Jonah and Whale Bible Story in Hindi – यह कहानी उस समय की है जब निनेवेह इजराइल का दुश्मन हुआ करता था। उन दिनों निनेवेह असीरिआ की राजधानी हुआ करती थी। निनेवेह के लोग इजराइल के लोगों पर ज़ुल्म और अत्याचार करते। वहाँ के लोग सुख शांति से जी नहीं पा रही थी। जोनाह एक प्रोफेट(ईश्वर का सन्देश लोगों तुक पहुंचाने वाला व्यक्ति) था जो इजराइल में रहता था।

ईश्वर ने जोनाह से क्या कहा ?

एक दिन जोनाह को अपने काम के लिए कही जाना था। वह अपने घर से निकलकर अपने मंज़िल की ओर जाने लगा। जब जोनाह रस्ते पर था तभी एक रौशनी उसके सामने चमकने लगी। उस रौशनी से एक आवाज़ आई, “जोनाह, निनेवेह जाओ और वहाँ के लोगों को समझाओ की इजराइल के लोगों पर ज़ुल्म करना बंद कर दे। उन्हें मेरे बताए मार्ग पर ले आओ। उन्हें अच्छी ज़िन्दगी जीने के लिए कहो।” यह आवाज़ ईश्वर की थी जिन्होंने जोनाह को यह सब करने को कहा था।

जोनाह ईश्वर से कहता है, “जैसी आपकी आज्ञा ईश्वर। मैं आपके कहे अनुसार इस कार्य को करूँगा।”

जोनाह ईश्वर के दिए हुए कार्य को करने के लिए राज़ी हो जाता है लेकिन इसपर विचार करने के बाद वह सोचने लगता है की वह यह कार्य नहीं करेगा। जोनाह को ईश्वर द्वारा दिए गए कार्य को करने की इच्छा नहीं थी और वह सोचने लगा की निनेवेह के लोग अच्छे नहीं है और वें उसकी बात नहीं सुनेंगे।

अब जोनाह खुदको ईश्वर से छुपाना चाहता था इसके लिए वह निनेवेह के विपरीत दिशा की ओर चलता है। वह जोप्पा सहर में जा पहुँचता है जहाँ उसे एक जहाज़ दिखाई देती है। वह जहाज़ के मालिक से पूछता है “यह जहाज़ कहाँ जा रहा है ?”

“यह जहाज़ पड़ोस के सहर जा रहा है।” जहाज़ के मालिक ने जोनाह से कहा।
अब जोनाह जहाज़ के मालिक से विनती करने लगता है की उसे जहाज़ में थोड़ी सी जगह दे दी जाए इसके लिए वह ज़्यादा रकम चुकाने को भी तैयार था।

जहाज़ का मालिक जोनाह को अपने साथ ले जाने को राज़ी हो जाता है। जोनाह जहाज में जाकर जहाज़ के निचले हिस्से में सो जाता है। अब जहाज़ अपने मंज़िल की ओर रवाना करती है।

जोनाह का छुपना

थोड़ी देर बाद ही एक तूफान जहाज़ को घेर लेता है। तुफान धीरे-धीरे बधने लगता है और जहाज़ में बैठे हुए लोग इस बात से डरने लगते हैं कि वह जहाज़ डूब जाएगा और सब मारे जाएँगे।

डर कर लोग ईश्वर से प्रार्थना करने लगते हैं, “ईश्वर हमें तुफान से बचाओ। हम आपसे विनती करते है कि आप हमें बचाएँ।”

यह सब देख जोनह आकर सबसे कहता है, “मेरे मित्रों ईश्वर मुझे सज़ा दे रहा है। ईश्वर ने मुझे एक काम सौपा था लेकिन मई उस काम को किए बगेर यहाँ भागकर ईश्वर से छुपने की कोशिश करने लगा। आप सब मुझे पानी में फेंक दे इससे यह तुफान रुक जाएगा।”

