश्वर दयालु है वह हमारे पापों के लिए हमें माफ़ कर देगा।
यशायाह कि बातों में इतनी मधुरता थी कि लोग उसे सुनने को रुक जाते और उसकी कही हुई बातों को सुनते और उसपर अमल करते। उन्होंने सबसे कहा कि सबको शोषण करना बंद कर देना चाहिए। हमें विधवा और अनाथो कि रक्षा करनी चाहिए।
यशायाह ने लोगों को मूर्ति पूजा करने और जानवरों कि बलि चढाने से भी मना किया। धीरे धीरे यशायाह आस-पास के गावों में प्रचलित होने लगे। वह जहाँ भी जाते वहाँ ईश्वर कि कही हुई बातों को लोगों तक पहुंचते। ऐसे में यशायाह के चाहने वालों कि संख्या भी बढ़ने लगी थी और सुब उनके शिष्य बन गए।
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यशायाह और राजा आहाज
जिस वक़्त आहाज जुडाह के राजा हुआ करते थे। उस समय राजा आहाज को पड़ोस के देशों से धमकी मिल रही थी। सीरिया के सैनिक उत्तर से जुडाह पर आक्रमण करना चाहते थे और पश्चिम से फिलिस्तीनी भी आक्रमण कि तैयारी कर रहे थे। वह राजा आहाज के लिए बहुत ही संकट का समय था।
युद्ध से बचाने के लिए आहाज युद्ध के देवता को प्रसन्न करना चाहता था। इसके लिए उसने अपने पुत्र कि बलि चढ़ा दी। जब यशायाह को यह बात पता चली तो यशायाह राजा आहाज के पास गए और उनसे कहा, “आहाज तुम जो कर रहे हो वो पाप है तुमने अपने बेटे कि बलि चढ़ा दी । यह पाप है। “
“तुहे यह बात किसने बताई ?” आहाज ने यशायाह से पूछा।
यशायाह ने आहाज को जवाब देते हुए कहा, “ईश्वर सब देखते है और उनसे कुछ भी नहीं छुपता। तुमने जो भी किया है वह पाप है और इसके लिए ईश्वर तुमसे नाराज़ है। “
ऐसे में आहाज दुखी होकर बोला, “हम चारों तरफ से सैनिको से घिरे हुए है। दूसरे देश के सैनिक कभी भी यहाँ हमला कर सकते है। युद्ध के देवता को खुश करने के लिए मुझे यह करना पड़ा। “
युद्ध के देवता के बारें में सुन कर यशायाह क्रोधित हो उठे और उससे कहा, “तुम बेवकूफ हो जो इस बात पर आ गए। हमारा ईश्वर कभी हमें अकेला नहीं छोड़ेगा वह हमारे साथ है। ईश्वर इस बार भी हमारी सहायता करेगा। “

आहाज और यशायाह के बीच लम्बी बहस होती रही। और आहाज किसी और ईश्वर को मानने को राज़ी नहीं था। इसीलिए यशायाह ने उसे एक चीन मांगने को कहा। एक ऐसा चिन्ह जो ईश्वर का प्रतिक होगा।
आहाज बहुत कि चालक था वह जनता था कि अगर वह ऐसा कोई चिन्ह मांगता है तो इसके बाद वह असीरिआ के राजा से मदद नहीं मांग पाएगाऔर असीरिआ का राजा मूर्ति पूजा किया करता था। इसीलिए वह ऐसा करने से मना कर देता है और यशायाह को वहाँ से भगा देता है।
इसके बाद आहाज असीरिआ के राजा के पास अपने दूत को मदद के लिए भेजता है और असीरिआ का राजा दो शर्तो पर राज़ी हो जाता है। जिसमे से पहली शर्त यह थी कि जदह को हर साल ढेर सारा पैसा देना होगा और दूसरी शर्त यह थी कि जुडाह में जगह-जगह युद्ध के देवता कि मूर्ति लगानी होगी।
आहाज असीरिआ कि शर्तों पर राज़ी हो गया। इसके बाद असीरिआ ने अपनी सेना आहाज को दी जिससे आहाज युद्ध जीत गया। अब जुडाह युद्ध जीत चूका था लेकिन अब वह देश आज़ाद नहीं था।
जुडाह में जगह जगह मुर्तिया लगी थी जिससे जुडाह के लोग पसंद नहीं करते थे। इसके बाद यशायाह ने भविष्यवाणी कि एक ऐसे राजा के बारे में जो इजराइल के ईश्वर से प्रेम करेगा। वह न्यायपूर्ण राजा होगा और पुरे जुडाह को आज़ाद करवाएगा और जुडाह से पूरी मूर्तियों को हटाएगा।
