Panchatantra Stories in Hindi With Moral. पंचतंत्र की कहानियां बच्चों को बहुत पसंद आती है। यह कहानियां जितनी मजेदार है उतनी ही शिक्षा इन कहानियों के माध्यम से मिलती है। इन कहानियों से हमें प्रेरणाएं भी मिलती हैं तो चलिए पढ़ते हैं इन पंचतंत्र कहानियों को-

बुद्ध और भिखारी

एक ब्राह्मण का सपना पंचतंत्र कहानी Brahmin Dream Story In Hindi From Panchatantra

एक ब्राह्मण का सपना पंचतंत्र कहानी Brahmin Dream Story In Hindi.

यह कहानी एक ब्राह्मण की है जो लोगों के घर जाता और पूजा पाठ करता। एक दिन उसे दक्षिणा में ढ़ेर सारा सत्तू मिला। वह उस सत्तू को पाकर बहुत ही खुश हो गया था। घर जाकर उसने आधा सत्तू खा लिया और बचे हुए सत्तू को एक मटके में रखकर टांग दिया।

मटके को ऊपर लटकाने के बाद वह आराम से नीचे रखे हुए खटिए पर सो गया। जैसे ही उसकी आंख लगी तो वह तरह-तरह के ख्वाब देखने लगा। उसने अपने ख्वाब में देखा कि वह बचे हुए सत्तू को संभाल कर रखेगा और जैसे ही अकाल पड़ेगा तो सत्तू का दाम बढ़ जाएगा। फिर वह उन सत्तू को बेच देगा। सत्तू को बचने के बाद उसे ढ़ेर सारे पैसे मिलेंगे उससे वह एक बकरी खरीदेगा। फिर उस बकरी को बड़ा करके उसे बेच देगा। उसे बेचने के बाद मिले हुए पैसों से वह एक गाय खरीदेगा।

वह गाय का अच्छे से ध्यान रखेगा और उसके दूध को बेचकर और पैसे कमाएगा। कमाए हुए पैसों से भैंस और घोड़े खरीदेगा। घोड़ों को बेचकर वह ढेर सारे पैसे कमाएगा और उन पैसों से सोने खरीदेगा।

फिर जैसे हि सोने का दाम बढ़ेगा उसे बेचकर ढेर सारा पैसा कमाएगा। उन पैसों से वह ढेरों संपत्ति खरीदेगा और बड़ा सा घर बनवाएगा। इसके बाद वह सुंदर सी लड़की से शादी कर लेगा।

शादी कर लेने के बाद वह बच्चा पैदा करेगा और उसे दूर से बैठकर खेलता हुआ देखेगा। जब उसका बच्चा रोएगा तो वह अपनी पत्नी को जोर से चिल्लाएगा और बोलेगा कि वह बच्चे का ध्यान ठीक से नहीं रख सकती क्या?

यह सब ख्वाब में देखकर वह बहुत खुश हो रहा था। उसने यह भी देखा कि जब उसकी पत्नी काम कर रही होगी और तब वह अपने पति का कहना नहीं मानेगी तो वह उठकर उसे लात मारेगा। जब वह सपना देख रहा था तभी लेटे-लेटे उसने अपना पैर ऊपर की ओर दे मारा। उसका पैर सीधा मटके पर लगा। इसकी वजह से वह मटका नीचे गिरकर टूट गया और पूरा सत्तू बर्बाद हो गया। ब्राह्मण की नींद खुली तो उसने देखा कि उसका पूरा सपना बर्बाद हो गया। Panchatantra Stories in Hindi With Moral.

Moral of Brahmin Dream Story In Hindi

इसीलिए कहते हैं कि हमें बे वजह सपने नहीं देखने चाहिए और व्यर्थ ही लालच नहीं करना चाहिए। हमें अपना दिमाग अपने काम पर लगाना चाहिए और लालच नहीं करना चाहिए। एक ब्राह्मण का सपना पंचतंत्र कहानी Brahmin Dream Story In Hindi.

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तीन बैलों की पंचतंत्र कहानी The Lion and The Three Bulls Story in Hindi From Panchatantra

तीन बैलों की पंचतंत्र कहानी The Lion and The Three Bulls Story in Hindi.

यह कहानी एक जंगल की है जहां तीन बैल एक साथ रहा करते थे। तीनों में अच्छी मित्रता थी और वे एक साथ रहा करते थे। वे एक साथ खुश थे। तीनों बैल एक साथ जंगल में घास चरने जाया करते थे और इसकी वजह से वे सुरक्षित भी थे।

जंगल में एक शेर भी था जो बहुत ही खूंखार था। जंगल का शेर हमेशा तीन बैलों पर नजर रखता था और वह उन्हें खाना चाहता था। उसने कई बार उन तीनों पर हमला भी किया लेकिन वह असफल रहा क्योंकि जब कभी भी वह हमला करता था तो तीनों बैल त्रिकोण बनाकर अपना बचाव करते थे और शेर को मार कर भगा देते थे। इसी वजह से शेर उनका शिकार नहीं कर पा रहा था। दिन भर वह शेर यह सोचता रहता था कि वह किस तरह से उनका शिकार करेगा।

बहुत दिनों तक विचार करने के बाद शेर को समझ में आ गया था कि उसे तीनों की मित्रता को तोड़ना होगा और उन्हें अलग करना होगा। इसके लिए उसने एक चाल चली। शेर जंगल में अफ़वाह फैला दिया कि उन तीन बैलों में से एक बैल अपने दोस्तों को धोखा दे रहा है।

जैसे ही यह बात उन बैलों को पता चली तो तीनों की दोस्ती में दरार आने लगा। वह सब एक दूसरे पर शक करने लगे थे। ऐसे में तीनों की मित्रता टूट गई और फिर वे अलग रहने लगे। इसकी वजह से उन्हें अकेले ही जंगल में जाना पड़ता।

शेर जो चाहता था वह पूरा हो चुका था। अब वह एक-एक करके तीनों का शिकार कर सकता था। एक दिन उसने देखा कि तीनों में से एक बैल जंगल में घास चरने आया था। उसने मौके का फायदा उठाकर उस बैल पर हमला कर दिया और उसे मारकर खा गया। कुछ दिनों बाद उसने दूसरे बैल को भी मार दिया और उसे खा गया।

अपने दोनों दोस्तों की मौत की खबर सुनकर तीसरा बैल भी समझ चुका था कि शेर उसे भी मार कर खा जाएगा और वैसा ही हुआ। कुछ दिनों के बाद शेर ने उस तीसरे बैल को भी मार डाला और उसे खा गया। Panchatantra Stories in Hindi With Moral

Moral of The Lion and The Three Bulls Story in Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है उनकी एकता में बल होता है और इस गाने से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अफवाह पर भरोसा नहीं करना चाहिए। तीन बैलों की पंचतंत्र कहानी The Lion and The Three Bulls Story in Hindi.

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बिल्ली और चूहों की पंचतंत्र कहानी Cat and Rat Story in Hindi From Panchatantra

बिल्ली और चूहों की पंचतंत्र कहानी Cat and Rat Story in Hindi.

एक बड़े से घर में ढेर सारे चूहे रहा करते थे। उस घर में लगभग 100 से भी ज्यादा चूहे थे। वे उस घर में बड़े मौज से रहते। वहां उन्हें खाने पीने के लिए पर्याप्त भोजन भी मिल जाता था। रोज उनका पेट अच्छे से भरता था। चूहों का जीवन वहां बहुत अच्छे से चल रहा था। लेकिन यह सब कुछ बदलने वाला था।

एक दिन अचानक उस घर में बड़ी सी बिल्ली घुस आई। जैसे ही वह बिल्ली उस घर के अंदर घुसी तो उस बिल्ली को देखकर सारे के सारे चूहे अपने बील के अंदर घुस गए। सब अपने बील में जाकर छुप गए। बिल्ली ने एक साथ इतने सारे चूहे कभी नहीं देखे थे। इतने सारे चूहों को देखकर बिल्ली के मुंह में पानी आ गया और वह सोचने लगी कि वह इन चूहों को खाएगी।

जैसे ही रात का समय होता तो वह बिल्ली अंधेरे में छुप जाती और चूहों के बाहर आने का इंतजार करती। रात होते ही वे चूहे खाने की तलाश में बाहर निकलते थे और एक-एक करके बिल्ली उनका शिकार कर लेती। बिल्ली का आतंक दिन भर दिन बढ़ता ही जा रहा था। उन चूहों को समझ नहीं आ रहा था कि वह बिल्ली से कैसे बचेंगे? क्योंकि बिल्ली बहुत चालाक थी।

ऐसे में चूहों ने एक सभा बुलाया। उस सभा में घर के सारे चूहे मौजूद थे। सब इस बात की चर्चा कर रहे थे कि बिल्ली से कैसे बचा जाए। लोगों ने एक के बाद एक ढेरों सुझाव दिए लेकिन किसी का भी सुझाव सटीक नहीं था। तभी उनमें से एक बूढ़ा चूहा सामने आकर बोला कि उन सबको बिल्ली के गले में एक घंटी बांध देनी चाहिए जिससे कि वे उस बिल्ली से बच सके। जैसे ही बिल्ली कहीं जाएगी या आएगी तो घंटी की आवाज से उन सब को पता चल जाएगा की बिल्ली कहां है?

यह सुझाव लोगों को बेहद पसंद आया और इसे सुनकर वे सारे चूहे मजे से नाचने लगे। सभी मजे से नाच रहे थे कि तभी एक समझदार चूहा जोर से चिल्ला कर उन्हें शांत कराया और उन सब से बोला कि अभी भी खतरा टला नहीं है। ऐसा करने के लिए उन सबको सबसे पहले उस बिल्ली के गले में घंटी बांधनी होगी। यह काम करना बहुत ही कठिन होगा। यह सुनकर सारे चूहे फिर से निराश होकर सोचने लगी कि उस बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा?

जब वे सब यह बात कर रहे थे तभी बिल्ली के आने की आहट सुनाई दी और सारें चूहे वहां से भाग गए और अपने अपने बिल में जाकर छुप गए। लेकिन कोई भी उस बिल्ली के गले में घंटी नहीं बांध सका और वह बिल्ली उन चूहों का शिकार करती रही। Panchatantra Stories in Hindi With Moral.

Moral of Cat and Rat Story in Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें सिर्फ योजना ही नहीं बनाना चाहिए बल्कि उस योजना पर काम भी करना चाहिए। नहीं तो हमें कभी भी परिणाम नहीं मिलेगा। कई लोग ऐसे होते हैं जो सिर्फ योजना बनाते हैं लेकिन उस पर कभी काम नहीं करते। ऐसे लोग सिर्फ और सिर्फ सोचते रहते हैं कि उन्हें सफलता कब मिलेगी? सफलता तभी मिल सकती है जब योजना पर काम किया जाए। बिल्ली और चूहों की पंचतंत्र कहानी Cat and Rat Story in Hindi.

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एक हाथी और चींटी की पंचतंत्र कहानी Elephant and Ant Story in Hindi From Panchatantra

एक हाथी और चींटी की पंचतंत्र कहानी Elephant and Ant Story in Hindi.

एक बड़े से जंगल में बड़ा सा हाथी रहता था। उस हाथी को अपने शरीर और ताकत पर बड़ा ही घमंड था। वह जंगल के जानवरों को बेवजह परेशान करता और उन्हें तंग करता। जंगल के सारे जानवर उस हाथी से बहुत ही ज्यादा परेशान थे। लेकिन वह कुछ भी नहीं कर सकते थे क्योंकि हाथी बहुत ही बड़ा और ताकतवर था।

अचानक एक दिन वह हाथी जंगल की सैर पर निकला तो उसे रास्ते में एक खरगोश दिखा। वह अपने घर से निकलकर गाजर खा रहा था। उस कछुए को देखकर हाथी ने उससे कहा कि तुम जो खा रहे हो वह मुझे दे दो।

ऐसे में उस खरगोश ने हाथी को अपना खाना देने से मना कर दिया। गुस्से में आकर हाथी ने खरगोश के घर को तोड़ दिया और आगे बढ़ चला। बेचारा खरगोश अब परेशान हो गया। आगे जाकर हाथी को पेड़ पर एक तोता मिला। हाथी ने तोते से कहा कि वह उसके सामने झुके और हाथी को सलाम करें। तोते ने ऐसा करने से मना कर दिया। हाथी उस तोते को सबक सिखाने के लिए पूरे पेड़ को ही उखाड़ दिया। वह तोता वहां से उड़ चला। तोते को वहां से जाता देख हाथी हंसने लगा।

ऐसा करने के बाद हाथी और आगे जा पहुंचा और उसे एक तालाब मिला जहां वह पानी पीने लगा। पास में उसे एक चींटी दिखा। उसने चींटी से पूछा कि तुम क्या कर रहे हो?

तब चींटी ने जवाब दिया कि वह बारिश आने से पहले खाना इकट्ठा कर रहा है ताकि उसे बारिश में कोई परेशानी ना हो। ऐसे में हाथी ने अपने सूंड में पानी भरा और उसे चींटी के ऊपर फेंक दिया। चींटी का पूरा खाना बर्बाद हो गया। यह सब देखकर चींटी को बहुत गुस्सा आया और उसने हाथी से बदला लेने का सोचा।

कुछ दिनों बाद चींटी ने देखा कि हाथी अपना खाना खाकर सो रहा था। मौका देखकर चींटी हाथी की सूंड में घुस गया और सूंड के अंदर जोर से काटने लगा। हाथी को बहुत ही ज्यादा दर्द और जलन होने लगा। जिसके चलते हाथी जोर-जोर से रोने लगा। हाथी के रोने की आवाज सुनकर चीटी सूंड से बाहर निकल आया। चींटी को देखकर हाथी डर गया।

अब हाथी को समझ में आ चुका था कि उसे किसी को भी परेशान नहीं करना चाहिए। हाथी ने चींटी से माफी मांगा और उससे बोला कि वह अब से किसी को भी परेशान नहीं करेगा। Panchatantra Stories in Hindi With Moral.

Moral of Elephant and Ant Story in Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमने किसी को भी बेवजह परेशान नहीं करना चाहिए। नहीं तो वह हम से दुश्मनी निभा सकता है। ऐसे में हम खुद का ही नुकसान कर सकते हैं। हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए अगर हम दूसरों की मदद नहीं सकते तो उनका नुकसान भी नहीं करना चाहिए। एक हाथी और चींटी की पंचतंत्र कहानी Elephant and Ant Story in Hindi.

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हंस और कछुए की पंचतंत्र कहानी Swan and Tortoise Story in Hindi From Panchatantra

हंस और कछुए की पंचतंत्र कहानी Swan and Tortoise Story in Hindi.

बड़े से जंगल के बीच में एक छोटा सा तालाब था। उस तालाब में ढेरों जानवर रहते थे और बहुत से जानवर वहां पानी पीने आते थे। उस तालाब में एक कछुआ भी था जो बेवजह बातें किया करता था। वह कछुआ बहुत बातें करता था और बिना मतलब के कुछ भी बोलता था। उसके इस आदत से सारे लोग उससे परेशान रहते थे।

उस कछुए के दो अच्छे दोस्त भी थे जो उसका बहुत ख्याल रखते थे और उसके बारे में सोचते थे। वे दोनों दोस्त हंस थे। दोनों हंस और कछुआ तीनों बहुत अच्छे दोस्त थे।

कुछ दिनों बाद गर्मी आ गई गर्मी की वजह से तालाब का पानी सूखने लगा। इसकी वजह से तालाब के सारे जानवर चिंतित हो गए। ऐसे में दोनों हंसो को अपने दोस्त कछुए की चिंता सताने लगी।

वे दोनों हंस कछुए के पास गए और उसे बोले की उसे यह तालाब छोड़कर किसी अन्य तालाब में जाना चाहिए ताकि वहां जाकर कछुआ बड़े आराम से रह सके। यह सुनकर कछुए ने उनसे कहा कि वह कोई अन्य तलाब के बारे में नहीं जानता तो वह कैसे दूसरे तालाब में जा सकता है?

