बगुला भगत और केकड़ा Crain and The Crab Story in Hindi. यह कहानी बगुले की है जो एक तालाब में रहा करता था। वह तालाब घने जंगल के बीचो-बीच था। बगुला बहुत ही फुर्तीला था और एक बार में बहुत सारे मछलियों का शिकार किया करता था। वह हमेशा तालाब के मछलियों को खाता और अपने पेट को भरता। तलाब की सारी मछलियां उससे दूर भागती और उससे नफरत करती। बगुला तालाब के मछलियों को मारकर हमेशा पेट भरा रखता कभी-कभी वह हद से ज्यादा मछलियों को मारकर खा जाता।

Read in English – Crane and The Crab Story

बगुला भगत और केकड़ा Crane and The Crab Story in Hindi

धीरे-धीरे बगुले की उम्र बढ़ती जा रही थी। इसकी वजह से उसका शरीर, उसकी आंख और उसका तेज़ उड़ना सब कमजोर होते जा रहा था। अब उसे मछली पकड़ने में बहुत दिक्कत होती थी। वह बहुत ही मुश्किल से मछलियों को पकड़ पाता और अपना पेट भर पाता। क्योंकि उसका शरीर उसका साथ नहीं दे रहा था। मछलियां भी अब उससे डरती नहीं थी। जबकि उसके पास जाकर उसको चिढ़ाती और उसका मज़ाक उडाया करती। बगुला बहुत ही भूखा रहने लगा था। उसको समझ में नहीं आ रहा था कि वह भविष्य में अपना पेट कैसे भरेगा।

Crain and The Crab Story in Hindi

बगुले ने एक तरकिब खोज निकाली और जाकर तालाब के किनारे चुपचाप उदास होकर बैठ गया। जैसे ही वह बहुत ही उदास होकर तालाब के किनारे बैठा, सब ने बगुले को ध्यान से देखा। सब सोचने लगे कि आखिर उसे हुआ क्या है? वह इतना उदास और निराश क्यों बैठा हुआ है? धीरे-धीरे तालाब के सभी मछली, मेंढक आदि जीव सब उसके पास आकर उसे पूछने लगे, “क्या बात है बगुले तुम इतने निराश क्यों लग रहे हो?”

बगुले ने जवाब दिया, “एक बात मुझे बहुत परेशान कर रही है।”

“अच्छा वह क्या बात है जो तुम्हें परेशान कर रही है? हमें बताओ हो सके तो हम उस परेशानी को दूर कर सकते हैं।” सबने बगुले से कहा।

“दरअसल बात यह है कि कुछ लोग यहां आने वाले हैं और इस तालाब में मिट्टी डालकर इसे ढकने वाले हैं। इस पर लोग खेती करेंगे। अगर लोग ऐसा करेंगे तो सब कुछ खतम हो जाएगा और खाने के लिए मुझे मछलियां नहीं मिलेंगी।”

यह सब बातें सुनकर तालाब के सभी जीव परेशान हो गए कि आखिर इसके बाद उनका क्या होगा? अगर यह तालाब यूं ही ढक दिया जाएगा तो सब के सब मारे जाएंगे। ऐसे में बगुले ने कहा, “मैं समझ सकता हूं कि तुम सब क्यों डरे हुए हो? लेकिन तुम्हारे डर का मेरे पास एक निवारण भी है। पास ही में एक और तालाब है और वह तालाब इससे बड़ा है। वह तालाब सुंदर भी है। वहाँ का पानी यहां से बहुत ही ज्यादा साफ है। उस तालाब में हम सब अच्छे से रह सकते हैं। यह बातें सुनकर तालाब के सारे जीव खुश हो गए। उन सब ने बगुले से विनती की कि वे उन्हें वहां ले जाए।

बगुले ने सबसे कहा, “मैं तुम्हें वहां ले जा सकता हूं लेकिन मेरी एक शर्त है।”

“तुम्हारी क्या शर्त है,” सबने बदले से कहा, “हम तुम्हारी हर एक शर्त को मानने को तैयार है। जल्दी से बताओ आखिर तुम्हारी शर्त क्या है?”

