Murkho ki Suchi.बादशाह अकबर कभी-कभी ऐसी ख्वाहिशें कर बैठे थे जिसको सुनकर लोग बहुत ही चकित हो जाते थे और ऐसा ही एक बार हुआ जब बादशाह अकबर ने बीरबल को एक काम सपा बादशाह अकबर बीरबल पर एक काम दिया बादशाह ने बीरबल से कहा कि वह जाकर 6 बेवकूफ लोगों का सूची बनाएं तो चलिए जानते हैं इस कहानी के बारे में-

Read this story in English – List of Fools – Akbar Birbal Story in English

Murkho ki Suchi

एक दिन बादशाह अकबर दरबार पर बैठे हुए थे और वह अपने लोगों से कह रहे थे, “मै बहुत ही ज्यादा खुशनसीब हूँ जो हमारे पास इतने समझदार और होनहार लोग हैं। ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि राजपाट चलाने के लिए समझदार और होनहार लोगों की आवश्यकता जरूरत पड़ती है। लेकिन हमने आज तक यह नहीं जाना कि हमारे देश में सबसे बेवकूफ लोग कौन है? हमारी इच्छा हो रही है कि हम उन लोगों के बारे में भी जाने जो हमारे यहां, इस देश में सबसे ज्यादा बेवकूफ है। इसीलिए मैं चाहता हूं कि हम इन लोगों का पता लगाएं जो यहां सबसे ज्यादा बेवकूफ है।”

Murkho ki Suchi

यह कहकर बादशाह अकबर ने बीरबल से पुछा, “बीरबल क्या तुम यह काम कर पाओगे?”

“जी हां हुजूर, मैं यह काम कर सकता हूं लेकिन मुझे करना क्या होगा आप मुझे जरा विस्तार में बता सकते हैं? बीरबल ने बादशाह अकबर से कहा।

“तुम्हें जाकर छह ऐसे लोगों का सूची बनाना है जो सबसे ज्यादा बेवकूफ है। जिसे हम पागल कह सकते हैं। जाओ और इन लोगों का पता लगाकर आओ। मैं तुम्हें 1 महीने का समय देता हूं।”

“मैं समझ गया जहाँपनाह लेकिन मुझे यह पता लगाने के लिए 1 महीने का समय नहीं लगेगा। मैं उससे बहुत ही जल्दी इस काम को कर सकता हूं।” यह कहकर बीरबल दरबार से निकल पड़े।

उन्होंने अपना घोड़ा लिया और उसपर सवार होकर महल से बाहर निकल पड़े। जब वे रास्ते पर थे तब उनके दिमाग में एक सवाल बार-बार उठ रहा था कि आखिरकार वह छह सबसे बेवकूफ लोगों के बारे में कहां से खोजेगे? उनके सामने एक आदमी गधे पर बैठा हुआ उनकी ओर आ रहा था और उनके सर पर घास का गुच्छा रखा हुआ था। यह देखकर बीरबल ने सोचा कि इससे बात किया जाए। तब उन्होंने उस व्यक्ति को आदेश दिया, “रुको जरा। यहां आओ। तुम्हारा नाम क्या है?”

“जी हुजूर मेरा नाम रामू है। मैं यहाँ का रहने वाला हूं।”

“अच्छा तो तुमने अपने सर पर यह घास के गुच्छे क्यों रखे हुए हो? इसे तो तुम अपने गधे के ऊपर भी रख सकते हो।” बीरबल ने रामू से कहा।

“जी हां हुजूर, रख तो सकता हूं लेकिन मैं उसके ऊपर और बोझ नहीं डालना चाहता। इसीलिए मैंने इसे अपने सर पर रख लिया और मैं इसपर बैठ गया।” रामू की यह बात सुनकर बीरबल समझ चुके थे कि उन्हें सबसे पहला बेवकूफ आदमी मिल चुका है। तब उन्होंने रामू से कहा, “तुम एक अच्छे आदमी लगते हो। तुम्हें जानवरों की कितनी चिंता है और इसी बात के लिए मैं तुम्हें बादशाह से इनाम दिलवा दूंगा। तुम मेरे साथ चलो।”

इनाम की बात सुनकर रामू बहुत ही ज्यादा खुश हो चुका था और वह बीरबल के पीछे-पीछे हो चला। फिर दोनों आगे जाने लगे तो कुछ देर बाद उन्हें दो व्यक्ति मिले जो आपस में लड़ाई कर रहे थे। तभी बीरबल ने उन्हें आदेश दिया, “रुको। रुको। तुम दोनों रुक जाओ। तुम लड़ाई क्यों कर रहे हो?”