दोनो हंसो ने उससे कहा कि पास में एक बड़ा सा तालाब है जहां का पानी नहीं सूखता वह उसे वहां लेकर जा सकते हैं। हंसों की यह बातें सुनकर कछुआ राजी हो गया और वह उस तालाब में जाने के लिए तैयार हो गया।

कछुए को नए तालाब में ले जाने के लिए हंसो ने एक तरकीब खोज निकाली। वे एक लकड़ी लेकर आएंगे और उस लकड़ी के दोनों कोने को एक-एक हंस पकड़ेंगे। बीच में कछुआ लकड़ी को अपने मुंह से दबाकर पकड़ेगा। फिर वे उड़कर कछुए को तालाब में ले जाएंगे।

उड़ने से पहले हंसो ने उस कछुए से कहा कि उसे कुछ भी नहीं कहना है। अगर वह कुछ भी बोलेगा तो लकड़ी उससे छूट जाएगी और वह नीचे गिर जाएगा। उन्होंने कछुए से यह भी कहा कि नए तालाब में पहुंचकर वह जितना चाहे उतना बात कर सकता है।

दोनों हंसो ने उड़ना चालू किया और कछुआ लकड़ी को मुंह में दबाए हुए पकड़ा था। जब वे एक गांव के ऊपर से गुजर रहे थे तो नीचे गांव में मौजूद लोग ऐसा दृश्य देखकर अचंभित थे। गांव वालों ने ऐसा पहली बार देखा था की दो हंस मिलकर एक कछुए को कहीं ले जा रहे हो। ऐसे में गांव वाले मिलकर तालियां बजाने लगे। कछुआ उन सब को देखकर रुक नहीं पाया और बोला नीचे सारे लोग क्या कर रहे हैं? जैसे ही वह कछुआ यह बोला वह तुरंत ही नीचे गिरने लगा। वह इतनी ऊंचाई से गिरा था कि जमीन में गिरते ही उसकी मौत हो गई। Panchatantra Stories in Hindi With Moral.

Moral of Swan and Tortoise Story in Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें बेवजह कुछ भी नहीं कहना चाहिए नहीं तो हम अपने लिए ही मुसीबत पैदा कर सकते हैं। हंस और कछुए की पंचतंत्र कहानी Swan and Tortoise Story in Hindi.

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मूर्ख ऊंट की पंचतंत्र कहानी Foolish Camel and The Lion Story in Hindi From Panchatantra

मूर्ख ऊंट की पंचतंत्र कहानी Foolish Camel and The Lion Story in Hindi.

एक बार की बात है एक ऊंट अपने झुंड से अलग होकर जंगल में जा पहुंचा। वह जंगल में जाकर खो गया था। वह समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करेगा? ऐसे में ऊट जंगल में यूं ही भटकता रहा।

उस जंगल में एक खूंखार शेर रहता था जो जानवरों का शिकार करके उन्हें खा जाता। उस शेर के तीन सेवक भी थे। कौवा, सियार और चीता यह तीनों उस शेर के सेवक थे। शेर जो भी शिकार करता फिर उसे खा जाता और जो भी बचता उसे कौवा, सियार और चीता मिलकर खाते और अपना पेट भरते थे।

वह शेर जंगल में ऊंट को देखकर अपने सेवकों से पूछा, “यह कौन सा जानवर है? आज तक मैंने इसे यहां कभी नहीं देखा?”

ऐसे में कौवे ने शेर को बताया, “यह एक ऊंट है लेकिन यह जंगल में नहीं रहता। शायद यह अपने दोस्तों के झुंड से अलग होकर यहां भटकता हुआ आ गया है।”

कौवे ने शेर से फिर कहा की वह इसका शिकार कर सकते हैं। वह ऊट खाने में स्वादिष्ट होगा। शेर ने कौवे की बात सुनी लेकिन वह उस ऊंट को नहीं खाना चाहता था। शेर ने उनसे कहा, “यह हमारा मेहमान है। हम इसे अपने मेहमान की तरह रखेंगे।”

फिर वहां शेर उस ऊंट के पास गया और उससे पूछा कि वह यहाँ क्या कर रहा है? ऊट ने जवाब देते हुए कहा कि वह अपने झुंड से बिछड़ चुका है और यहां भटक रहा है। ऊंट की बात को सुनकर शेर को दया आ गई और उसने ऊंट को कहा की वह उसका मेहमान है और इस जंगल में रह सकता है।

ऊट उस जंगल में रहने लगा और वहां घास फूस खाकर तंदुरुस्त हो गया। ऊंट का शरीर पहले से ज्यादा अच्छा हो गया था क्योंकि उसे भरपूर खाना मिल रहा था।

एक दिन अचानक उस शेर और जंगल के हाथी के बीच लड़ाई हो गई जिससे कि शेर घायल हो गया। घायल हो जाने की वजह से शेर और शिकार नहीं कर पा रहा था। ऐसे में वह शेर धीरे-धीरे कमजोर पड़ गया। इसकी वजह से उसके सेवक कौवा, सियार और चीता तीनों भी भूखे रह रहे थे। वे तीनों भी कमजोर पड़ रहे थे।

ऐसे में कौवे ने जाकर शेर से कहा, “आप कमजोर हो गए हैं। अगर आप और कुछ दिनों तक और भूखे रहेंगे तो आपकी जान भी जा सकती है। अब आपको उस ऊट का शिकार करना चाहिए और उसे मार कर खाना चाहिए। जैससे आप फिर से दोबारा तंदुरुस्त हो जाएँगे और फिर से शिकार करना चालू कर सकेंगे।”

कौवे की वह बात सुनकर शेर गुस्सा हो गया और उससे बोला, “मैं ऐसा नहीं कर सकता वह मेरा मेहमान है।”

यह सुनकर कौवा फिर बोला, “अगर वह ऊंट खुद आकर बोले कि आप उसका शिकार करो तो क्या आप उसका शिकार करेंगे या नहीं?”

शेर ने कौवे से कहा, “हां अगर वह आकर कहे तो मैं उसका शिकार जरूर करूंगा।”

अब कौवा अपने अन्य साथी सियार और चीता के साथ मिलकर एक योजना बनाने लगे कि कैसे वे उस ऊंट को बेवकुफ बनाया जाए।

तीनो ने एक तरकीब बनाई और फिर कौवा उसके पास चला गया और ऊंट से बोला कि शेर बहुत ही ज्यादा बीमार है। वे कमजोर पड़ चुके हैं मुझे नहीं लगता कि वह बचेंगे।

जब कौवा ऐसा कह रहा था तभी सियार और चीता वहां आ गए। कौवा फिर बोला, “मैं शेर से खुद कहूंगा कि वह मेरा शिकार करें और अपना पेट भरे।”

सियार बोला, “नहीं नहीं मैं जाकर उनसे कहूंगा कि वह मेरा सिकार करें और अपना पेट भरे।”

फिर चीता भी बोला, “नहीं नहीं मैं उनसे जाकर कहूंगा कि वह मेरा शिकार करे और अपना पेट भरे।”

तीनों की बातों को सुनकर ऊंट भी कहने लगा कि मैं शेर से जाकर कहूंगा कि वह मेरा शिकार करे। ऊंट उन तीनों के जाल में फस चुका था।

ऐसे में चारों एक साथ शेर के पास गए और सबसे पहले कौवा बोला, “शेर जी आप मेरा शिकार करो और अपना पेट भर लो। मुझे खाकर तुम ठीक हो जाओगे।”

सियार बोला, “नहीं तुम्हें खाकर वे अपना पेट नहीं भर पाएंगे। उन्हें मुझे खाकर अपना पेट भरना चाहिए।”

ऐसे में चीता बोला, “नहीं अगर शेर तुम्हें खा लेंगे तो उन्हें अच्छी-अच्छी सलाह कौन देगा? फिर उनका सलाहकार कौन बनेगा? उन्हें मुझे खाना चाहिए।”

कौवा बोला, “नहीं अगर वह तुम्हें खाएंगे तो उनका सेनापति फिर कौन बनेगा?”

तीनों चालाकी से खुद को बचा चुके थे। अब बारी ऊंट की थी ऊंट को लगा कि शेर उसे नहीं खाएंगे क्योंकि वह उनका मेहमान है। ऐसे में उसने कहा, “शेर आप मेरा शिकार कर सकते हैं और मुझे खा सकते हैं।”

ऊट के ऐसा कहते ही शेर उसके ऊपर टूट पड़ा और उसका शिकार किया। वह ऊंट मर गया। शेर ने उस ऊंट को खाया फिर उसके बचे हुए हिस्सों को कौवा, सियार और चीता तीनों ने मिलकर खाया। Panchatantra Stories in Hindi With Moral.

Moral of Foolish Camel and The Lion Story in Hindi.

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी दूसरों के बहकावे में नहीं आना चाहिए और दूसरों की बातों को तुरंत नहीं मानना चाहिए। हमें अपने दिमाग का इस्तेमाल करके सही और गलत का पता लगाकर काम करना चाहिए। मूर्ख ऊंट की पंचतंत्र कहानी Foolish Camel and The Lion Story in Hindi.

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Panchatantra Stories in Hindi With Moral
Panchatantra Stories in Hindi With Moral

लोमड़ी और कौवा की पंचतंत्र कहानी Fox and Crow story in Hindi From Panchatantra

लोमड़ी और कौवा की पंचतंत्र कहानी Fox and Crow story in Hindi

एक समय की बात है एक भूखा कौवा खाने की तलाश में यहां-वहां भटक रहा था तभी उसे एक सड़क पर एक रोटी मिली। उसने उस रोटी को लिया और दूर जंगल में जाकर एक पेड़ पर बैठ गई कौवा। जब वह रोटी खाने लगा उसी वक्त एक लोमड़ी उसके पास आई।

लोमड़ी को भी भूख लगी थी और उसने कौवा के मुंह में रोटी देखकर यह सोचा कि उस रोटी को वह खाएगी। यह विचार कर उस लोमड़ी ने कौवा से कहा, “अरे कौवा! आज तुम तो बहुत ही अच्छे दिख रहे हो और मैंने सुना है की तुम बहुत अच्छा गाते हो। क्या तुम मुझे गाकर सुनाओगे? मैं तुम्हारा गाना सुनने के लिए तरस रहा हूं। “

कौवा अपनी तारीफ सुनकर बहुत ही खुश हुआ और वह गाना गाने के लिए सोचने लगा। लेकिन गाना गाने से पहले उसके दिमाग में विचार आया कि अगर वह गाना गाएगा तो उसके मुंह की रोटी नीचे गिर जाएगी और फिर लोमड़ी उसे खा जाएगी। इसलिए कौवे ने रोटी को अपने पैर के नीचे दबाया और गाना गाने लगा।

कौवे के ऐसा करने पर लोमड़ी को समझ में आ गया कि उसकी तरकीब काम नहीं कर रही है तो उसने दूसरी तरकीब आज़माई। उसने कौवे से कहा, “अरे वाह कितना मधुर गाना गाती हो। मैंने सुना है कि तुम नाचते भी बहुत अच्छा हो। क्या तुम मुझे नाच कर दिखाओगे ?”

अपनी इतनी ज़्यादा तारीफ़ सुनकर कौवे को और भी ज़्यादा खुसी हुई। ख़ुशी के मारे वाह यह भी भूल गया की उसके पैर के नीचे रोटी है। कौवा नाचने लगा। जैसे की कौवे ने अपने दोनों पैर उठाए रोटी नीचे गई। तुरंत ही लोमड़ी उस रोटी को अपने मुँह में दबाकर आगे चला गया।

Moral of Fox and Crow Story in Hindi

अब कौवे को समझ आ गया की लोमड़ी उसे बेवकूफ बना रही थी। इसीलिए कहते है की अपनी झूटी तारीफ़ सुनकर हमें खुश नहीं होना चाहिए। लोमड़ी और कौवा की पंचतंत्र कहानी Fox and Crow story in Hindi.

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मेंढक और चूहा की पंचतंत्र कहानी Frog and Rat Story in Hindi From Panchatantra

मेंढक और चूहा की पंचतंत्र कहानी Frog and Rat Story in Hindi.

एक घने से जंगल के अंदर पेड़ के नीचे चूहा बिल बनाकर रहता था। वह चूहा बहुत ही अच्छा था जो लोगों के साथ बहुत अच्छे से बर्ताव करता और वह दूसरों के साथ दोस्ती भी जल्दी कर लेता था।

उस चूहे के बिल के पास एक जलाशय था। उस जलाशय में एक मेंढक रहता था। मेंढक उस जलाशय में रहकर दिन भर यही सोचता था कि उसका जलाशय बहुत छोटा है। जिसकी वजह से वहां ज्यादा लोग नहीं रहते। ऐसे में उसका कोई भी दोस्त नहीं था। इसी बात को लेकर वह दुखी रहता था।

एक दिन जब वह जलाशय के किनारे चुपचाप दुखी होकर बैठा हुआ था तब चूहे की नजर उस पर पड़ी। मेंढक को उदास देखकर चूहा सोचने लगा कि आखिर यह इतना उदास क्यों है? ऐसे में उसने मेंढक से जाकर पूछा, “क्या बात है मेरे दोस्त तुम इतने उदास क्यों हो? मैं तुम्हें दूर से देख रहा था। तुम्हारी उदासी देखकर मुझसे रहा नहीं गया इसीलिए मैं यहां आ गया।”

मेंढक को चूहे की बात अच्छी लगी। फिर वह उसे अपने मन की बात बता दिया, “दरअसल बात यह है कि मैं जिस जलाशय में रहता हूं वह छोटा है। मेरे अलावा उस जलाशय में कोई नहीं रहता। मैं अकेला हूं मेरा कोई भी दोस्त नहीं है। इसी वजह से मैं यहां उदास बैठा हूं।”

यह सुनकर चूहा बोला, “बस इतनी सी बात है। आज से मैं तुम्हारा दोस्त बन जाता हूं।”

यह सुनकर वह मेंढक बहुत खुश हुआ क्योंकि अब उसका एक दोस्त भी था जिससे वह बातें कर सकता था और अपने मन की बातों को बता सकता था। उस दिन के बाद से मेंढक और चूहा बहुत अच्छे दोस्त बन गए। वे दोनों एक साथ बैठकर घंटों बातें किया करते। दिन प्रतिदिन उन दोनों की दोस्ती बढ़ती ही जा रही थी।

अधिकतर मेंढक चूहे के बिल में जाकर उसके साथ रहता और बातें किया करता। एक दिन मेंढक के दिमाग में एक बात घर कर गई की वह अपने दोस्त से मिलने के लिए चूहे के बील में जाता है लेकिन वह चूहा उससे मिलने मेंढक के जलाशय में नहीं आता। ऐसे में वह तरकीब बनाने लग गया कि किसी तरह से वह चूहे को जलाशय के अंदर लेकर आएगा।

अगले ही दिन वह मेंढक चूहा के पास गया और उससे बोला, “दोस्त कितना अच्छा होता कि जब हम एक दूसरे को याद करते हैं तो हमें पता चल जाता। अगर मैं तुम्हें याद करता तो तुम जान जाते और तुम मुझे याद करते तो मैं जान जाता।”

यह सुनकर चूहे ने कहा, “हां तुम्हारी बात तो बिल्कुल सही है।”

ऐसे में मेंढक ने फिर से कहा, “क्यों ना हम एक दूसरे को रस्सी से बांध ले? जब मैं जलाशय में रहकर तुम्हें याद करूंगा तब मैं रस्सी खींच लूंगा तो तुम्हें पता चल जाएगा कि मैं तुम्हें याद कर रहा हूं। वही जब तुम अपने बील में रहकर मुझे याद करोगे तब तुम रस्सी को खीचना तो मुझे पता चल जाएगा कि तुम मुझे याद कर रहे हो।”

मेंढक की तरकीब चूहे को बहुत अच्छी लगी। इसके बाद मेंढक ने अपने पैर में रस्सी बांदा और चूहे ने अपने पूछ में रस्सी को बांध लिया। ऐसा कर लेने के बाद मेंढक रस्सी को खींच-खींच कर उस चूहे को जलाशय के अंदर ले आया। चूहा फड़फड़ा रहा था क्योंकि उसे तैरना नहीं आता था। कुछ देर बाद उस चूहे की मौत हो गई।

जब ऐसा हो रहा था तब आसमान से एक चील उस चूहे को देख रहा था। वह सीधा तेजी से उड़कर नीचे आया और उस चूहे को अपने पैरों में दबाकर ऊपर उड़ गया। चूहे के साथ रस्सी से मेंढक भी बंधा हुआ था। जैसे ही वह चील चूहे को लेकर उड़ गया उसी के साथ-साथ वह मेंढक भी ऊपर हवे में उड़ने लगा। मेंढक को समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है?