बगुले ने अपना बताया, “बात यह है कि मैं बूढ़ा हो रहा हूं और मेरा शरीर कमजोर हो रहा है। इसलिए मैं एक बार में ज्यादा लोगों को वहाँ नहीं ले जा सकता। जब मैं उन्हें लेकर जाऊंगा तो मुझे बीच में कहीं रुकना पड़ेगा ताकि मैं आराम कर सकूं।”

सबने बगुले के शर्त को मान लिया। अब बगुला तालाब से रोज़ कुछ मछलियों को ले जाता और ले जाकर वह उन्हें खा जाता। खाने के बाद वह उस जगह पर अच्छे से आराम करता और फिर जब उसे भूख लगता तो वापस उस तालाब पर आ जाता। ऐसा करते-करते उसने तालाब के बहुत से जीवो को खा लिया था। वह उन्हें खाकर तंदुरुस्त हो चुका था। उसका शरीर भी अच्छा होने लगा था।

अब लगभग-लगभग तालाब के सभी जानवर खत्म हो चुके थे बस अब एक केकड़ा ही बचा हुआ था। केकड़े ने बगुले से विनती की, “मेरे दोस्त मुझे भी तो वहां ले चलो। मुझे भी जानना है कि वहां के लोग कैसे हैं? मैं वहां जाने के लिए बहुत ही ज्यादा उत्सुक हूं।”

केकड़े की बात सुनकर बगुले ने मन ही मन सोचा कि उसे कुछ अलग चीज भी खानी चाहिए। अब वह केकड़े को खाना चाहता था। बगुला केकड़े को अपनी पीठ पर बैठा लिया और वहां से उड़ चला। उड़ते-उड़ते केकड़ा उसे बार-बार पूछ रहा था कि वह नया तालाब कितनी जल्दी आएगा? उसकी बातें सुनकर बगुले ने कह दिया, “मैं तुम्हें दूसरी तालाब में नहीं ले जा रहा हूं। ऐसी कोई तालाब नहीं है। मैं तो सबको तालाब से दूर लाकर उन्हें खा जाता था। मैं भी तुम्हें अब खाने ही वाला हूं।”

यह बात सुनकर केकड़ा तुरंत बगुले के गर्दन को अपने पंजे से पकड़ लिया और उसे जोर से दबा कर मार दिया। केकड़ा रेंगते-रेंगते अपने तालाब में वापस आ गया। वापस आकर उसने बाकी बचे हुए जीवो को वह सारी बात बताई।बगुला मर चुका था और तालाब के सारे लोग सुरक्षित थे।

Moral of Crain and The Crab Story in Hindi

इसीलिए कहते हैं कि लालच करना बुरी बात है। ज्यादा लालच करने से हम बहुत से परेशानियों में फंस सकते है। यहां तक इसकी वजह से जान भी मुश्किल में आ सकती है। बगुला भगत और केकड़ा Crain and The Crab Story in Hindi.

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What is The Moral of Crain and The Crab Story in Hindi

इसीलिए कहते हैं कि लालच करना बुरी बात है। ज्यादा लालच करने से हम बहुत से परेशानियों में फंस सकते है। यहां तक इसकी वजह से जान भी मुश्किल में आ सकती है। बगुला भगत और केकड़ा Crain and The Crab Story in Hindi.

What is the story of Crane and The Crab in Hindi

यह कहानी बगुले की है जो एक तालाब में रहा करता था। वह तालाब घने जंगल के बीचो-बीच था। बगुला बहुत ही फुर्तीला था और एक बार में बहुत सारे मछलियों का शिकार किया करता था। वह हमेशा तालाब के मछलियों को खाता और अपने पेट को भरता। तलाब की सारी मछलियां उससे दूर भागती और उससे नफरत करती। बगुला तालाब के मछलियों को मारकर हमेशा पेट भरा रखता कभी-कभी वह हद से ज्यादा मछलियों को मारकर खा जाता।

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