Abraham Bible Story in Hindi – नोहा की कहानी में हमने देखा की किश तरह से लोग ईश्वर से प्यार करना बंद करते है। लेकिन ईश्वर का सच्चा इंसान नोहा हमेशा अपने ईश्वर से प्यार करता और उनसे प्रार्थना करता। इसलिए ईश्वर ने नोहा को जल प्रलय के समय मार्ग दिखाया और उसकी सहायता की।

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जल प्रलय के बाद सारे लोग मारें गए लेकिन नोहा और उसका परिवार ही उस जल प्रलय से बच सका। प्रलय के बाद ईश्वर ने नोहा को आशीर्वाद दिया और उससे अपना विस्तार करने को कहा। धीरे-धीरे नोहा का परिवार फैलता गया और सबका विस्तार होता गया।

कौन था अब्राहम – Abraham Bible Story in Hindi


नोहा के बहुत समय बाद एक व्यक्ति था जिसका नाम था अबराहम। अब्राहम भी ईश्वर का सच्चा भक्त था और वह हमेशा ईश्वर से प्रार्थना करता। अबराहम के पास ढेर सारि बकरियाँ और भेड़ें थी जिसके सहारे वह अपना जीवन व्यापन करता।

अबराहम हरण की ज़मीन में अपनी पत्नी सरई के साथ रहता था। लेकिन दोनों को बस एक बात का दुःख था उनके कोई भी संतान नहीं थे। लेकिन फिर भी अब्राहम अपने ईश्वर पर आस्था रखता और उनसे प्रार्थना करता।

एक दिन एक रौशनी चमकी और एक आवाज़ अब्राहम के कानों में गूंजने लगी। वह आवाज़ ईश्वर की थी। ईश्वर अब्राहम के सपने में आए और कहा, “अब्राहम, मेरें बच्चे यह देश छोड़ दो और उस देश में जाओ जिसे मैं तुम्हें दिखाऊंगा। मैं तुम्हारे द्वारा एक महान राष्ट्र उत्पन्न करूँगा। मैं तुम्हे आशीर्वाद दूंगा और तुम्हारा नाम इतना महान कर दूंगा की तुम्हारा नाम कल्याण का स्त्रोत बन जाएगा।”

ईश्वर की कही हुई बातों को अब्राहम अपनी पत्नी सरई को बताता है और उससे कहता है की ईश्वर ने उससे बात की है।

सरई ने पूछा, “ईश्वर ने आपसे क्या कहा?”

“ईश्वर ने मुझसे कहा है की मै यह देश छोड़ दू और उनके बताए हुए देश में जाऊ। ईश्वर मेरा मार्गदर्शन करेंगे और मुझे आशीर्वाद देंगे,” अब्राहम ने जवाब में कहा।

Abraham Bible Story in Hindi
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इन बातों को सुनकर सरई थोड़ी से घबरा गई और सोचने लगी की इस तरह से अपने घर को छोड़कर जाना क्या सही होगा? लेकिन अब्राहम ने सरई को हौसला दिया और कहा की यह ईश्वर की मर्ज़ी है वह जो भी करेंगे अच्छा ही करेंगे। इसलिए हमें उनपर भरोसा रख उनके बताए हुए मार्ग में चलने होगा।

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अब्राहम की यात्रा


इसके बाद अब्राहम अपनी पत्नी, भतीजा लूट, और अपने जानवरों को लेकर हरण से निकल जाता है जैसा की उसे ईश्वर ने कहा था। वें चलते गए उन्होंने घने जंगलों को पार किया, पेड़ के तरह-तरह के फलों को खाया, नदी का पानी पिया और मुश्किल से मुश्किल हालातों का सामना किया। इसके बावजूद भी अब्राहम और उसके परिवार वालों का ईश्वर के प्रति विश्वास कम नहीं हुआ।

अब्राहम ने बहुत ही लम्बा सफर तय किया और अंत में वें कनान देश जा पहुंचे। वहाँ पहुंच कर अब्राहम और उसके परिवार वाले खुश हुए। फिर अब्राहम ने ईश्वर से शुक्रिया कहने का सोचा और वह ईश्वर से प्रार्थना करने लगा, “मेरें ईश्वर आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जो आपने मुझे रास्ता दिखाया। “

फिर एक रौशनी अब्राहम की ओर आई और उसने कहा, “अब्राहम मैं यह देश तुम्हारे वंशजो को दूंगा और तुम्हें यहाँ रहना है। ” वह आवाज़ ईश्वर की थी। इसके बाद अब्राहम ने फिर ईश्वर को शुक्रिया कहा।

Abraham Bible Story in Hindi
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अब्राहम ने कनान के देश में अपने रहने की तयारी की। अब सब वहाँ रहने लगे लेकिन लंबे समय तक वहाँ बारिश नहीं हुई। जिसकी वजह से अकाल की स्थिति उत्पन्न होने लगी और सब सूखा हो गया और पिने का पानी भी नहीं था। धीरे-धीरे पालतू जानवर मरने लगे। पानी की इस परेशानी के चलते अब्राहम और उसका परिवार दक्षिण की ओर चल पड़े। चलते-चलते वें मिस्त्र की सीमा में जा पहुंचे।

अब्राहम को यह बात पता थी की मिस्त्र में नील नदी बहती है और उस नदी के किनारे अनाज का बाजार लगता है जहाँ से वें अपने लिए अनाज खरीद सकते है। लेकिन सरई सोचने लगी की मिस्त्र के लोग उन्हें वहाँ जाने देंगे या नहीं ? उन्हें इस बात का भी डर था की मिस्त्र के लोग उन्हें लूट लेंगे तो क्या होगा?