फिर उसने देखा कि वह रस्सी से बंधा हुआ है और चूहा चील के पैरों में दबा है। ऐसे में वह मेंढक बहुत ज्यादा डर गया क्योंकि वह जान चुका था कि वह चील उसे नहीं छोड़ेगा और उसे मारकर खा जाएगा। चील ने वैसा ही किया। चील ने पहले चूहे को खाया फिर उसके बाद मेंढक को मारकर खा गया।

Moral of Frog and Rat Story in Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दूसरों का बुरा नहीं करना चाहिए। दूसरों का बुरा करने के चक्कर में हम खुद का भी पूरा कर देते हैं। इसिलिए हमें कभी भी दूसरों का बुरा नहीं करना चाहिए। मेंढक और चूहा की पंचतंत्र कहानी Frog and Rat Story in Hindi.

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लोमड़ी और सारस की पंचतंत्र कहानी Fox and Crane Story in Hindi From Panchatantra

लोमड़ी और सारस की पंचतंत्र कहानी Fox and Crane Story in Hindi.

बहुत समय पहले जंगल में एक लोमड़ी और सारस रहा करते थे। लोमड़ी बहुत चालाक थी। सारस बहुत समझदार और दूसरों से अच्छा व्यवहार करता था। वह दूसरों के साथ अच्छे से मिलजुल कर रहा करता था। वह कभी किसी को नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करता।

एक दिन लोमड़ी सारस को नीचा दिखाने की लिए उसके पास आई और उसे बोली, “कैसे हो मेरे दोस्त।”
“मैं बहुत अच्छा हूं,” सारस ने लोमड़ी से कहा, “तुम बताओ यहां आज कैसे आना हुआ।”

“मैं यहां तुम्हें आमंत्रित करने आई हूं। दरअसल मेरा जन्मदिन है और मैं अपने जन्मदिन के उपलक्ष में एक पार्टी का आयोजन कर रही हूं और मैं अपने जन्मदिन के लिए सबको आमंत्रित कर रही हूं। मैं चाहती हूं कि तुम भी मेरे जन्मदिन के उपलक्ष पर आओ।

“जी हां ठीक है। मैं जरूर आऊंगा।” सारस ने कहा। ऐसा कहकर लोमड़ी वहां से चली गई। फिर सारस अगले दिन का इंतजार करने लगा। जैसे ही दिन की शुरुआत हुई सारस तैयार होने लगा था ताकि वह उसके जन्मदिन के दावत में जा सके। पार्टी का समय आ चुका था अब सारस लोमड़ी के घर पहुंचा लोमड़ी ने सारस का स्वागत किया और उसे भोजन करने को कहा।

लोमड़ी ने चालाकी से सारस को एक प्लेट में खाना दिया। सारस पतली प्लेट में खाना देखकर घबरा गया क्योंकि सारस की चोंच बहुत लंबी थी और वह इस तरह से प्लेट से खाना नहीं खा सकता था। सारस हमेशा आपने पतली सुराही में खाना खाया करता था। ऐसे में सारस समझ चुका था कि लोमड़ी उसका मजाक उड़ाने के लिए और उसे नीचा दिखाने के लिए यहां बुलाई है।

लोमड़ी ने सारस से पुछा, “क्या बात है आज का खाना अच्छा नहीं है क्या? खाओ-खाओ इसे हमने बहुत अच्छे से बनवाया है तुम्हें जरूरत हो तो मैं और लेकर आ सकती हूं।”
“नहीं-नहीं इतना ही काफी है।” ऐसा कहकर सारस चुपके से चला गया।

कुछ दिनों बाद सारस का भी जन्मदिन आया इस अवसर पर वह लोमड़ी को बेवकूफ बनाना चाहता था। उसने भी जाकर लोमड़ी को आमंत्रित किया और उसे कहा, “कल मेरा जन्मदिन है तुम आना।”

“हां मैं जरूर आऊंगी।” लोमड़ी ने कहा। अगले दिन लोमड़ी तैयार होकर सारस के घर पर गया ताकि वह उसका जन्मदिन मना सके। सारस ने उसे खाने के लिए खाना दिया लेकिन सारस ने लोमड़ी को खाना एक पतली सी सुराही में दिया। लोमड़ी प्लेट में खाया करती थी। ऐसा करके सारस उसे बेवकूफ बनाना चाहता था। लोमड़ी समझ चुकी थी कि सारस वैसा ही कर रहा है जैसा उसने उसके साथ किया था।

लोमड़ी समझ चुकी थी कि उसे बेवकूफ बनाया जा रहा है। इसीलिए वह बहाना बनाकर वहां से चली गई।

Moral of Fox and Crane Story in Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो भी हो हमें अपने मेहमान का ख्याल अच्छे से रखना चाहिए और दूसरों को नीचा नहीं दिखाना चाहिए। लोमड़ी और सारस की पंचतंत्र कहानी Fox and Crane Story in Hindi.

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धोबी का गधा की पंचतंत्र कहानी Donkey and Washerman Story in Hindi From Panchatantra

धोबी का गधा की पंचतंत्र कहानी Donkey and Washerman Story in Hindi.

एक छोटे से गांव में धोबी रहता था। वह धोबी बहुत ही मेहनती था जो लोगों के कपड़े धोता और उन्हें अच्छे से वापस दे देता। यही उसकी आमदनी का स्त्रोत था। इससे वह पैसे कमाता और अपना पेट पालता था। उस धोबी के पास एक गधा भी था। वह गधा भी बहुत मेहनती था और अपने मालिक से बहुत प्यार करता था। धोबी भी अपने गधे का बहुत अच्छे से ध्यान रखता था।

धोबी और गधा सुबह-सुबह उठकर गांव के घरों में जाते और उनसे गंदे कपड़े ले आते। धोबी कपड़ों की गटरी बनाकर गधे के ऊपर रख देता था। जब कपड़ा इकट्ठा करने का काम पूरा हो जाता तब वे दोनों वापस घर आ जाते थे। धोबी अपने गधे को घास देखें कपड़ों को धोने लग जाता था। कपड़ों को धोकर वह कड़कती धूप में उन्हें सुखा देता। जैसे ही कपड़े सूख जाते हैं उन्हें वह निकाल कर अच्छे से उसे व्यवस्थित करके उसकी गठरी बनाता। बनाए हुए गठरी को गधे के ऊपर लाद देता और कपड़ों को वापस लोगों के घर दे आता। ऐसा वह हर दिन करता था।

धीरे-धीरे समय बीतता गया और धोबी का गधा बूढ़ा होने लगा था। बूढ़ा होने की वजह से गधा ज्यादा वजन नहीं लाद सकता था।

एक दिन वे दोनों गर्मी के समय गांव में जा रहे थे। गर्मी की वजह से दोनों की हालत खराब हो चुकी थी। गधे की हालत और भी ज्यादा खराब थी क्योंकि उसकी पीठ पर वजन रखे हुए थे। ऐसे में धोबी ने विचार किया कि वे दोनों धूप से बचने के लिए पेड़ के नीचे कुछ देर तक बैठ जाएंगे। सामने ही एक बड़ा सा पेड़ था।

धोबी अपने गधे को लेकर उस पेड़ के पास जाने लगा। उस पेड़ की ओर जाते-जाते गधे का पैर लड़खड़ाने लगा और वह पास के एक गड्ढे में गिर गया। गड्ढे में गिरते ही वह गधा जोर-जोर से चिल्लाने लगा।

दूसरी तरफ उसका मालिक धोबी उसे बाहर निकालने के लिए तरह-तरह के प्रयत्न करने लगा। कुछ देर बाद उस जगह गांव के अन्य लोग भी आ गए। वे लोग भी धोबी की सहायता करने लगे। कुछ देर तक कोशिश करने के बाद भी वे मिलकर गधे को वहां से नहीं निकाल पाए।

ऐसे में एक वयक्ती उस धोबी के पास आकर बोला, “क्या तुम इसके पीछे अपना समय बर्बाद कर रहे हो। जाने भी दो इस गधे को वैसे भी यह बूढ़ा हो चुका है और तुम्हारी किसी काम का नहीं है।”

उस व्यक्ति की बात को सुनकर वह धोबी मानने को राजी नहीं था। लेकिन वहां मौजूद बाकी लोगों के कहने पर वह धोबी मान गया। इसके बाद वे सारे लोग उस गधे को जिंदा ही उस गड्ढे में दफना देना चाहते थे।

इसके लिए लोगों ने फावड़ा लाया और उसके ऊपर मिट्टी डालने लगे। गधे के ऊपर मिट्टी ढलता ही जा रहा था। गधे को समझ में आ गया था कि उसके साथ क्या हो रहा है। ऐसे में वह गधा रोने लगा और जोर-जोर से चिल्लाने लगा लेकिन कुछ देर बाद वह चुप हो गया।

धोबी ने एक अनोखी बात इस गधे में देखी। धोबी ने देखा कि गधा समझदारी के साथ मिट्टी के ऊपर धीरे-धीरे चढ़ता जा रहा था। लोग उस पर मिट्टी डाल रहे थे लेकिन गधा मिट्टियों को हटाकर उसके ऊपर पैर रख देता था।

कुछ देर तक ऐसे करने के बाद वह गधा गड्ढे से बाहर आ गया और अपनी जान को बचा लिया। गधे को बाहर सुरक्षित देख उसका मालिक धोबी बेहद खुश हो गया।

Moral of Donkey and Washerman Story in Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मुसीबत के समय हमें रोकर या पछता कर समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। बल्कि हमें मुसीबत से बचकर निकलने के बारे में सोचना चाहिए और अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए। इस कहानी में गधे ने वैसा ही किया। वह कुछ देर तक रोया लेकिन बाद में उसने अपने दिमाग का इस्तेमाल कर ऊपर आ गया। धोबी का गधा की पंचतंत्र कहानी Donkey and Washerman Story in Hindi.

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व्यापारी का पतन और उदय पंचतंत्र कहानी The Fall and Rise of a Merchant in Hindi From Panchatantra

व्यापारी का पतन और उदय पंचतंत्र कहानी The Fall and Rise of a Merchant in Hindi.

शहर में एक बहुत ही प्रचलित कुशल व्यापारी रहता था। लोग उसकी बेहद प्रशंसा करते थे क्योंकि वह बहुत ही कुशल था और व्यापार को चलाना बखूबी जानता था। उसकी प्रशंसा राजा के कानों में पहुंची। राजा ने उसकी प्रशंसा और उसकी कुशलता के बारे में सुनकर उसे राज्य के व्यापार को संभालने को जिम्मेदारी दी। वह राज्य के व्यापार को संभालने लगा।

उस व्यापारी की एक बेटी भी थी जो बहुत बड़ी हो चुकी थी। अब उसकी शादी का समय आ चुका था। व्यापारी ने अपनी बेटी की शादी के लिए बहुत ही बेहतरीन आयोजन किया था। शादी में उसने राजा, राजघराने के लोगों और शहर के अन्य लोगों को भी आमंत्रित किया।

शादी के दिन उसके घर सब पधारें। उसी समय एक राजघराने का नौकर गलती से राजघराने की कुर्सी पर बैठ गया। यह देखकर वह व्यापारी बहुत ही ज्यादा गुस्सा हो गया। गुस्से में आकर उसने उस नौकर को आयोजन से बाहर निकाल दिया। इन सब से उस नौकर को बहुत ही ज्यादा बुरा लगा। वह खुद को अपमानित महसूस कर रहा था। ऐसे में उसने व्यापारी से बदला लेने का सोचा।

कुछ दिनों बाद वह सुबह-सुबह राजा के कमरे की सफाई कर रहा था। उस समय नौकर ने देखा कि राजा की नींद कच्ची थी। राजा हल्की नींद में थे। उसने इस बात का फायदा उठाया और हल्की सी आवाज में बोला, “उस व्यापारी की इतनी हिम्मत जो वह रानी को इस तरह से अपमानित करें।”

यह सुनकर राजा तुरंत उठ गए और उन्होंने नौकर से पूछा, “तुमने क्या कहा था फिर से कहना जरा? क्या उस व्यापारी ने रानी को अपमानित किया?”

राजा के सवाल पूछते ही वह नौकरी उनके पैरों में गिर गया और उनसे माफी मांगने लगा। वह राजा से बोला, “मुझे माफ कर दीजिए महाराज। मैं रात को ठीक से नहीं सोया इसीलिए कुछ भी बड़बड़ा रहा हूं। आप मेरी बात पर ध्यान मत दीजिए।” यह कहकर वह नौकर वहां से चला गया। लेकिन राजा के मन में एक शंका घर कर गई।

यह सब सुनकर राजा ने उस व्यापारी को महल में आने से मना कर दिया और उसके अधिकारों को भी कम कर दिया। अगले ही दिन वह व्यापारी जब महल के अंदर आने के लिए दरवाजे पर पहुंचा तो पहरेदार ओ ने उसे रोक दिया और उससे बोला, “आप अंदर नहीं जा सकते। आपको अंदर जाना मना है।”

उसी समय पास में वह नौकर खड़ा था जो यह सब देखकर जोर-जोर से हंस रहा था और वह बोला, “अरे अरे तुम नहीं जानते क्या यह कौन है? यह बहुत ही पहुंचे हुए आदमी है। यह चाहे तो किसी को भी कहीं से भी निकाल सकते हैं।” यह कहकर वह नौकर वहां से चला गया।

उस नौकर की बात को सुनकर व्यापारी समझ चुका था कि यह सब उस नौकर का किया हुआ है। व्यापारी समझ चुका था कि नौकर ने उससे बदला लिया है। ऐसे में व्यापारी ने फिर से उस नौकर को आमंत्रित किया। व्यापारी ने नौकर की अच्छे से सेवा की और उससे माफी मांगा। यह सब देखकर वह नौकर खुश हो गया और पुरानी बातों को भूल गया।

खुश होकर नौकर ने उस व्यापारी से कहा, “आप चिंता मत करो मैं आपके पुराने पद को वापस दिल्वौंगा।” यह कहकर नौकर खुशी-खुशी वहां से चला गया।

अगले दिन वह नौकर फिर से राजा के कमरे की सफाई कर रहा था। तब उसने देखा कि राजा की नींद कच्ची है उसने बोला, “हे भगवान हमारे राजा के कितने भूखे रहते है। वह घूसलखाने में भी खाना खाते हैं।”

उस नौकर की यह बात सुनकर राजा तुरंत खड़े हो गए और उससे बोले, “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे बारे में यह सब बोलने की।”

ऐसे में वह नौकर फिर से राजा के पैरों में गिर गया और उनसे बोला, “मुझे माफ कर दीजिए मैं कल रात को ठीक से नहीं सोया इसीलिए कुछ भी बड़बड़ा रहा हूं।” यह कहकर नौकर फिर से वहां से चला गया।

इसके बाद राजा को समझ में आया कि अगर वह नौकर राजा के बारे में उल्टी सीधी बात कह सकता है तो उसने व्यापारी के बारे में भी झूठ ही बोला होगा। ऐसे में राजा ने व्यापारी का पद उसे वापस दे दिया।

Moral of The Fall and Rise of a Merchant in Hindi.