जहाज़ के लोगों ने जोनह की बात सुनी लेकिन वें सब जोनह को पानी में नहीं फेंकना चाहते थे। सबने जोनह को पानी में फेंकने से इनकार कर दिया। धीरे-धीरे तुफान और बढ़ने लगा जिससे लोगों का डर और बढ़ गया। अब सब मिलकर जोनह को पानी में फेकने को तैयार थे। सबसे जोनह को पानी में फेंक दिया।

मछली के अंदर जोनाह

पानी में गिरते ही जोनह के पास एक बड़ी सी मछली आई ओर उसे निगल गई। जोनह समझ चुका था कि ईश्वर उसे सजा दे रहा है। 1 दिन बीता 2 दिन बीता लेकिन जोनह को मछली के पेट में ही रहना पड़ा। वह सोचने लगा कि उसे कभी सूरज देखने को मिलेगा या नहीं चिंता और डर के मारे वह ईश्वर से प्रार्थना करने लगता है कि वह उसे यहां से बाहर निकाले। जोनह ने ईश्वर से माफ़ी भी मांगी ओर कहा, “मेरे ईश्वर मुझें माफ कर दें। मई आपके बताए हुए कार्य को पुरा करूँगा।”

Jonah and Whale Bible Story in Hindi
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3 दिन के बाद मछली ने जोनह को एक सुरक्षित और सुखी जगह पर छोड़ दिया उस जगह पर ईश्वर ने जोना से कहा, “जोनाह, निनेवेह जाओ और वहाँ के लोगों को समझाओ की इजराइल के लोगों पर ज़ुल्म करना बंद कर दे। उन्हें मेरे बताए मार्ग पर ले आओ। उन्हें अच्छी ज़िन्दगी जीने के लिए कहो।”

निनेवेह में जोनाह

अब जोनाह ईश्वर के कहे अनुसार निनेवेह की ओर चल पड़ा। वहाँ पहुंचकर जोनाह ने सबसे कहा, “ईश्वर तुम सबसे बहुत नाराज़ है क्योकि तुम सबने बहुत पाप किया है और तुम सब सजा के भागीदार हो। तुम सबको ईश्वर से माफ़ी मांगनी होगी। अगर ऐसा नहीं करोगे तो 40 दिन के अंदर यह जगह पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा। “

“ईश्वर हम सबसे प्यार करते है हमें भी उनसे प्यार करना चाहिए। अपने बुरे कामो को तुरंत बंद कर दो और ईश्वर से प्यार करो। वें हमारे सारे पापों को माफ़ कर देंगे,” जोनाह ने सबसे कहा।

सबने जोनाह की बात मानी और ईश्वर से प्रार्थना करने लगे सब लोगों ने अपने बुरे कामो को बंद किया। अब सब वहाँ ख़ुशी से रहने लगे। जोनाह को लगा था की कोई भी उसकी बात नहीं मानेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ सबने उसकी बात सुनी क्योकि वह ईश्वर का सन्देश लोगों तुक पंहुचा रहा था।

इस कहानी से हमें क्या सिख मिलती है ?

इस कहानी को पढ़कर हमें यह सिख मिली की ईश्वर के दिए हुए कार्य को हमें बिना संदेह के पूरा करना चाहिए। हमें जोनाह की तरह भागना नहीं है क्योकि हम सब अच्छे से जानते है की ईश्वर की नज़रों से कोई भी नहीं छूप सकता। हम जहाँ कही भी हो ईश्वर की नज़र हमपर हमेशा बनी होती है।

जब ईश्वर ने जोनाह को कार्य सौंपा तो जोनाह सोचने लगा की लोग उसकी बात नहीं मानेंगे लेकिन वह यह भूल गया था की उसे ईश्वर ने स्वयं यह काम करने को कहा है। इसीलिए हमें भी ईश्वर के कार्य को करने के लिए सोचना नहीं चाहिए।

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