अब्राहम को इस बात का भी डर था की मिस्त्र के लोग सरई की खूबसूरती देख उसके ओर आकर्षित हो सकते है और सरई को नुकसान पंहुचा सकते है। इसीलिए अब्राहम ने एक तरकीब खोज निकाली और उसने निर्णय लिया की वह सरई को अपनी बहन बताएगा। ऐसा करने से मिस्त्र के लोग सरई को परेशान नहीं करेंगे।

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अब्राहम और मिस्त्र का राजा


अब अब्राहम, उसकी पत्नी और उसका भतीजा मिस्त्र की सीमा के अंदर जा पहुंचे। वहाँ उन्होंने राजा के पहरेदार से व्यापर के बारें में बात की। लेकिन पहरेदार की नज़र सरई पर जा पड़ी और वह उसकी खूबसूरती को देखता रहा। पहरेदार ने निर्णय लिया की वह उन्हें राजा के पास लेकर जाएगा।

पहरेदार उन्हें मिस्त्र के राजा फ़राओ के पास लेकर गया। मिस्त्र का राजा फ़राओ सरई की खूबसूरती को देख कर आकर्षित होने लगा। उसने सरई से पूछा, “तुम कौन हो ? तुम्हें इससे पहले मैंने यहाँ कभी नहीं देखा।”

“मेरा नाम सरई है मैं उत्तर दिशा से अपने भाई अब्राहम के साथ आई हु। मुझे खाने के लिए अनाज और पिने के लिए पानी चाहिए,” सरई ने जवाब दिया।

राजा ने कहा, “सरई तुम बहुत खूबसूरत हो। आज तुम यहाँ मेरे साथ रात का खाना खाना। “

राजा का आमंत्रण सरई ने इस बात पर स्वीकार किया की उसके साथ उसके परिवार वाले भी होंगे। राजा ने उसकी शर्त मंजूर की। रात होते ही सब खाने के लिए इक्कठा हुए। राजा ने सरई से कहा की वें सब वही रुक जाए। इसके बाद राजा ने अब्राहम से कहा की मैं तुम्हें गवर्नर बना दूंगा और बदले में मुझे सरई से शादी करनी है। अब्राहम डरा हुआ था इसलिए उसने राजा की बात मान ली।

अब रात हो चला था सब अपने अपने कमरे में जा पहुंचे। लेकिन राजा सरई के कमरे के अंदर गए और सरई के पास जाने लगे। सरई के पास जाते ही राजा के सर पर ज़ोर का दर्द होने लगा और वह नीचे गिर पड़ा। नीचे गिरते ही उसने अपने वैद को बुलाने का आदेश दिया।

वैद ने राजा को बड़ी बारीकी से देखा और कहा की यह ईश्वर का श्राप है। क्योकि वह सरई के नज़दीक जाने की कोशिश कर रहा था और सरई किसी और की पत्नी थी। यह जानते ही राजा ने सरई से पूछा, “तुमने मुझे से झूट बोला। तुम पहले से ही शादी-शुदा हो। कौन है तुम्हारा पति ?”

सरई ने कहा, “जी मेरा पति अब्राहम है हमने आपने झूट बोला क्योकि हम सबसे बच सके। अगर हम ऐसा नहीं करते तो हमें खतरा हो सकता था। “

राजा ने अब्राहम को बुलाने का आदेश दिया। अब्राह के आते ही राजा ने उससे ढेर सारें सवाल पूछे। अब्राहम डर कर सारि बातें राजा को बताया और राजा से माफ़ी मांगने लगा।

राजा ने कहा, “मैं तुम्हें सिर्फ एक शर्त पर माफ़ करूँगा और यहाँ से जाने दूंगा। तुम सारा सोना भी ले जा सकते हो जो तुम्हें दिया गया है। उसके लिए तुम्हें अपने ईश्वर से प्रार्थना करनी होगी की वें मुझे इस श्राप से आज़ाद कर दे।”

अब्राहम राजा के कहे अनुसार अपने ईश्वर से प्रार्थना की और अब्राहम, उसकी पत्नी और उसका भतीजा लूट वहाँ से चल पड़े।

अब अब्राहम के पास पहले से ज़्यादा सोना था और वह पहले से और भी आमिर हो चूका था। अब्राहम वापस अपने ज़मीन में लौट आया और उसे वहाँ अब हरियाली दिखाई दी जिससे वह अपने जानवरों को खाना खिला सकता था और अपने परिवार के लिए भी खाने की व्यवस्था कर सकता था।

कुछ समय बाद अब्राह में अपने भतीजे लूट को कुछ जमीन दी और उससे कहा की वह अब उस जगह का स्वामी है। ऐसा उसने इसलिए किया क्योकि वह नहीं चाहता था की किसी भी तरह से उसके बीच मतभेद हो।

अब्राहम की दूसरी शादी

सरई अब इस बात से परेशान रहने लगी की उसका कोई संतान नहीं है और वह किसी संतान को जन्म नहीं दे सकती। इसी लिए उसने निर्णय किया की वह अब्राहम की दूसरी शादी करवाएगी। एक दिन उसने अपनी नौकरानी हगर को बुलाया और उससे कहा, “हगर तुमसे एक विनती है। तुम मेरे पति अब्राहम से शादी कर लो और अपने बच्चे को जन्म दो। “

हगर ने सराह की बात सुनी और वह अब्राहम से शादी के लिए मान जाती है। हगर से शादी के बाद अब्राहम और उनका एक बच्चा होता है जिसका नाम इश्माएल था।

कुछ सालों बाद ईश्वर ने सराह को वरदान दिया की वह 90 वर्ष की उम्र में एक बच्चे को जन्म देगी और उसका नाम इसाक होगा।

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