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी का भी अपमान नहीं करना चाहिए। नहीं तो अपमानित हुआ व्यक्ति हम से बदला लेकर हमारा नुकसान कर सकता है। अगर हमने अनजाने में ही किसी का अपमान कर दिया हो तो समय रहते हैं उससे माफी मांग लेनी चाहिए। व्यापारी का पतन और उदय पंचतंत्र कहानी The Fall and Rise of a Merchant in Hindi.

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बंदर और लकड़ी का खूंटा पंचतंत्र कहानी The Monkey and The Wedge Story in Hindi From Panchatantra

बंदर और लकड़ी का खूंटा पंचतंत्र कहानी The Monkey and The Wedge Story in Hindi. शहर के पास एक मंदिर बनने वाला था। उस मंदिर को बनाने के लिए लकड़ियों की व्यवस्था की गई। पेड़ों को काटकर लकड़ियां मंगवाई गई ताकि मंदिर को अच्छे से बनाया जा सके। मंदिर को बनाने के लिए शहर से ढेरों कारीगरों को बुलाया गया। वह कारीगर लकड़ियों को काट काटकर उसे आकार देते थे। वे सारे कारीगर दोपहर को खाना खाने के लिए शहर जाते। जब वे शहर जाते थे तो वह काम की जगह सुनसान खाली रहती थी।

एक दिन एक कारीगर लकड़ी के टुकड़े को बीच से काट रहा था। लकड़ी का टुकड़ा आधा कटा ही था कि खाना खाने का समय हो गया। ऐसे में वह लकड़ी का टुकड़ा फिर से ना जुड़ जाए इस वजह से उसने लकड़ी के बीच में एक खुटा फंसा दिया। यह करने के बाद वह खाना खाने चला गया।

जब उस जगह पर कोई नहीं था तब एक बंदर का झुंड वहां पर आ पहुंचा। उस बंदर के झुंड में एक शरारती बंदर भी था जो इधर-उधर घूमकर काम की चीजों को इधर उधर बिखरा रहा था। बंदरों का मुखिया उन सब को यह करने से मना कर रहा था। फिर कुछ देर बाद मुखिया ने सबको वहां से चलने का आदेश दिया।

सारे बंदर वहां से जाने लगे लेकिन वह शरारती बंदर पीछे ही रह गया। उस बंदर ने देखा कि एक लकड़ी के टुकड़े को बीच से फाड़ा गया था और उस पर खुटा फंसा हुआ था। ऐसे में वह बंदर उस खूटे को निकालने की कोशिश करने लगा। वह जोर लगा लगाकर उस खुटे को निकाल रहा था।

ऐसा करते-करते उसकी पूंछ उस लकड़ी के टुकड़े के बीच में जाकर फंस गई। लेकिन उसे इस बात का कोई ध्यान नहीं था कि उसकी पूछ लकड़ी के बीच में फंसी हुई है। बंदर ने जोर लगा कर खुटा बाहर निकाल दिया और तभी उसकी पूंछ लकड़ी के बीच में जोर से फस गया। दर्द के मारे वह बंदर चीखता चिल्लाता रहा।

तभी वह कारीगर वहां वापस लौट आया। वह बंदर की मदद करने आगे आ रहा था कि बंदर वहां से भागने लगा। भागते-भागते उसकी पूछ के दो टुकड़े हो गए। बंदर की टूटी हुई पूछ देखकर उसके बाकी के साथी उस पर जोर-जोर से हंसने लगे।

Moral of The Monkey and The Wedge Story in Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दूसरों के काम से हमें छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए। बंदर और लकड़ी का खूंटा पंचतंत्र कहानी The Monkey and The Wedge Story in Hindi.

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कुत्ता और हड्डी की पंचतंत्र कहानी The Dog and The Bone Story in Hindi From Panchatantra

कुत्ता और हड्डी की पंचतंत्र कहानी The Dog and The Bone Story in Hindi.

एक भूखा कुत्ता खाने की तलाश में यहां-वहां भटक रहा था। जब वह खाने की तलाश कर रहा था तब वह एक कसाई खाने के पास जा पहुंचा। तब एक कसाई ने उस कुत्ते को एक हड्डी दिया जिसमें थोड़ा सा मांस लगा हुआ था। कुत्ते ने उस हड्डी में लगे हुए मांस को खाया। फिर उसके बाद वह उस हड्डी को चबाने लगा। हड्डी को चबाते-चबाते उस कुत्ते को प्यास लगी तो वह उठकर एक नदी के पास गया। कुत्ते ने हड्डी को अपने मुह में ही दबाकर रखा हुआ था।

पानी पीने से पहले वह सोचने लगा कि अगर वह हड्डी को थोड़ी देर के लिए भी नीचे रखेगा तो दूसरा कुत्ता आकर उसे ले जा सकता है। इसीलिए वह आस-पास देखने लगा कि कोई कुत्ता है भी या नहीं। तभी अचानक उसकी नजर नदी पर बने हुए परछाई पर पड़ी। यह परछाई उस कुत्ते की ही थी। लेकिन वह समझ नहीं पाया कि यह उसकी परछाई है।

तब उसने सोचा कि यह कोई और कुत्ता है जिसके मुंह में भी एक हड्डी दबी हुई है। वह कुत्ता लालच में आकर उस हड्डी को भी हथियाने की सोच रहा था। ऐसा करने के लिए उसने अपना मुंह खोला और उसके मुह की हड्डी जाकर नदी में गिर गई। इस तरह से उसके पास जो हड्डी थी वह भी उसके हाथ से चली गई। इसीलिए कहते हैं कि ज्यादा लालच करना बुरी बात है। Panchatantra Stories in Hindi With Moral.

Moral of The Dog and The Bone Story in Hindi

ज्यादा लालच करना बुरी बात है। ज्यादा लालच करने से हमारे पास जो है हम उसे भी खो सकते है। कुत्ता और हड्डी की पंचतंत्र कहानी The Dog and The Bone Story in Hindi.

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मूर्ख बकरी की पंचतंत्र कहानी Two Silly Goats Story in Hindi From Panchatantra

मूर्ख बकरी की पंचतंत्र कहानी Two Silly Goats Story in Hindi.

एक बड़े से जंगल में दो बकरियाँ रहती थी। दोनों जंगल के दूसरे छोर पर रहा करते थे। बकरियाँ घास चरने के लिए जंगल में जाते और वहां ढ़ेर सारा घास चरते थे। कभी-कभी बकरियाँ जंगल की हरी-भरी पत्तियों को भी खाते।

उस जंगल के बीच से एक नदी बहती थी। नदी के आर-पार जाने के लिए बीच में एक छोटा सा पुल बना हुआ था। वह पुल बहुत ही कमजोर था जो लकड़ियों से बना था। पुल से एक वक्त में सिर्फ एक ही व्यक्ति जा सकता था। कमजोर पुल होने की वजह से उसे टूटने का खतरा भी बना रहता। इसीलिए लोग उसमें से संभल कर चलते थे।

एक दिन वे दोनों बकरियां घास चरते-चरते उस नदी के किनारे आ पहुंची। उन्होंने देखा कि नदी के पार का घास बहुत ही हरा भरा है। दोनों ने विचार किया कि वे नदी को पार करके जाएंगे और दूसरी तरफ का घास खाएंगे।

ऐसे में दोनों नदी को पार करने का रास्ता खोजने लगी। अंत में जाकर उन्हें वह पुल मिला जिसकी मदद से वे दोनों नदी पार कर सकते थे। एक तरफ से बकरी उस पुल पर चलना चालू की। दूसरी तरफ से भी दूसरी बकरी उस पुल पर चलना चालू की।

दोनों बकरियाँ बीच में आकर अटक गई क्योंकि उन दोनों के आमने-सामने बकरी थी। ऐसे में वे दोनों पुल को पार नहीं कर सकते थे। यह देख कर पहली बकरी बोली, “मैं इस पुल पर पहले आई थी इसीलिए मैं इसे पहले पार करूंगी। तुम मेरे रास्ते से हट जाओ और पीछे चले जाओ।”

यह सुनकर दूसरी बकरी बोली, “नहीं यहां पहले मैं आई थी इसीलिए तुम यहां से हट जाओ और मुझे पहले जाने दो।”

पहले कौन पुल पार करेगा इस बात को लेकर दोनों बकरियों के बीच बहस छिड़ गई। बहस करते-करते पहले बकरी ने सोचा कि उसे अपना ताकत दिखाना पड़ेगा। इससे दूसरी बकरी डर जाएगी और उसे रास्ता दे देंगे। इसके लिए पहली बकरी ने अपने दोनों पैरो को उस पुल पर मारने लगी। ऐसा करने से पुल हिलने लगा।

यह देखकर दूसरी बकरी डरी नहीं। उसने भी यही किया उसने सामने के दोनों पैर उठाए और जोर से उसे पुल पर दे मारी। फिर दोनों ही लगातार बार-बार पुल पर अपने पैर पटकने लगे।

देखते ही देखते पुल और कमजोर पड़ गया और बीच से टूट गया। पुल के टूटते ही दोनों बकरियाँ नीचे गिर गई और पानी में बह गई। नदी का पानी बहुत ही ज्यादा गहरा था इसीलिए वे दोनों खुद को नहीं बचा सके। कुछ देर तक छटपटाते छटपटाते उनकी मृत्यु हो गई।

Moral of Two Silly Goats Story in Hindi.

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि झगड़ा करने से किसी भी समस्या का हल नहीं निकलता बल्कि समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है। इसीलिए हमें एक दूसरे से झगड़ा किए बगैर किसी भी परेशानी का हल खोजना चाहिए।

अगर हमारा ध्यान परेशानी का हल खोजने पर होगा तो हम जल्द से जल्द अपनी परेशानियों को हटाकर आगे बढ़ सकते हैं।

इस कहानी की बात करें तो अगर दोनों में से एक बकरी कुछ समय के लिए पीछे हट जाती तो एक बकरी आगे नदी को पार कर सकती थी। फिर उसके बाद दूसरी बकरी नदी को आसानी से पार कर सकती। ऐसा ना करके दोनों झगड़ने में लगी रही। जिससे उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। मूर्ख बकरी की पंचतंत्र कहानी Two Silly Goats Story in Hindi.

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नकली तोते की पंचतंत्र कहानी Nakli Tota Story in Hindi From Panchatantra

नकली तोते की पंचतंत्र कहानी Nakli Tota Story in Hindi.

एक जंगल में बहुत ही बड़ा बरगद का पेड़ था। जिसमें ढेरों तोते रहा करते थे। वे तोते आपस में बहुत बात किया करते थे। उनकी दिन की शुरुआत एक दूसरे से बात करते हुए होती और उनका रात भी लोगों से बात करते हुए ही खत्म होता था। उन लोगों का एक राजा भी था जो उनका सबसे बड़ा मुखिया था।

इन सबके अलावा उस बरगद के पेड़ में एक ऐसा तोता भी था जो बहुत ही कम बात किया करता था। उसका नाम मिट्ठू तोता था। मिट्ठू तोते को देखकर सारे लोग सोचते रहते थे कि आखिर यह इतना चुपचाप कैसे रह सकता है? इसी बात को लेकर बाकी तोते उसे चिढ़ाते रहते थे।

एक दिन दो तोते मिलकर आपस में बात कर रहे थे। उनमें से एक तोता बोला, “पता है, एक दिन गर्मियों के समय मुझे एक ऐसा आम मिला था जो बहुत ही रसीला था। ऐसा आम आज तक शायद ही किसी ने खाया हो। उस आम को मैं दिन भर बड़े मजे से खाया था।”

यह सुनकर दूसरा तोता बोला, “हां मुझे भी एक ऐसा ही आम मिला था जो बहुत ही स्वादिष्ट था। जिसे मैंने भी दिन भर मजे से खाया था।”

जब वे दोनों यह बात कर रहे थे तब उनकी बात आसपास के सारे लोग सुन रहे थे। यह बात सबके बीच फैल गई। सब तोते आम की चर्चा करने लगे। लेकिन वह मिट्ठू तोता कुछ नहीं बोला। वह चुपचाप ही अपनी जगह पर बैठा रहा।

उसे इस तरह से शांत देखकर राजा उससे बोला, “तुम इतना शांत कैसे रह सकते हो। हम सब का काम ही है बात करना। हम सब दिन भर बात करते हैं लेकिन तुम चुपचाप रहते हो। मुझे तो लगता है कि तुम एक तोता नहीं हो तुम एक नकली तोता हो।”

राजा के ऐसा कहने पर पेड़ के सारे तोते उसे अब नकली तोता नकली तोता कहकर चिढ़ाते थे।

कुछ दिनों बाद राजा की पत्नी का हार चोरी हो गया था। ऐसे में राजा की पत्नी अपने पति के पास गई और उनको यह सारी बात बताई। उन्होंने अपने पति से कहा, “मेरा हार चोरी हो चुका है। मैंने उस चोर को देखा है। चोर के चेहरे पर पट्टी बंधी हुई थी। लेकिन उसकी चोच बाहर निकली हुई थी। उसके सोच का रंग लाल था।”

ऐसे में राजा ने सभा बुलाया। उस सभा में पेड़ के सारे तोते मौजूद थे। राजा ने हार के चोरी की बात सबको बताएं और उन्होंने यह बताया कि चोरी करने वाले का चोच लाल था। ऐसे में एक तोता सामने आया और बोला, “महाराज हमारे समूह में सिर्फ ऐसे दो ही तोते हैं जिनका चोच लाल है। उनमें से एक मिट्ठू तोता है और दूसरा श्याम तोता है। आप उन दोनों से पूछताछ कर सकते हैं कि चोर कौन है?”

राजा उन दोनों से पूछताछ करने से घबरा रहा था क्योंकि इन दोनों उसी के समूह के थे और वे उसके अपने थे। ऐसे में उसने अपने दोस्त कौवे का मदद लिया। उसने अपने कौवा दोस्त को बुलवाया और उसे सारी बात बताई।

सबकुछ जान लेने के बाद कौवे ने पूछताछ शुरु किया। सबसे पहले उसने श्याम तोते से पूछा, “जब चोरी हुई थी तब तुम कहां थे?”

ऐसे में उसने ऊंची आवाज़ में जवाब दिया, “मैं उस रात खाना खाकर सो चुका था।”

“क्या तुम इस बात का सबूत दे सकते हो कि तुम उस रात सो रहे थे?”

“जी हां।” श्याम तोते ने फिर से अपनी आवाज़ ऊंची करके बोला, “मुझे यहां सब जानते हैं वह सब बता सकते हैं कि मैं उस रात को सो रहा था।”

इसके बाद कौवे ने मिट्ठू तोते से पूछा, “तुम उस रात कहां थे?”

ऐसे में मिट्ठू तोते ने अच्छे से जवाब दिया, “मैं उस रात सो रहा था।”

दोनों की बात सुनने के बाद कौवे ने बताया कि चोर श्याम तोता है। यह सुनने के बाद राजा ने पूछा, “तुम ऐसा कैसे कह सकते हो कि चोरी श्याम ने की है।”

कौवे ने जवाब दिया, “मैंने दोनों की बातों को सुना। श्याम तोता आवाज ऊंची करके बातें कर रहा था और वही मिठू तोता बहुत सरल आवाज में बातें कर रहा था। जो झूठ कह रहा है वह अपनी बातों को ऊंची आवाज में कहकर सच साबित करने की कोशिश करता है। इसीलिए चोर श्याम तोता है।”

यह सब सुनकर श्याम तोता राजा से माफी मांगने लगा क्योंकि उसकी चोरी पकड़ी गई थी। अब राजा ने श्याम तोता को सजा देने का सोचा। ऐसे में मिट्ठू तोता राजा से बोला, “श्याम अपनी गलतियों की माफी मांग रहा और उसने चोरी पहली बार की है। इसके लिए आप उसे माफ कर दीजिए।”

राजा ने मिट्ठू तोते की बात सुनी और श्याम तोते को माफ कर दिया।

Moral of Nakli Tota Story in Hindi.