“हमें माफ करना हुजूर।” उनमें से एक व्यक्ति ने कहा, “यह कह रहा है कि इसका शेर मेरे गाय को खा जाएगा और मैं उसे ऐसा करने नहीं दूंगा।”

वहीं दूसरी तरफ दूसरे व्यक्ति ने कहा, “मैं अपने शेर को आदेश दूंगा कि वह इसके गाय को खा ले।”

यह सुनकर बीरबल ने उनसे सवाल पूछा, “अच्छा ठीक है ठीक है। लेकिन शेर और गाय है कहां?”

उन दोनों ने जवाब दिया, “भगवान हमें वरदान में एक गाय और एक शेर देने वाले हैं।”

ऐसे में बीरबल को समझ आ चुका था उन्हें दो और बेवकूफ लोग मिल चुके हैं। फिर उन्होंने उन दोनों व्यक्ति से कहा, “तुम दोनों भगवान पर इतना भरोसा करते हो इससे मैं खुश हुआ। मेरे साथ जाओ मैं तुम्हें बादशाह अकबर से इनाम दिला दूँगा। उसके बाद बीरबल के पीछे वे तीनों व्यक्ति चल पड़े।

रात हो चुकी थी इसीलिए बीरबल ने उन लोगों को अपने घर में रुकवा लिया और उनसे कहा, “आज तो समय बीत चुका है और रात हो चुकी है। बादशाह अकबर अभी हमें नहीं मिलेंगे। इसीलिए हमें उनसे कल मिलना होगा। तुम सब आराम करो कल हम उनके पास जाएंगे।” यह कहकर बीरबल वहां से निकल गए और वे बगीचे में घूमने लगे। तभी उन्हें एक व्यक्ति मिला जिसका नाम याकूब था। वह झाड़ियों में कुछ खोज रहा था।

बीरबल उसके पास गए और पुछे, “तुम यहां क्या कर रहे हो?”

“हुजूर में अपनी खोई हुई अंगूठी ढूंढ रहा हूं।”

“अच्छा ऐसी बात है।” बीरबल ने कहा, “वैसे बताना जरा कि तुम्हारी अंगूठी कहां खोई थी।”

फिर उस व्यक्ति ने बीरबल से कहा, “क्या आपको दूर पर बड़ा सा पेड़ दिखाई रहे हैं? मेरी अंगूठी उस पेड़ के नीचे ही खो गई थी। लेकिन वहां पर अंधेरा है इसीलिए मैं यहां आकर रोशनी में अपनी अंगूठी खोज रहा हूं।”

यह सुनकर बीरबल को उनका चौथा बेवकूफ आदमी मिल गया। उन्होंने उस व्यक्ति से कहा, “तुम चिंता मत करो। मैं बादशाह अकबर से कहकर तुम्हें नई अंगूठी दिलवा दूंगा।”

यह सुनकर वह व्यक्ति बहुत खुश हुआ और बीरबल के साथ चल पड़ा। जैसे ही अगला दिन हुआ वह सब बीरबल के साथ दरबार पर पहुंचे।

बीरबल ने बादशाह से कहा, “जहांपनाह मुझे वह बेवकूफ लोग मिल चुके हैं।”

“अच्छा इतनी जल्दी!” अकबर ने बीरबल से कहा, “आखिरकार मुझे यह बताना ज़रा ये सबसे बड़े बेवकूफ कैसे हुए?

बादशाह अकबर के सवाल पूछने पर बीरबल ने उनके साथ जो घटना घटी वह सारी बात बताएं। बीरबल की इन सब बातों को सुनकर बादशाह अकबर मान गए थे कि वह चारों सचमुच में बहुत ही बड़े बेवकूफ है।

लेकिन बादशाह अकबर ने 6 लोगों की सूची बनाने के लिए कहा था। वह तो सिर्फ 4 लोग ही थे। ऐसे में बादशाह ने बीरबल से पूछा, “बीरबल मैंने तो तुम्हें 6 लोगों की सूची बनाने को कहा था। लेकिन यहां तो सिर्फ चार ही लोग है बाकी के दो कहां है।”

“हुजूर यहां छह बेवकूफ मौजूद है। चार यहां खड़े हुए हैं और पांचवा बेवकूफ मैं हूं जो इन बेवकूफ हो को खोजने निकला था।” बीरबल ने कहा।

यह बात सुनकर बादशाह हंसने लगे और फिर उन्होंने कहा, “अच्छा और वह छठवां आदमी कौन है जो सबसे बड़ा बेवकूफ है।”

“माफ करना हुजूर।” बीरबल ने कहा, “वह छठवां बेवकूफ व्यक्ति आप है जिन्होंने यह आदेश दिया था।” बीरबल की यह बात सुनकर बादशाह अकबर और जोर-जोर से हंसने लगे। फिर इसके बाद पूरे दरबार में मौजूद सारे लोग जोर-जोर से हंसने लगे। Murkho ki Suchi.

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