यशायाह और हेजेका
यशायाह ने जैसा कहा था वैसा ही हुआ आहाज के मरने के बाद उसका बेटा हेजेका जुडाह का राजा बना। हेजेका जुडाह का 13वा राजा था और वह बहुत ही न्यायपसंद राजा था जिसमे अच्छी सूझबूझ थी। वह ईश्वर से भी बहुत प्रेम करता था और ईश्वर के मार्ग में चलता था। हेजेका मूर्ति पूजा के खिलाफ था। हेजेका के आ जाने से जुडाह का नया अध्याय शुरू हो चूका था।
हेजेका को इस बात का ज्ञान था कि उसे किस्से सलाह लेनी चाहिए। वह ईश्वर के मार्ग में चलता था इसीलिए उसने निर्णय लिया कि वह नबी यशायाह से सलाह लेगा। इसके बाद वह हर काम के लिए नबी यशायाह से सलाह ज़रूर लेता।
हेजेका को इस बात कि चिंता थी कि उसके देश में पाप बढ़ रहा था जो असीरिआ के युद्ध के देवताओ के साए में था। वह अपने पिता के द्वारा किए गए पापों को ठीक करना चाहता था। इसके लिए हेजेका यशायाह से सलाह मांगता है और उनसे सवाल करता है, “हे यशायाह आप मुझे बताइए कि मैं किस तरह से अपने लोगो को पाप करने से रोकू ? पुरे जुडाह में पाप बढ़ चूका है इससे हमारे ईश्वर नाराज़ होंगे। “
हेजेका को चिंतित देख यशायाह ने उससे कहा, “तुम चिंता मत करो। तुम इन सब चीज़ो को बदल सकते हो इसके लिए सबसे पहले जुडाह में उपस्थित सारी मूर्तियों को हटवाओ। मुझे तुमपर भरोसा है तुम एक महान राजा बनोगे। “
हेजेका नबी यशायाह के कहे अनुसार अपने सैनिको को जुडाह में उपस्थित सारे मूर्तियों को हटाने का आदेश देता है। इसके बाद उसने लोगों को आदेश दिया कि लोग मूर्ति पूजा बंद कर दें। हेजेका ने असीरिआ को पैसे देने से भी मना कर दिया।
हेजेका के ऐसा करने से असीरिआ का राजा खुश नहीं था और वह जुडाह पर आक्रमण कर दिया। असीरिआ कि सेना ने जुडाह पर हमला किया। उन्होंने निर्दोषो कि हत्या कि। सैनिको ने बच्चों और महिलाओं तक को नहीं छोड़ा। पुरे जुडाह में डर का माहोल था। धीरे-धीरे सेना येरुसलेम कि ओर बढ़ने लगी।
जब हेजेका को यह खबर मिली तो वह अपने सैनिको को युद्ध के लिए तैयार होने को कहा और अपने खबरि को यशायाह के पास भेजा ताकि वह जान सके कि ईश्वर कि क्या मर्ज़ी है।
हेजेका का खबरि नबी यशायाह के पास पूछा और उन्हें राजा का सन्देश दिया। इसके बाद यशायाह ने खबरि को बताया, “जाओ अपने राजा से कह दो सबकुछ ठीक हो जाएगा। ईश्वर हमारे साथ है हमें कुछ नहीं होगा। “
खबरि ने यह खबर हेजेका कि दिया। यह जान कर हेजेका बहुत खुश था और युद्ध शुरू होने से पहले ही ख़तम हो गया। असीरिआ के सैनिक वापस लौट गए क्योकि बाबेल ने असीरिआ पर हमला किया था।
इस युद्ध में असीरिआ को बहुत नुकसान हुआ और वह फिर कभी ताकतवर देश बनकर नहीं उभर सका। इससे जुडाह कि परेशानी हमेशा के लिए ख़तम हो गई। है सालों तक हेजेका ने जुडाह पर राज़ किया और शांति कायम रखा। हेजेका के बाद उसका बेटा राजा बना जो बहुत ही क्रूर शाशक था जिसने नबी यशायाह को मार दिया।
तो यह थी यशायाह कि कहानी। अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी तो इसे जरूर शेयर करें।
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