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें बेवजह बातें नहीं करनी चाहिए। ज्यादा बातें करने से हम दूसरो के सामने अपनी अहमियत खो देते हैं। नकली तोते की पंचतंत्र कहानी Nakli Tota Story in Hindi.

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तीन मछलियों की पंचतंत्र कहानी Three Fish Story in Hindi From Panchatantra

तीन मछलियों की पंचतंत्र कहानी Three Fish Story in Hindi.

एक तालाब में तीन मछलियां रहा करती थी। तीनों मछलियों में बहुत अच्छी दोस्ती थी। तीनों एक साथ खेलते हैं और तालाब भर में घूमा करते। एक साथ ही खाने की तलाश करते। जब कभी भी तीनों में से कोई मुसीबत में होता तीनों मिलकर उसका सामना करते और कोई भी फैसला लेने से पहले तीनों एकसाथ सलाह मशवरा करते।

एक दिन कुछ मछुआरे उस तालाब के पास आए। उनमें से एक मछुआरे ने कहा, “इस तालाब में बहुत सारी मछलियां है। कल आकर हम इस तालाब की सारी मछलियों को पकड़ कर ले जाएंगे। हमारी बहुत अच्छी कमाई हो जाएगी।”

जब वह मछुआरे बात कर रहे थे तब वे तीनों मछलियां वहाँ उनकी बातें सुन रहे थे। यह बात सुनकर तीनों बहुत ही ज्यादा डर गए। लेकिन उन्होंने सोचा कि इसका सामना कैसे किया जाए? फिर तीनों ने आपस में एक सभा बुलाई और उनमें से एक मछली दोनों से कहने लगी, “हमें यह तालाब छोड़कर दूसरी जगह जाना होगा नहीं तो हमारी जान भी जा सकती है।

दुसरी मछली उससे सहमत थी। अपनी सहमती बताने के लिए उसने कहा, “हमे यह से जाना ही होगा। तुम बिल्कुल सही कह रही हो। मैं तुम्हारी बात से सहमत हूं।”

वहीं तीसरी मछली इस तालाब को छोड़कर जाने से इंकार कर देती है और वह दोनों से कहती है, “मैं यह तालाब को छोड़कर नहीं जा सकती। यह हमारे पूर्वजों का घर है और यहां हमने अपना बचपन भी बिताया है। तो हम कैसे इस जगह को छोड़कर जा सकते हैं? इसीलिए मैं यहीं रुकने वाली हूं।”

तीनों के बीच बातचीत होने के बाद वह दोनों मछलियाँ वहाँ से चली गई और फिर अगले दिन वे मछुआरे आए। मछुआरों ने उस तालाब की सारी मछलियों को पकड़ लिया और वह तीसरी मछली भी मर गई। Panchatantra Stories in Hindi With Moral.

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इसीलिए कहते हैं कि हमें किस्मत के भरोसे नहीं रहना चाहिए। हमें हमेशा अपने आप को सुरक्षित रखना चाहिए। तीन मछलियों की पंचतंत्र कहानी Three Fish Story in Hindi.

Three Fish


शेर और चूहे की पंचतंत्र कहानी Lion and Mouse Story in Hindi From Panchatantra

शेर और चूहे की पंचतंत्र कहानी Lion and Mouse Story in Hindi.

बहुत समय पहले जंगल का एक राजा खूंखार शेर हुआ करता था। वह हर दिन दोपहर को खाना खाकर आराम करता। एक दिन वह शिकार करने के बाद खाना खाया। खाना खाकर वह आराम करने लगा। जब वह आराम कर रहा था कि तभी एक चूहा उसके शरीर के ऊपर दौड़ने लगा और कूदने लगा।

उस चूहे के ऐसा करने से वह शेर परेशान हो रहा था। परेशान होकर उसने अचानक एक बड़ी सी दहाड़ लगाई और वह चूहा भाग गया। अगले दिन फिर से वह शेर खाना खा कर आराम कर रहा था कि तभी वह चूहा फिर से वापस आया और शेर को परेशान करने लगा। परेशान होकर शेर उस चूहे को अपने पंजे में पकड़ लिया और फिर उसे डराने लगा।

शेर अपना बड़ा सा मुंह खोला और चूहे को अपने मुंह के अंदर डालने ही वाला था कि चूहे ने उससे कहा, “मुझे माफ कर दीजिए राजा। मैं अब आपको तंग नहीं करूंगा। मुझे माफ कर दीजिए और हो सके तो मैं आपकी एक ना एक दिन जरुर मदद करूंगा।”

चूहे की ऐसी बात सुनकर शेर हसने लगा और बोला, “तुम इतने छोटे से चूहे हो। तुम मेरी क्या मदद करोगे?” यह कहकर शेर उस चूहे को छोड़ दिया क्योंकि शेर का पेट भरा हुआ था।

एक दिन वह शेर शिकार के लिए जंगल में घूमने लगा। जंगल में कुछ शिकारी शेर के लिए जाल बिछा कर रखे हुए थे। जैसे ही वह शेर जाल पर अपना पैर रखा वह शेर जाल में फस गया। जाल में फंसने के बाद शिकारी बहुत खुश हो गए और शेर को वहां से ले जाने के लिए पिंजरा लाने गए।

वही शेर जाल में फस कर जोर-जोर से चिल्लाने लगा और दहाड़ने लगा। शेर की दहाड़ पूरे जंगल में गूंज रही थी। जंगल के सारे जानवर शेर की दहाड़ और चिल्लाने की आवाज को सुन रहे थे। उस चूहे ने भी शेर को तकलीफ में देखा तो वह तुरंत दौड़कर गया और बोला, “आप चिंता मत करिए राजा। मैं आपकी मदद करूंगा।”

यह कहकर वह चूहा जाल को अपने दांतों से काटने लगा। कुतर-कुतर कर उसने पूरे जान को काट दिया और शेर वापस आजाद हो गया। उस वक्त शेर को समझ आ गया कि छोटा हो या बड़ा कब किसकी मदद पड़ जाए यह कोई नहीं कह सकता। इसके बाद शेर ने उस चूहे को शुक्रिया कहा। कुछ देर बाद वे शिकारी वापस पिंजरे के साथ आए थे लेकिन शेर को आजाद देखकर डर के मारे वहां से भाग गए।

Moral of Lion and Mouse Story in Hindi

हमें कभी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए। यह कोई नहीं जानता कि हमें किस की जरूरत कब पड़ जाए इसीलिए हमें सभी का सम्मान करना चाहिए और उन्हें अहमियत देनी चाहिए। इस कहानी में शेर को भी नहीं पता था कि कब उसको चूहे की मदद की जरूरत पड़ेगी। लेकिन समय आने पर चूहे ने शेर की मदद जरूर की।शेर और चूहे की पंचतंत्र कहानी Lion and Mouse Story in Hindi.

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शहरी चूहा और गांव के चूहे की पंचतंत्र कहानी City Rat and Village Rat Story in Hindi From Panchatantra

शहरी चूहा और गांव के चूहे की पंचतंत्र कहानी City Rat and Village Rat Story in Hindi.

दो चूहे आपस में बहुत ही अच्छे दोस्त थे लेकिन उनमें से एक चूहा शहर में रहता था और दूसरा चूहा गांव में रहता था। दोनों एक दूसरे की खबर दूसरे चूहों से लिया करते थे। एक दिन शहरी चूहा सोचा कि वह अपने गांव के दोस्त से मिलने जाएगा। ऐसे में उसने दूसरे चूहे से खबर भिजवाया की वह उससे मिलने गाँव आने वाला है।

अपने दोस्त के आने की खबर सुनकर गांव का चूहा बेहद खुश हो गया और वह उसके आने की तैयारी करने लगा। अगले ही दिन शहरी चूहा पूरी तरह से तैयार होकर गांव के लिए रवाना हो गया। जैसे ही वह अपने दोस्त के पास पहुंचा तो दोनों एक दूसरे को देखकर बहुत ज्यादा खुश हुए। दोनों ने आपस में ढेरों बातें की।

बात करते-करते गांव के चूहे ने कहा, “तुम्हारे यहां तो बेहद प्रदूषण होता होगा। मैंने सुना है कि शहर में बहुत प्रदूषण और धुआ होता है। इस बात पर शहरी चूहे ने कोई जवाब नहीं दिया।

बात करते-करते खाना खाने का समय हो गया फिर दोनों खाना खाने बैठे। गांव के चूहे ने अपने दोस्त को खाने में रोटी और अनाज दिया। शहरी चूहा अपने खाने को खत्म किया और खा कर सोने चला गया। अगले दिन सुबह उठकर वे दोनों गांव की सैर पर जाने वाले थे। लेकिन उससे पहले वे नाश्ता करना चाहते थे। उन्होंने नाश्ता करने का सोचा। नाश्ते में गांव के चूहे ने उसे फिर से रोटी और अनाज परोसा। शहरी चूहा अपने नास्ते को खत्म किया फिर दोनों गांव की सैर पर चले गए।

गांव का दृश्य बहुत ही सुंदर था। गाँव को देखकर वे दोनों बहुत ही खुश हुए क्योंकि वहां बहुत हरियाली थी और पेड़ पौधे थे। घूमते-घूमते गांव के चूहे ने अपने दोस्त से पूछा, “क्या तुम्हारे यहां भी इतनी हरियाली है? क्या तुम्हारे यहां भी इतने पेड़ पौधे हैं?”

उसकी इस सवाल पर भी शहरी चूहे ने कुछ जवाब नहीं दिया और वह चलने लगा। शाम होते-होते वे दोनों घर पहुंच गए। रात के समय गाँव के चूहे से खाने में फिर से रोटी और अनाज दिया। इस बार शहरी चूहा गुस्सा हो गया और बोला, “क्या तुम सब एक ही खाना बार-बार खाते हो? मेरे शहर चलो। मैं तुम्हें वहां अलग-अलग तरह-तरह के पकवान खिलाऊंगा जिसे खाकर तुम उसे कभी नहीं भुलोगे।”

अगले दिन शहरी चूहा अपने दोस्त, गांव के चूहे को लेकर शहर की ओर चल पड़ा। शहर पहुंचकर गांव के चूहे ने देखा कि उसका दोस्त एक बड़े से घर के बिल में रहता है। ऐसे में वे बिल के अंदर गए। जैसे ही वे अंदर पहुंचे तो गांव के चूहे ने देखा कि उसका बिल बहुत ही सुंदर था। वहां पर खाने के लिए टेबल लगा हुआ था।

शहरी चूहे ने टेबल में खाना सजाया। सबसे पहले उन्होंने पनीर खाया। गांव के चूहे को पनीर बहुत पसंद आया। वह पनीर खाकर उसका दीवाना हो गया था। तभी अचानक एक बिल्ली उस घर में घुस गई।

ऐसे में दोनों चूहे बिल के अंदर चले गए। गाँव का चूहा बहुत डर गया था। तभी शहरी चूहे ने अपने दोस्त को बताया, “यहां यह बिल्ली आता रहता है और जब भी आता है तो हमें अंदर जाना पड़ता है।”

यह सुनकर गांव का चूहा बहुत डर गया था। उसने कभी ऐसा नहीं देखा था। कुछ देर बाद वो बिल्ली वहां से चली गई। बिल्ली के जाने के बाद दोनों फिर से बाहर निकले। फिर से वे दोनों मिलकर पनीर खाने लगे। पनीर खाकर वे दोनों मजे कर रहे थे। तभी फिर से उस घर का मालिक कुत्ते को लेकर घर के अंदर घुसा। ऐसे में वे दोनों फिर से अपने बिल के अंदर घुस कर। शहरी चूहे ने अपने दोस्त को बताया, “यह कुत्ता मालिक का कुत्ता है। जो इस घर में ही रहता है।”

यह सुनकर वह चूहा और भी ज्यादा डर गया। डर के मारे वह गांव का चूहा उस जगह को छोड़कर जाने लगा और अपने दोस्त से बोला, “मैं यहां नहीं रह सकता। ऐसो आराम की जिंदगी के चलते मैं अपनी जान को खतरे में नहीं लगा सकता।” गाँव का चूहा यह कहकर उस जगह को छोड़कर चला गया। Panchatantra Stories in Hindi With Moral.

Moral of City Rat and Village Rat Story in Hindi

इसीलिए कहते हैं कि हमें हमेशा अपनी सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। जान की बाजी लगाकर आराम की चिंता नहीं कर करनी चाहिए नहीं तो इससे हमारा बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। शहरी चूहा और गांव के चूहे की पंचतंत्र कहानी City Rat and Village Rat Story in Hindi.

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कौवा और उल्लू की पंचतंत्र कहानी Crow and Owl Story in Hindi From Panchatantra

कौवा और उल्लू की पंचतंत्र कहानी Crow and Owl Story in Hindi

बहुत समय पहले पंछी अपनी सभा बुलाते थे और सभा में एक दूसरे की परेशानियों पर चर्चा करते थे। परेशानियों की चर्चा करने के बाद वे सब राजा के पास जाते और उसका निवारण निकालते। यह बात उस समय की है जब पंछियों का राजा गरुड़ हुआ करता था।

गरुड़ हमेशा भगवान विष्णु की भक्ति में लगा हुआ रहता था और वह अन्य कार्यों पर ध्यान नहीं देता था। जिसकी वजह से लोगों को बडी तकलीफ होने लगी क्योंकि उनकी समस्या खत्म नहीं हो रही थी।

सभी ने फिर से सभा बुलाई और वह सब यह सोच रहे थे कि किस तरह से वे राजा की समस्या का निवारण कर सके। एक-एक करके पंछियों ने सुझाव दिया कि हमें अपना राजा बदलकर किसी और को चुनना चाहिए। यह सुझाव सुनकर मोर, कोयल, कबूतर, तोता आदि सारे पंछी सहमत थे। वे सभी अपने राजा को बदलने के लिए तैयार थे।

अब उन्हें अपना राजा चुनना था। सब ने मिलकर आपस में उल्लू को अपना राजा चुना। राजा चुन लेने के बाद अब उल्लू का राज्याभिषेक होना था। अगले दिन उल्लू के राज्याभिषेक के लिए ढेरों सारी तैयारियां की गई। जंगल को पूरे अच्छे से सजाया गया और दो तोते मिलकर मंत्र पढ़ रहे थे। तभी उल्लू वहां पर आया।

दोनों तोते ने मिलकर उल्लू से कहा, “उसे लक्ष्मी मां के मंदिर जाकर पूजा करनी चाहिए। पूजा करने के बाद राज्याभिषेक का कार्य किया जा सकता है।”

यह सुनकर उल्लू राजी हो गया और वे तीनों लक्ष्मी मां के मंदिर चले गए। उसके कुछ देर बाद उस जगह से एक कौवा गुजरा। उसने देखा कि जंगल में अच्छी तैयारी हो रखी थी। उसे लगा कि कोई त्यौहार की तैयारी हो रही है। अपने मन की शंका दूर करने के लिए उसने मोर से पूछा, यहां क्या हो रहा है?”

कौवे की इस सवाल पर मोर ने जवाब दिया, “यहां राज्याभिषेक हो रहा है। हमने अपना नया राजा चुना है।”

“ऐसा कब हुआ? और राजा चुनते समय मुझे क्यों नहीं बुलाया गया?” कौवा मोर से पुछा।

तब मोर ने जवाब दिया, “तुम यहाँ नहीं रहते। तुम तो लोगों के साथ शहर में रहते हो। इसिलिए तम्हें नहीं बुलाया गया।”

कौवे ने फिर पूछा कि राजा कौन बनने वाला है? मोर ने कौवे को बताया कि राजा उल्लू बनने वाला है। यह सुनकर वह कौवा जोर-जोर से चिल्लाने लगा और अपना सर पेड़ पर पटकने लगा।

उसके ऐसा करते देख मोर ने उससे पूछा, “तुम यह क्या कर रहे हो? क्या बात है मुझे बताओ?”

तब कौवे ने बताया, “तुमने कैसे एक उल्लु को राजा चुना लिया। वह दिनभर सोता है और रात को जागता है। उसे दिन को कुछ नहीं दिखाई देता। वह एक आलसी और कायर पंछी है। तुम अगर उसके पास अपनी शिकायत लेकर जाओगे तो तुम्हें रात को उसके पास जाना पड़ेगा।”

यह सब सुनकर मोर सोचने लगा कि कौवे की बात बिल्कुल सही है। धीरे-धीरे वह बात पुरे जंगल में फैल गई और फिर सब धीरे-धीरे वहां से जाने लगे। जंगल में की गई सारी तैयारियां भी हटा दी गई। वह जगह पूरा खाली हो गया।

कुछ देर बाद उल्लू वापस लौटा। उसके साथ जो तोते थे। उन्होंने देखा कि सारे लोग वहां से जा चुके थे इस बात का पता लगाने के लिए वे दोनों तोते भी वहां से चले गए। उल्लू कुछ भी नहीं देख पा रहा था लेकिन वहां आसपास के सन्नाटे को सुनकर वह समझ चुका था की वहां कोई भी नहीं है।

ऐसे में उसने मौजूद अपने उल्लू दोस्त से पूछा कि यहां क्या हुआ था जिसकी वजह से सारें लोग चले गए? ऐसे में उस उल्लू के दोस्त ने बताया कि यह सब कौवे का किया धरा है। यह कहकर उसने सारी बात बताई।

यह सब सुनकर वह उल्लू बहुत ही ज्यादा गुस्सा हो गया फिर वह बोला कि आज से वह और कौवा दुश्मन है।
इसके बाद से सारे उल्लू और कौवा एक दूसरे को दुश्मन मानते हैं। जब कभी भी कोई कौवा उल्लू को देखता है तो वह उसे मारता है और जब कभी भी उल्लू किसी कौवे को देखता है तो वह उस पर हमला कर देता है। Panchatantra Stories in Hindi With Moral.

Moral of Crow and Owl Story in Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी के भी कार्य में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। नहीं तो हमें जीवन भर की दुश्मनी मिल सकती है और इससे हमारा भी नुकसान हो सकता है। कौवा और उल्लू की पंचतंत्र कहानी Crow and Owl Story in Hindi.

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सियार और जादुई ढोल की पंचतंत्र कहानी The Jackal And The Drum Story In Hindi From Panchatantra

सियार और जादुई ढोल की पंचतंत्र कहानी The Jackal And The Drum Story In Hindi

बहुत समय पहले जंगलों में दो बड़े देशों के बीच घमासान युद्ध हुआ। युद्ध में एक देश विजय हुआ और फिर युद्ध समाप्त हो गया। युद्ध खत्म हो जाने के अगले दिन एक बड़ा सा तूफान आया और तेज हवा चलने लगी। तेज हवा चलने की वजह से इस युद्ध में इस्तेमाल किया गया ढोल, बाजे और अन्य समाज इधर-उधर उड़ने लगे।

एक ढोल उड़ता-उड़ता जंगल के भीतर चला गया और एक पेड़ पर जाकर लटक गया। पेड़ पर लटक जाने की वजह से जब कभी भी हवा चलती तो टहनियां बार-बार उस ढोल से टकराती। जिसकी वजह से धड़ाम-धड़ाम की आवाज उस जंगल में गूंजने लगती।

उसी जंगल में एक सियार भी था। सियार खाने की तलाश में इधर उधर भटक रहा था। जब वह खाने के लिए भटक रहा था तब उसकी नजर एक गाजर खाते हुए खरगोश पर पड़ी। उस खरगोश को देखकर सियार के मुंह में पानी आ गया और उसने तुरंत ही विचार कर लिया कि वह इस खरगोश का शिकार करेगा।

वह धीरे-धीरे दबे पांव में खरगोश की ओर बढ़ने लगा। जैसे ही वह खरगोश के नजदीक पहुंचा उसने छलांग लगाया। लेकिन खरगोश को सियार के आने का आभास हो गया था। खरगोश ने चालाकी से सियार के मुंह में गाजर फंसा दिया और वह खुद वहां से भाग गया।

सियार ने अपने मुंह से गाजर निकाला और अफसोस करता हुआ वहीं पर बैठ गया और सोचने लगा कि उसे खाने में कुछ मिलेगा भी या नहीं? जब वह यह सब सोच रहा था तभी उसे धड़ाम-धड़ाम की आवाज सुनाई दी। ऐसे में वह उस आवाज़ का पीछा करते हुए उस पेड़ के पास पहुंच गया जहां पर वह ढोल था।

उस ढोल को देखकर सोचा कि वह कोई अन्य जानवर है। ऐसे में वह सियार उस पर हमला करने का सोचा। सियार उस ढोल की तरह कुदा। जैसे ही वह ढोल से टकराया तब जोर से धड़ाम की आवाज आई। फिर वह उस पेड़ के पीछे छुप गया।

कुछ देर तक देखने के बाद उसने फिर से ढोल की तरफ छलांग लगाई और फिर से जोर से धड़ाम की आवाज आई। इस बार वह समझ चुका था कि ढोल कोई जानवर नहीं बल्कि एक निर्जीव वस्तु है। ऐसे में वह ढोल पर बार-बार कूदने लगा और अचानक से वह ढूंढ टूट गया।

ढोल के अंदर से ढेर सारा स्वादिष्ट खाना निकला जिसे खाकर बस यार अपना पेट भर लिया।

Moral of The Jackal And The Drum Story In Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी चीज का एक सही समय होता है और हमें सही समय आने पर वह मिल ही जाता है। अगर हम इस कहानी की बात करें तो सियार को खाना चाहिए था लेकिन उसे वह खाना सही समय आने पर मिल ही गया। सियार और जादुई ढोल की पंचतंत्र कहानी The Jackal And The Drum Story In Hindi.

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कौवा और दुष्ट सांप की पंचतंत्र कहानी The Cobra And The Crow Story In Hindi From Panchatantra

कौवा और दुष्ट सांप की पंचतंत्र कहानी The Cobra And The Crow Story In Hindi.

दूर किसी जंगल में एक बड़ा सा पेड़ था जिसपर एक कौवे ने अपना घोंसला बनाया था। वह अपनी पत्नी के साथ उस घोसले में रहता था। एक दिन एक साँप उस पेड़ के पास से गुजरा उसकी नजर उन कौवो पर पड़ी। ऐसे में उसने विचार किया कि जब वे अंडा देंगे तो वह उन्हें खा जाएगा। साँप ने उस पेड़ के नीचे अपने रहने के लिए बिल बना लिया। अब वह उसी बिल में रहने लगा।

कुछ दिनों तक वहाँ रह लेने के बाद सांप ने देखा कि कौवे ने अपने घोसले में अंडा दिया। यह जानकर वह साँप बहुत ही खुश हो गया। उसे अब खाने को स्वादिष्ट अंडा मिलेगा। वह उस घोसले की ओर देखता रहा। और फिर जैसे ही वे कौवे खाने की तलाश में उड़ गए तब वह मौका देखकर पेड़ पर चढ़ा और रखे हुए अंडों को खा गया।

अंडों को खाकर वह सांप वापस अपने बिल में जाकर छुप गया। जैसे ही वे कौवे वापस लौटे तो उन्होंने देखा कि अंडा वहां से गायब था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह अंडा कहां गायब हो गया। दिन बीतता गया और कुछ महीनों बाद उन्होंने फिर से अपने घोसले में अंडा दिया। साँप इन सब बातों को फिर से जान गया। वह फिर से इंतजार करने लगा कि कब दोनों वहां से जाएंगे?

जैसे ही वे दोनों खाने की तलाश में अपने घोंसले से उड़ गए। तब साँप पेड़ पर चढ़कर घोसले के पास पहुंचा। तभी वे दोनों कौवे जल्दी से वापस लौट आए। उन्होंने देखा कि उनके अंडे सांप खा रहा था।

यह देखकर उन दोनों को बहुत गुस्सा आया। ऐसे में वे अपना घोंसला पेड़ के और ऊपर ले गए ताकि वे अपने अंडों को उस दुष्ट सांप से बचा सके।

अब वे दोनों फिर से खाने की तलाश में गए। सांप फिर से पेड़ पर चढ़ा लेकिन उसने देखा कि घोंसला वहां नहीं था। ऐसे में वह निराश होकर नीचे चला गया। कुछ दिनों बाद सांप को पता चल गया कि घोंसला पेड़ के और ऊपर है। ऐसे में वह फिर से पेड़ पर चढ़ा और घोसले में रखे हुए अंडों को खा गया।

जब वे दोनों कौवे वापस आए तब उन्होंने देखा कि अंडा फिर से गायब था। वे दोनों जान चुके थे कि अंडा कहां गया। उनके अंडे सांप ने खाए थे। ऐसे में कौवे ने सांप से छुटकारा पाने का सोचा। उसे एक तरकीब सुझी। वह उड़ता उड़ता शहर की ओर चला गया। वह शहर जाकर राजा के महल में घुस गया।

वहां उसने देखा की राजकुमारी एक कीमती मोती का हार पहनी हुई थी। वह उस राजकुमारी के गले से मोतियों के हार को निकालकर उड़ गया। यह देखकर राजकुमारी ने अपने सैनिकों को बुलाया। सैनिक उस हार के लिए कौवे का पीछा करने लगे।

कौवा उड़ते-उड़ते जंगल की ओर जा रहा था और उसके पीछे-पीछे सैनिक थे। सैनिक नीचे से उसको देख रहे थे और उसका पीछा कर रहे थे। कौवा जानबूझकर धीरे-धीरे उड़ रहा था क्योंकि वह चाहता था कि सैनिक उसका पीछा करें।

उड़ते उड़ते वह पेड़ के पास पहुंचा और मोती की माला को सांप के बिल में डाल दिया। यह सब सैनिक देख रहे थे। सैनिक बिल के पास गया और अपना हाथ डालकर बिल में से मोतियों की माला निकाल लिया। तभी उस पेड़ के बिल में से वह दुष्ट सांप निकला और उन सैनिकों पर हमला करने लगा।

ऐसे में सैनिको ने तलवार निकाला और उस साँप को घायल कर दिया। वह दुष्ट साँप घायल हो गया और उस जगह को छोड़कर हमेशा के लिए चला गया।

इस तरह से उन दोनों कौवो को सांप से छुटकारा मिला।

Moral of The Cobra And The Crow Story In Hindi.

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें बार-बार दूसरों को परेशान नहीं करना चाहिए। नहीं तो वह परेशान होकर हम से छुटकारा पाने के लिए कुछ बड़ा कदम उठा सकते हैं। साँप बार-बार कौवे के अंडों को खा जाया करता था जिससे परेशान होकर कौवे ने सांप से छुटकारा पाने का सोचा। कौवा और दुष्ट सांप की पंचतंत्र कहानी The Cobra And The Crow Story In Hindi.

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खटमल और जूं की पंचतंत्र कहानी The Bug And The Poor Flea Story In Hindi From Panchatantra

खटमल और जूं की पंचतंत्र कहानी The Bug And The Poor Flea Story In Hindi.

बहुत समय पहले एक राजा के बिस्तर में एक जूं रहती थी। वह जूं बहुत ही खुश थी क्योंकि उसे राजा का खून चूसने मिलता था। राजा के सो जाने के बाद वह जूं बिस्तर से निकलकर उसके शरीर का खून चुस्ती। एक दिन उसने देखा कि बिस्तर में एक खटमल आ चुका है। यह देखकर वह बहुत ज्यादा गुस्सा हो गई और वह जाकर उस खटमल से बोली, “तुम यहां नहीं आ सकते। यह तुम्हारी जगह नहीं है। यहां मैं रहती हूं और मेरे अलावा यहां कोई भी नहीं आ सकता।”

ऐसे में वह खटमल बड़े प्यार से उस जूं से कहने लगा, “अरे बहना क्या तुम मुझ जैसे बेसहारा की मदद नहीं करोगी? मैं भटकते-भटकते खाने की तलाश में यहां आया हूं। मैंने बहुत दिनों से अच्छे से किसी का खून भी नहीं चूसा है। तो क्या तुम मुझे यूं ही भगा दोगी?”

खटमल की यह सब बातें सुनकर उस जूं को दया आ गई और उसने खटमल को वहाँ रहने की इजाजत दे दी। इसके बाद उस जूं ने खटमल से कहा, “ठीक है तुम यहां रह सकते हो लेकिन यहां रहने के लिए तुम्हें कुछ चीजों का ध्यान देना होगा। तुम्हारी वजह से राजा को कोई भी परेशानी नहीं होनी चाहिए और राजा जब सोयेंगे तभी तुम उसका खून चूस सकते हो। इसके अलावा तुम उसका खून नहीं चुसोगे।”

उस जूं की बताई हुई बातों को खटमल मान गया और जूं से बोला, “ठीक है। तुम जैसा बोलोगी मैं वैसा ही करूंगा।” यह सब बातें हो जाने के बाद जूं अपनी जगह पर चली गई और वहीं दूसरी तरफ खटमल अपने रहने के लिए अच्छी जगह खोजने लगा।

जब वह अपने रहने की जगह खोज रहा था तभी दरवाजे से राजा अंदर आया। राजा तंदुरुस्त था और बेहद मोटा भी था। उसकी तोंद निकली हुई थी। राजा को देखकर खटमल के मुंह में पानी आ गया और वह खुद को रोक नहीं पाया। जैसे ही राजा अपने बिस्तर में आकर लेटा। खटमल तुरंत जाकर राजा के पेट को काटकर खून चूसने लगा।

राजा को दर्द हुआ। दर्द के मारे राजा चिल्लाया और अपने सैनिकों को बुलाया। जैसे ही सैनिक अंदर आए राजा ने सैनिकों से कहा, “देखो जरा इस बिस्तर पर खटमल या जूं है। उसे खोजो और यहां से उसे हटाओ।”

राजा के आदेश पर वे सैनिक राजा के बिस्तर को अच्छे से देखने लगे। तभी उन्हें जूं मिली और उन्होंने उसको मार दिया। अब उस जगह पर से खटमल रहने लगा।

Moral of The Bug And The Poor Flea Story In Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी भी अजनबी पर भरोसा नहीं करना चाहिए। खटमल और जूं की पंचतंत्र कहानी The Bug And The Poor Flea Story In Hindi.

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मूर्ख साधू और ठग की पंचतंत्र कहानी The Foolish Sage And Swindler In Hindi From Panchatantra

मूर्ख साधू और ठग की पंचतंत्र कहानी The Foolish Sage And Swindler In Hindi.

बहुत समय पहले एक गांव में एक साधु रहता था। वह साधु बहुत ही प्रसिद्ध था जो गांव के मंदिर की देखरेख करता था। साधु को बहुत दान मिलता था। लोग उसे अच्छा खासा दान दिया करते थे क्योंकि उस गांव में वही एकलौता साधु था। साधु जानबूझकर किसी और दूसरे साधुओं को उस गाँव में टिकने नहीं देता। अगर वहाँ अन्य साधु भी होते तो उसे दान मिलना कम हो जाता। ढेर सारा दान मिलने की वजह से उसके पास अधिक मात्रा में धन इकट्ठा हो गया।

वही एक ठग उस साधु पर कुछ दिनों से नजर रखे हुए था। उसकी नजर साधु के धन पर थी। वह किसी भी तरह से साधु के धन को चुराना चाहता था। इसके लिए उसने एक तरकीब बनाई और वह साधु के पास एक शिष्य के भेष में चला गया।

वह शिष्य के भेष में साधु के पास गया और उससे बोला, “हे महात्मा मैंने आपके बारे में बहुत सुना है। मैं चाहता हूं कि आप मुझे अपना शिष्य बना ले और अपना ज्ञान मुझे दे।”

पहले तो वह साधु उस लड़के को अपना शिष्य बनाने से इंकार कर रहा था। लेकिन उस ठग के बार-बार विनती करने पर साधु उसे अपना शिष्य बनाने को तैयार हो गया। अब वह ठग साधु के साथ मिलकर मंदिर की साफ सफाई करता और मंदिर का ध्यान रखता था। वह बस मौके की तलाश में था कि किसी तरह से वह साधु के धन को चुरा लिया जा सके। उस शिष्य के कामकाज को देखकर वह साधु बहुत ही खुश था। लेकिन अभी भी वह उसपर पूरी तरह से भरोसा नहीं करता था।

एक दिन उस साधु को दूसरे गांव से निमंत्रण मिला। वह साधु उस निमंत्रण में जाने के लिए तैयार हुआ। वह उस शिष्य को और अपने धन की पोटली को भी अपने साथ ले चला। चलते-चलते रास्ते में एक नदी आई। नदी को देखकर वह साधु सोचा कि पहले यहां स्नान कर लिया जाए। साधु ने अपने धन की पोटली कंबल के नीचे छुपा दिया और अपने शिष्य को उसकी निगरानी करने के लिए कहा। फिर वह साधु नदी में नहाने चला गया।

शिष्य धन की पोटली को देखकर बहुत खुश हो रहा था। फिर वह उस धन की पोटली को लेकर वहां से चला गया। कुछ देर बाद वह साधु नहाकर वापस आया तो उसने देखा कि उसका शिष्य और उसका धन दोनों ही गायब हो चुका था। ऐसे में वह सर पकड़ कर रोने लगा।

Moral of The Foolish Sage And Swindler Story In Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दूसरों पर तुरंत भरोसा नहीं करना चाहिए और किसी भी अनजान व्यक्ति को अपने घर में यूं ही जगह नहीं देनी चाहिए। इस कहानी से हमें यह भी सीख मिलती है कि लालच बुरी बला है। मूर्ख साधू और ठग की पंचतंत्र कहानी The Foolish Sage And Swindler In Hindi.

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लड़ती बकरियां और सियार की पंचतंत्र कहानी Fighting Goats And The Jackal Story In Hindi From Panchatantra

लड़ती बकरियां और सियार की पंचतंत्र कहानी Fighting Goats And The Jackal Story In Hindi.

जंगल में एक दिन अचानक दो बकरिया आपस में लड़ने लगी। वे दोनों एक दूसरे पर एक-एक करके हमला करने लगी। पहली बकरी दूसरे पर अपने सर से हमला करती। फिर दूसरी बकरी भी पहले बकरी पर अपने सिर से वार किया करती। तभी पास में से गुजर रहा एक साधु दोनों बकरियों की लड़ाई को देखने लगा।

उन बकरियों की लड़ाई इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि वे दोनों एक दूसरे को घायल करने लगे थे। लड़ाई करते करते उन दोनों का खून भी निकलने लगा था। ऐसे में वे साधु सोचने लगे की अगर यह इसी तरह से दोनों लड़ते रहे तो घायल होकर मर जाएंगे।

जब वे बकरियाँ आपस में लड़ रही थी तभी पास से एक भूखा सियार गुजर रहा था। सियार की नजर उन दो बकरियों पर पड़ी। वह भूखा सियार उन दोनों को मारकर खाने का विचार करने लगा।

बकरियों के शरीर का खून देखकर वह सियार और भी ज्यादा लालच करने लगा था। वह जमीन पर पड़े हुए खून को चाट कर बकरियों की स्वाद का अंदाजा लगा रहा था। सियार धीरे-धीरे उन बकरियों के पास बढ़ता चला गया। तभी उस साधु की नजर सियार पर पड़ी। सियार को देखकर साधु को लगा कि अगर बकरी ने उस पर हमला कर दिया तो वह नहीं बचेगा। उसे चोट भी लग सकती है।

वह सियार बकरियों के और भी नजदीक जा पहुंचा। उन दोनों बकरियों की नजर उस सियार पर पड़ी। सियार को देखते ही वे दोनों रुक गए और उस सियार पर हमला करने लगे। वे दोनों एक साथ दौड़े और सियार को अपने सिर से वार करने लगे।

अपने ऊपर हुए अचानक से इस हमले पर वह सियार संभल नहीं पाया। उन दोनों बकरियों ने उसे घायल कर दिया। वह घायल सियार डरकर वहां से भाग गया। इसके बाद वे दोनों बकरियां शांत हो गई और अपना झगड़ा बंद करके वहां से चली गई। इसके बाद वह साधु भी वहां से चला गया।

Moral of Fighting Goats And The Jackal Story In Hindi.

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दूसरों की लड़ाई के बीच हमें नई घोषणा चाहिए नहीं तो इससे हमारा भी नुकसान हो सकता है। लड़ती बकरियां और सियार की पंचतंत्र कहानी Fighting Goats And The Jackal Story In Hindi.

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नीले सियार की कहानी The Blue Jackal Story In Hindi From Panchatantra

नीले सियार की कहानी The Blue Jackal Story In Hindi.

एक समय की बात है जंगल में बहुत तेज तूफान आया। उस तूफान से बचने के लिए एक सियार बड़े से पेड़ के नीचे जाकर छुप गया। हवा तेज चल रही थी जिसकी वजह से पेड़ की एक टहनी हिलते-हिलते टूट गई। वह टूटी हूई टहनी सियार के सिर पर जा गिरा। उस टहनी की वजह से सियार के सर पर चोट लगी। डर के मारे वह सियार अपनी गुफा में चला गया।

सियार घायल था और इस वजह से वह शिकार भी नहीं कर पा रहा था। शिकार ना करने की वजह से वह सियार भूखा रहने लगा और समय के साथ-साथ कमजोर हो रहा था। एक दिन उसे तेज की भूख लगी और अपनी भूख को खत्म करने के लिए वह शिकार के लिए निकल पड़ा। वह जंगल की ओर निकला और चलते-चलते उसे एक हिरण दिखाई दिया।

हिरण को देखकर सियार उसका शिकार करना चाहता था। वह उसका पीछा करता रहा लेकिन सियार जल्दी थक गया क्योंकि उसका शरीर अभी भी कमजोर था। इस वजह से वह हिरण का शिकार नहीं कर पाया। सियार ने सोचा कि इस कमजोर शरीर को लेकर वह किसी जानवर का शिकार नहीं कर सकता। इस वजह से उसने जंगल से निकलकर गांव की ओर जाने का सोचा क्योंकि उसे वहां कोई बकरी या मुर्गी मिल जाती। जिसे खाकर वह कुछ वक्त के लिए अपनी भूख मिटा सकता था।

वह गांव की ओर चला गया। गांव के अंदर घुसते ही उसने देखा कि कुछ कुत्ते झुंड में उसकी ओर आ रहे थे। उन कुत्तों से बचने के लिए वह सियार धोबियों के इलाके में घुस गया। अभी भी कुत्ते उसका पीछा कर रहे थे। उन कुत्तों से बचने के लिए वह सियार छुपने की जगह ढूंढता रहा। तभी उसे एक टंकी मिली और वह उस टंकी के अंदर कूद गया। उस टंकी के अंदर धोबियों ने नील घोलकर रखा था। इसकी वजह से उस सियार का शरीर पूरा नीला रंग का हो गया था।

वह सियार उस टंकी में रात भर रहा। जब वे कुत्ते उस सियार को नहीं ढूंढ पाए तब वे वहां से चले गए। कुत्तों के जाने के बाद वह सियार उस टंकी से निकला। टंकी से निकलकर उसने देखा कि उसका शरीर नीला हो चुका है। अपने नीले शरीर को देखकर उस सियार को एक तरकीब सूझी और वह सीधा जंगल की ओर चला गया।

जंगल में जाकर उसने सारे जानवरों के सामने एलान किया कि वह एक ऐसा जानवर है जिसे भगवान ने भेजा है। सारे जानवर सियार के पास पहुंचे। सारे जानवरों के आ जाने के बाद सियार ने सबसे कहा, “क्या तुमने कभी किसी नीले जानवर को देखा है?”

सब ने जवाब दिया, “नहीं।”

“मैं एक ऐसा जानवर हूं जिसे ऊपर वाले ने भेजा है। मुझे भगवान ने जंगल में राज करने के लिए भेजा है और उन्होंने मुझसे कहा है कि मैं तुम सबका मार्गदर्शन करू। सारे जानवर सियार की बातों में आ गए और वे सब उसे अपना राजा मानने लगे।

सियार के सामने एक समस्या थी कि उस जंगल में और भी सियार थे। उसे इस बात का डर था कि वे सियार उसे पहचान जाएंगे। इसके लिए उसने जंगल के सारे जानवरों से कहा, “हमें जंगल से सारे सियार को यहां से भगाना पड़ेगा। यह भगवान का आदेश है उन्होंने मुझसे कहा है कि जंगल का संतुलन बनाने के लिए हमें जंगल से सियार को हटाना होगा।”

उसके ऐसा कहने के बाद जंगल के जानवरों ने जंगल के सारे सियार को वहां से खदेड़ कर बाहर कर दिया।

इसके बाद वह सियार अपनी गुफा में चला गया जहां उसकी सेवा जंगल के जानवर किया करते। मोर अपने पंख फैलाकर उसे हवा करती और बंदर उसका पैर दबाते थे।जब कभी उसे भूख लगती थी तो वह जानवर की बलि देने को कह देता था। बलि देने के बाद वह उस जानवर को खा जाता। उसका जीवन बड़े आराम से चल रहा था।

एक दिन रात को उसकी नींद खुली उसे बहुत प्यास लगी थी। अपनी प्यास बुझाने के लिए वह गुफा से निकलकर पास की नदी में चला गया और वहां खड़े होकर पानी पीने लगा। जब वह खड़े होकर पानी पी रहा था तभी दूर से अन्य सियरों की आवाज़ आ रही थी। उन सबकी आवाज सुनकर वह सियार खुद को रोक नहीं सका और वह खुद सियार की आवाज निकाल कर चिल्लाने लगा।

उसकी आवाज को सुनकर आसपास के जानवरों की नींद खुल गई। जानवरों की नींद खुल जाने के बाद उन्होंने देखा कि वह कोई अन्य जानवर नहीं बल्कि एक सियार है जो उन्हें बेवकूफ बना रहा था। यह सब जानकर सारे जानवर गुस्से में आकर उस सियार को मार दिए।

Moral of The Blue Jackal Story In Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमारा झूठ कभी ना कभी पकडा जा सकता है। झूठ सबके सामने आ ही जाता है। हम किसी को लगातार बेवकुफ नहीं बना सकते। नीले सियार की कहानी The Blue Jackal Story In Hindi.

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शेर और सियार की कहानी The Lion And The Jackal Story In Hindi From Panchatantra

शेर और सियार की कहानी The Lion And The Jackal Story In Hindi

सुंदरबन नाम के एक जंगल में बलवान शेर रहता था। उस जंगल के सारे जानवर उससे डरते थे। वह अधिकतर नदी के किनारे शिकार करने जाया करता था और वही वह शिकार करके अपना पेट भरता था। एक दिन जब वह नदी के किनारे से शिकार करके लौट रहा था तब उसकी नजर एक सियार पर पड़ी। जैसे ही वह शेर सियार के नजदीक गया तब वह सियार शेर के कदमों के नीचे गिर गया और उससे कहने लगा, “आप महान हैं और बलवान है। मैं चाहता हूं कि आप मुझे अपना सेवक बना ले। मैं हमेशा आपकी सेवा में रहूंगा और हमेशा वफादार बना रहूंगा।”

यह सब सुनकर शेर चौक गया। फिर उसने सियार से कहां, “मुझे किसी सेवक की जरूरत नहीं है। मैं अकेला ही काफी हूं और वैसे भी मैं तुम जैसे कमजोर सियार का क्या करूंगा?”

सियार ने कहा, “मैं आपसे विनती करता हूं कि आप मुझे अपने सेवक बना ले। फिर आप जो भी शिकार करेंगे उसमें से बचा-कुचा खाकर मैं अपना पेट भर लूंगा। बदले में मैं आपकी सेवा करूंगा।”

उसकी सियार के इतना विनती करने पर वह शेर मान गया और सियार को अपना सेवक बना लिया। अब वे दोनों एक साथ जंगल में शिकार करने जाते। सबसे पहले किए गए शिकार को शेर खाता फिर बचा हुआ शिकार सियार खाता। इसी तरह से समय बीतता गया। अब वह शेर सियार को अपना सेवक नहीं मानता था बल्कि वे दोनों अच्छे दोस्त बन चुके थे। सियार भी अब तंदुरुस्त हो चुका था। उसे रोज खाना मिलता था इसकी वजह से वह भी बलवान हो चुका था।

अपनी बलवानी का घमंड करते हुए उसने एक दिन शेर से बोला, “अब मैं भी तुम्हारे जितना बलवान हो चुका हूं। अब मैं अकेले भी शिकार कर सकता हूं। मैं एक बड़े से हाथी का शिकार करूंगा फिर उसमें से जो भी बचेगा उसे तुम खा लेना।”

शेर को लगा कि वह सियार दोस्ती में उसके साथ एक मजाक कर रहा है लेकिन कुछ देर बाद उसे पता चल गया कि सियार मजाक नहीं कर रहा था। शेर को एक हाथी की ताकत का अंदाजा था इसलिए शेर ने सियार को आगाह किया कि वह ऐसा ना करें। लेकिन वह सियार अपनी ताकत का घमंड छोड़ना ही नहीं चाहता था। वह पास के एक पेड़ पर चढ़ गया और हाथी के आने का इंतजार करने लगा।

उस पेड़ के नीचे से एक हाथी गुज़रा तभी उसने सोचा कि वह उस हाथी के ऊपर कूद जाएगा और उसका शिकार करेगा। वह सियार पेड़ से कूदा लेकिन वह गलत जगह कूद गया। वह सियार हाथी के कदमों के सामने गिरा जैसे ही हाथी ने अपना कदम उसपर रखा तो हाथी के शरीर की वजन से उस सियार के प्राण निकल गए।

Moral of The Lion And The Jackal Story In Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने अच्छे दोस्त की सलाह जरूर माननी चाहिए। हमे कभी किसी बात पर घमंड नहीं करना चाहिए नहीं तो इससे हमारा ही नुकसान होगा। शेर और सियार की कहानी The Lion And The Jackal Story In Hindi.

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गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी The Sparrow and The Elephant Story in Hindi From Panchatantra

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी The Sparrow and The Elephant Story in Hindi.
एक पेड़ पर दो गौरैया रहती थी। दोनों आपस में बहुत ही खुश थे। गौरैया रोज अपने लिए और अपनी पत्नी के लिए खाना खोजने जाता था। वही उसकी पत्नी घोसले में बैठकर अंडों को सेकती थे। वे दोनों इस बात से बहुत खुश थे कि उनके बच्चे होने वाले हैं। दोनों इस बात का इंतजार कर रहे थे कि कब उनके बच्चे अंडों से निकलेंगे और कब दोनों इस बात का खुशी मनाएंगे।

एक दिन, गौरैया अपने अंडे सेक रही थी और उसका पति खाना खोजने बाहर गया था। तभी एक मदमस्त हाथी उस पेड़ के पास आया और उस पेड़ को बार-बार ठोकर मारने लगा। ऐसे में वह चिड़िया उस हाथी के पास जाकर बोली, “रुक जाओ ऐसा मत करो। तुम्हारी वजह से हमारा घोसला गिर सकता है और उसमें से अंडा गिर सकता है। कृपया करके ऐसा मत करो।”

गौरैया के बार-बार विनती करने के बाद भी वह हाथी उसकी बात पर ध्यान नहीं दे रहा थी। वह पेड़ की टहनी को अपने सूंड से पकड़ा और उस टहनी को तोड़ दिया जिसपर गौरैया का घोंसला था। उसका घोंसला जमीन पर गिर गया और उसमें रखा हुआ अंडा गिरकर टूट गया। यह सब हो जाने के बाद वह हाथी वहाँ से चला गया।

वह गोरैया अपने टूटे हुए अंडों के पास बैठकर रो रही थी। तभी उसका पति वापस आया। जब उसने यह सब देखा तो वह भी बहुत उदास हो गया। फिर उसकी पत्नी ने वह सब कुछ बताया जो वहां हुआ था। ऐसे में दोनों गौरैया ने उस हाथी से बदला लेने का सोचा।

गोरैया अपने दोस्त कठफोड़वा के पास गया। कठफोड़वा उसका दोस्त था। गोरैया उसके पास जाकर उसे सारी बात बताया। यह सब सुनकर कठफोड़वा को भी गुस्सा आया। फिर उसने एक तरकीब बनाई जिससे कि वह हाथी को मजा चखा सकता था। वह कठफोड़वा अपने अन्य दोस्त मेंढक और मधुमक्खी के पास गया और उन्हें वह तरकीब बताया।

इसके बाद वे तीनों उस हाथी के पास गए। पहले मधुमक्खी हाथी के कान में मधुर स्वर में भन-भनाने लगी। वह हाथी मधुमक्खी के मधुर स्वर में खो गया। तभी वह कठफोड़वा उसकी आंखों में चोच मारने लगा। ऐसे में उसकी आंखों में दर्द हुआ और वह अपने दोनों आंखों को बंद कर लिया। हाथी अपनी आंखें नहीं खोल पा रहा था।

तभी मेंढक अपने समूह को लेकर आया और एक कीचड़ की तलाब में जाकर आवाज करने लगा। उन मेंढको की आवाज को सुनकर हाथी उनके पास गया क्योंकि उसे लगा कि वहां पानी का तालाब है। वह उससे पानी पीना चाहता था। लेकिन वह हाथी उस दलदल में जाकर फंस गया और इस तरह से तीनों ने उसे उसकी गलती की सजा दी।

Moral of The Sparrow and The Elephant Story in Hindi.

इसीलिए कहते हैं कि हमें किसी को भी परेशान नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से हमारे लिए मुसीबतें बढ़ सकती है परेशान हुआ व्यक्ति हम से बदला ले सकता है। इस कहानी में हाथी ने गौरैया को परेशान किया और उन्होंने हाथी से बदला लिया। गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी The Sparrow and The Elephant Story in Hindi.

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मित्र-द्रोह का फल Right-Mind And Wrong-Mind Story In Hindi From Panchatantra

मित्र-द्रोह का फल Right-Mind And Wrong-Mind Story In Hindi.

एक गांव में दो दोस्त रहा करते थे। वे दोनों आपस में बहुत अच्छे दोस्त थे। उनमें से एक का नाम धर्मबुद्धि और दूसरे का नाम पापबुद्धि था। वे दोनों खेती किया करते। इस बार उनकी अच्छी फसल हुई थी। ऐसे में पापबुद्धि ने विचार किया कि अगर वह अपनी फसल को गांव में बेचेगा तो उसे कम दाम मिलेगा। ऐसे में वह अपनी फसल को शहर ले जाकर बेचने के बारे में सोचने लगा।

वह अपने दोस्त धर्मबुद्धि को भी अपने साथ ले जाना चाहता था। लेकिन इसी के साथ-साथ वह एक दुष्ट विचार के साथ अपने दोस्त को हानि पहुंचाना चाहता था। पापबुद्धि सोचने लगा कि वह अपने दोस्त को भी अपने साथ ले जाएगा और वापस लौटते समय उसके धन को किसी भी तरफ से लूट लेगा।

उसका दोस्त, धर्मबुद्धि उसकी बात से सहमत था। अभी दोनों शहर जाकर अपना फसल बेचने वाले थे। वे दोनों शहर की ओर रवाना हुए। दोनों ने अपनी फसल उठाई और शहर की ओर चले गए। शहर में उन्होंने अपना फसल बेचा। फसल बेचने से उन्हें अच्छी कमाई हुई और उनके पास ढेर सारे पैसे जमा हो गए।

दोनों अच्छी कमाई होने की वजह से बहुत खुश थे लेकिन पापबुद्धि के मन में कुछ और ही था। वह अपने दोस्त को जंगल के रास्ते से ले गया। जब वह जंगल में थे तब पापबुद्धि ने धर्म बुद्धि से कहा, “दोस्त हमारे पास बहुत सारा धन है। अगर हम इसे गांव में लेकर जाएंगे तो चोरों की नजर हम पर पड़ सकती है या फिर कोई हम से उधार मांग लेगा। क्यों ना हम कुछ पैसे यहां छुपा कर रख दें? ताकि जरूरत पड़ने पर इसे आकर यहां से ले जा सके।”

धर्मबुद्धि को यह बात सही लगी और वे दोनों जंगल के एक बड़े से पेड़ के नीचे गड्ढा खोदकर अपने धन को वहां रख दिया। इसके बाद दोनों वहां से चले गए। दो दिन बाद पापबुद्धि जंगल में गया और उस जगह से सारे पैसे निकाल लाया।

दिन बीतता गया और धर्मबुद्धि का धन खत्म हो चुका था। पापबुद्धि को धन की जरूरत थी। वह अपने दोस्त पापबुद्धि के पास गया और उसे अपने साथ जंगल ले गया।

वे दोनों उस पेड़ के नीचे गए जहां उन्होंने धन छुपा रखा था। गड्ढा खोदने के बाद उसने देखा कि सारा पैसा गायब था। यह देखकर धर्मबुद्धि हैरान हो गया लेकिन पापबुद्धि जानबूझकर चिल्ला चिल्लाकर रोने लगा। पापबुद्धि दौड़ता हुआ न्यायालय पहुंच गया। उसने न्यायाधीश के सामने धर्मबुद्धि पर इल्जाम लगाया कि धर्मबुद्धि ने सारे पैसे चुराए हैं। लेकिन धर्मबुद्धि ने कहा कि उसने पैसे नहीं चुराए हैं।

ऐसे में न्यायाधीश ने उन दोनों की परीक्षा ली। उन्होंने दोनों को हाथ अग्नि में रखने को कहा ताकि अग्नि देवता सच का पता लगा सके। पापबुद्धि चालाक था उसने तुरंत कहा, “नहीं सच का पता वनदेवता लगाएंगे क्योंकि उन्होंने सब देखा है।”

ऐसे मैं तीनों वन के पास चले गए। पाप बुद्धि तुरंत जाकर एक पेड़ के पीछे छुप गया। फिर न्यायाधीश ने जोर से चिल्लाकर कहा, “वनदेवता हमें बताओ कि चोरी किसने की है?”

तभी पापबुद्धि पेड़ के पीछे से चिल्लाया, “चोरी धर्मबुद्धि ने की है।”

जिस पेड़ के पीछे से आवाज आ रही थी उसे धर्मबुद्धि ने जाकर जला दिया। आग की वजह से पापबुद्धि जलता हुआ बाहर निकला और उसने सब कुछ सच बता दिया। न्यायाधीश ने उसे सजा दी।

Moral of Right-Mind And Wrong-Mind Story In Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं वह उसी में गिर जाते हैं। इस कहानी में पापबुद्धि ने धर्मबुद्धि के लिए बुरा सोचा लेकिन अंत में धर्मबुद्धि के साथ ही बुरा हुआ। इस कहानी से सीख लेकर हमें यह बात हमेशा के लिए समझ लेना चाहिए कि दूसरों का कभी बुरा नहीं करना चाहिए। मित्र-द्रोह का फल Right-Mind And Wrong-Mind Story In Hindi.

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मूर्ख बगुले और नेवले की कहानी Foolish Crane And The Mongoose story in Hindi From Panchatantra

मूर्ख बगुले और नेवले की कहानी Foolish Crane And The Mongoose story in Hindi .
एक बड़ी से जंगल में पीपल के पेड़ पर एक बगुला रहता था। वह उस जगह पर लंबे समय से रह रहा था। उसी पीपल के पेड़ के नीचे एक सांप रहता था। जब कभी भी उस साँप को खबर मिलती कि बगुले ने बच्चे को जन्म दिया है तो वह ऊपर जाकर बगुले के बच्चे को खा जाता था। इस बात से वह बगुला बहुत ही परेशान था। परेशान होकर वह जंगल के भीतर से बहती हुई नदी के किनारे जाकर बैठ गया। वहां वह उदास होकर बैठा रहा। कुछ देर बाद एक केकड़ा नदी से निकलकर किनारे पर आया उसने देखा कि बगुला बहुत ही उदास था।

ऐसे में वहां केकड़ा बबूले से पूछा, “क्या बात है दोस्त, तुम आज बहुत उदास लग रहे हो ऐसा क्या हुआ है?” उसके केकड़े के सवाल पूछते ही बगुले के आंखों में आंसू आ गया। रोते-रोते उसने बताया, “मैं जिस पेड़ पर रहता हूं उस पेड़ के नीचे एक सांप रहता है। वह हर बार मेरे बच्चों को खा जाता है। पता नहीं मैं कैसे उससे छुटकारा पाऊंगा। मैं बहुत बड़ी दुविधा में हूं, क्या तुम्हारे पास इसका कोई हल है?”

बगुले के परेशानी को बताने के बाद केकड़ा सोचने लगा कि यह बगुला हर बार हमारे लोगों को मारता है और खा जाता है। वह बगुला भी एक शिकारी ही है। ऐसे में वह केकड़ा एक तरकीब बनाया जिससे कि वह सांप और बगुला दोनों को मरवा सकता था।

केकड़े ने बगुले को अपनी तरकीब बताई वह बोला, “तुम चिंता मत करो मेरे दोस्त। मेरे पास एक तरकीब है जिससे तुम्हारी समस्या हल हो जाएगी। जिस पेड़ की तुम बात कर रहे हो उसी के पास एक नेवला रहता है। नेवला और सांप दोनों दुश्मन होते हैं। तुम्हें बस करना यह है कि तुम उस नेवले के रहने की जगह से लेकर सांप के बिल तक मांस के टुकड़े रख दो। वह नेवला उन मांस के टुकड़ों को खाता हुआ सांप के बिल तक पहुंच जाएगा और उस सांप को मार देगा।”

उस बगुले ने वैसा ही किया। वह मांस के टुकड़ों को नेवले के स्थान से लेकर सांप के बिल तक रख दिया। नेवला मांस का टुकड़ा खाते-खाते बिल के पास पहुंचा। तभी उसने वहां साँप को देखा। इसके बाद सांप और नेवले के बीच लड़ाई छिड़ गई।

लड़ाई को देखते-देखते बगुला बहुत खुश हो रहा था। जोश मे आकर बगुला पीछे से साँप पर हमला करने लगा। तभी अचानक सांप पीछे मुड़कर सीधा बगुले की गर्दन पर वार किया और उसके गर्दन को जकड़ लिया जिससे वह बगुला मर गया। फिर मौका देखकर नेवले ने उस साँप को भी मार दिया।

Moral of Foolish Crane And The Mongoose story in Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दूसरों के लिए बुरा। नहीं करना चाहिए नहीं तो वह बुरा हमारे साथ हो सकता है। कहानी से हमे यह भी सिख मिलती है की जोश में होश नहीं खोना चाहिए। बगुले ने सांप को मरवाने का दरगी बनाया लेकिन इस तरकीब में वह भी मारा गया। मूर्ख बगुले और नेवले की कहानी Foolish Crane And The Mongoose story in Hindi.

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सांप की सवारी करने वाले मेंढक की कहानी | Frogs That Rode A Snake Story In Hindi From Panchatantra

सांप की सवारी करने वाले मेंढक की कहानी | Frogs That Rode A Snake Story In Hindi.
बहुत समय पहले एक जंगल में एक साँप रहता था। वह समय के साथ साथ बूढ़ा हो चुका था। बूढ़ा होने की वजह से वह कमजोर हो गया और शिकार नहीं कर पा रहा था। वह भूखा रहने लगा था। भूखा रहने की वजह से उसका शरीर पतला हो गया। अपनी चिंता करते-करते सांप ने एक तरकीब सोची जिससे कि वह अपना पेट भर सके।

वह पास के एक तालाब में गया जहां बहुत सारे मेंढक रहते थे। वह वहां जाकर पास के एक पत्थर में चुपचाप बैठ गया। जब वह वहां बैठा हुआ था तब तालाब से एक मेंढक निकल कर उससे पूछा, “क्या बात है तुम बड़े उदास लग रहे हो? क्या तुम आज किसी का शिकार नहीं करोगे?”

उस मेंढक के यह सवाल करने पर वह साँप रोने का नाटक करने लगा और उससे बोला, “मैं आज खाने के लिए एक चूहे का पीछा कर रहा था। वह चूहा दौड़ते-दौड़ते गांव की ओर चला गया और लोगों के बीच में चला गया। मैंने गलती से चूहे का पिछा करते-करते एक ब्राह्मण की बेटी को काट लिया। जिसके चलते उस ब्राह्मण ने मुझे श्राप दिया की मेंढक मेरी सवारी करेंगे। इसी वजह से मैं उदास हूं।”

यह बात सुनते ही वह मेंढक तुरंत तालाब के अंदर गया और मेंढको के राजा को सारी बात बताई। वह मेंढको का राजा यह सुनकर तुरंत उस साँप के पास गया और उससे बोलो, “क्या मैंने जो सुना है वह सच है?”

सांप ने जवाब दिया, “हां यह सच है।”

“तो क्या मैं तुम्हारी सवारी कर सकता हूं?” उस मेंढक ने पूछा।

मेंढक के इस सवाल पर उस सांप ने उसे हाँ कहा। इसके बाद मेंढको का राजा उस साँप के सर पर चढ़ गया और वहां कूदने लगा। अपने राजा को ऐसा करते देख और भी मेंढक साँप के ऊपर चढ़ गए और कूदने लगे। यह सब से वह साँप परेशान हो रहा था लेकिन उसने सोचा कि अब उसे यह सब करना ही पड़ेगा। इसके बाद वह मेंढको को अपने ऊपर सवार करके आगे बढ़ने लगा।

मेंढको ने पहली बार एक साँप की सवारी की थी। वह सब इस का आनंद ले रहे थे। मेंढको का राजा बहुत खुश था। राजा ने कहा, “मैंने आज तक कभी ऐसी सवारी नहीं की थी। मुझे बहुत मजा आ रहा है।”

साँप ने कुछ दिनों तक ऐसा ही किया ताकि वह उन मेंढको का भरोसा जीत सके। कुछ दिनों बाद वह साँप धीरे-धीरे चलने लगा। साँप के रफ्तार कम होने की वजह से मेंढको के राजा ने उससे पूछा, “क्या बात है तुम इतना धीरे क्यों चल रहे हो?”

“मैं बूढ़ा हो रहा हूं और मुझे खाना भी नहीं मिल रहा। इसकी वजह से मेरी रफ्तार धीरे-धीरे कम हो रही है।” साँप ने उस मेंढक के राजा को बताया। यह सब बताने के बाद मेंढक के राजा ने सांप से कहा कि वह तालाब के छोटे-छोटे मेंढको को खा सकता है।

फिर साँप ने उससे कहा, “वैसे तो मुझे मेंढको का शिकार करना मना है लेकिन तुम ऐसा कह रहे हो तो मैं उन्हें खा लेता हूं।”

इसके बाद वह साँप तलाब के मेंढको को खाने लगा। मेंढको को खा खाकर वह तंदुरुस्त हो चुका था और मौका देखकर वह सांप के राजा को भी खा गया और धीरे-धीरे वह तालाब के मेंढको को भी खा गया।

Moral of Frogs That Rode A Snake Story In Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी पर पुरा भरोसा नहीं करना चाहिए। हमें पहले किसी भी व्यक्ति को परख कर देखना चाहिए फिर उसपर भरोसा करना चाहिए। सांप की सवारी करने वाले मेंढक की कहानी | Frogs That Rode A Snake Story In Hindi.

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