Short Story In Hindi With Moral – Bacchon ki Kahaniyan. Nowadays, there is a lot of decrease in the morality of children. After many troubles in their life, the get nervous, they tells lies, they do not listen to the elders and apart from this there are many such flaws which are seen in children. In such a situation it is necessary to bring ethics in them.

To guide and lead them on the right path. We can do all this through small stories. Short stories with morals. Children are very interested in listening to stories. Children love to listen stories. That is why we have brought some interesting stories for your child which you must read. Short Story In Hindi With Moral.

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आजकल बच्चों की नेतिकता में बहुत कमी देखने मिलती है । उनके जीवन में कई सारी परेशानियाँ आने के बाद उससे घबराते है, झुट बोला करते हैं, बड़ो की बात नहीं सुनते इसके अलावा भी ऐसी बहुत सी खामिया हैं जो बच्चों में देखने को मिलती है। ऐसे मे जरुरी हैं की उनके अन्दर नेतिकता लाना। उनका मार्गदर्शन करना और सही रास्ते पर लाना।

यह सब हम छोटे-छोटे कहानियों के माध्यम से कर सकते है। बच्चें कहानियाँ सुनने मे बहुत रुचि लेते है। बच्चों को कहानियाँ सुनना बहुत पसंद है। इसीलिए हम आपके लिए लेकर आए है कुछ ऐसी ही रोचक कहानियाँ जिसे आप जरूर पढ़े। बच्चों की कहानियाँ ।

कबूतर और चीटी की कहानी Ant and The Dove Story in Hindi

Short Story In Hindi With Moral
Short Story In Hindi With Moral

कबूतर और चीटी की कहानी Ant and The Dove Story in Hindi.

नदी के किनारे एक बहुत ही अच्छा फल का पेड़ था। उस पेड़ पर एक कबूतर बैठा हुआ था और वह बड़े मजे से फल खा रहा था। ऐसे में उसने देखा कि एक हवा का झोंका आया और उस हवे के झोंके में एक चींटी उस नदी में जा गिरा। चींटी के नदी में गिरते ही चींटी ने आवाज लगाई, “मुझे बचाओ कोई तो मेरी मदद करो”

पेड़ पर बैठे कबूतर ने चीटी की आवाज सुनी। अब ऐसे में कबूतर ने तुरंत ही फल छोड़ा और चीटी की मदद को आगे आया। उसने एक पत्ते को ले कर चीटी की और दिया। उस पत्ती की मदद से चींटी ने अपनी जान बचाई। चीटी ने कबूतर को शुक्रिया कहा।

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कुछ दिनों बाद जंगल में एक शिकारी आया उस शिकारी ने जंगल में जाल बिछाया और जाल बिछाने के बाद उसमें कुछ खाने के दाने डाल दिए। यह सारी घटना चींटी देख रहा था।

कुछ देर बाद वह कबूतर खाने के लिए नीचे की ओर आ रहा था, कि कभी चीटी ने सोचा कि मुझे उसकी मदद करनी चाहिए।

तो फिर उस चीज में जाकर छुपे हुए शिकारी के पैर को ज़ोर से काटा जिससे शिकारी की चीख निकल गई। शिकारी की उस चीज को सुनकर कबूतर चौकन्ना हो गया और इस जाल में फंसने से बच गया।

इस तरह से चींटी ने उस कबूतर की जान बचाई

Moral of The Ant and The Dove Story in Hindi

जो जैसा करता है उसे वैसा ही फल मिलता है। कहानी में पहले चींटी मुसीबत में था तो कबूतर ने उसकी जान बचाई उसी तरह से चींटी ने भी कबूतर की जान बचाई। इसीलिए हमें भी दूसरों की मदद करनी चाहिए और किसी भी मुसीबत में पड़े हुए इंसान को सहायता देकर उसे मुसीबत से बाहर निकालना चाहिए। कबूतर और चीटी की कहानी Ant and The Dove Story in Hindi.

Ant and The Dove Story in Hindi Free PDF

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लोमड़ी और मुर्गा की कहानी Story of Fox and Rooster in Hindi

लोमड़ी और मुर्गा की कहानी Story of Fox and Rooster in Hindi.

एक छोटे से गांव में एक मुर्गा रहता था। मुर्गा बहुत ही समझदार और चलाक था। एक दिन गांव में एक लोमड़ी आया। लोमड़ी ने देखा की एक मुर्गा पेड़ की टहनी पर बैठा हुआ था। मुर्गे को देखकर लोमड़ी ने विचार किया कि वह मुर्गे को खा जाएगा लेकिन उसके लिए उसे मुर्गे को नीचे बुलाना पड़ेगा।

अब लोमड़ी ने विचार किया कि वह मुर्गे को बेवकूफ बनाएगा और उसे नीचे लेकर आएगा यह सोचकर उसने मुर्गे से कहा, “तुम वहां ऊपर क्या कर रहे हो नीचे आओ नीचे आकर हम दोनों बैठ कर एक साथ बात कर सकते हैं।” ऐसा कह कर लोमड़ी मुर्गे को बेवकूफ बनाना चाहता था।

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मुर्गे ने कहा, “नहीं मैं नीचे नहीं आ सकता क्योंकि मैं खूंखार जानवरों से दूर रहता हूं। इसलिए मैं वहां तुम्हारे पास नीचे नहीं आ सकता। मुझे इस बात का डर है कि तुम मुझे दबोच कर खा जाओगे।”

“अरे! तुम्हें नहीं पता,” लोमड़ी ने कहा, “आज जंगल में सभी जानवरों ने फैसला किया है कि वह एक दूसरे जानवरों के साथ मिलकर रहेंगे और एक दूसरे का शिकार नहीं करेंगे। इसलिए अब तुम्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं है। मुझसे भी डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। नीचे आ जाओ हम बैठ कर बात कर सकते हैं।”

मुर्गा लोमड़ी की बातों को सुन रहा था और वह जानता था कि लोमड़ी उसे बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहा है। तो इसी वजह से मुर्गे ने में अपना दिमाग लगाया और उसने लोमड़ी से कहा, “अरे वाह यह तो अच्छी बात है! अगर ऐसा ही है तो हम सब मिलकर एक साथ रह सकते हैं। ऐसा कहने के बाद मुर्गा अपनी गर्दन को ऊपर करके दूर की तरफ देखने लगा।”

मुर्गी को ऐसा करता है देख लोमड़ी सोचने लगा कि आखिर मुर्गा क्या रहा है? इस वजह से उसने मुर्गे से पूछा कि आखिर तुम वहां क्या देख रहे हो? क्या है वहाँ?

“कुछ नहीं बस मुझे देख कर के ऐसा लग रहा है कि कुछ जंगली कुत्ते झुंड में इसी और आ रहे हैं। इसी वजह से मैं अपना गर्दन ऊपर करके उन्हें देख रहा हूं। ” मुर्गे ने लोमड़ी से कहा।

यह सुनकर लोमड़ी घबरा गया और वह वहां से निकलने की कोशिश करने लगा। जैसे ही वह वहां से जाने लगी तो मुर्गे ने पूछा, “तुम यहां से क्यों जा रही हो? रुको हम बैठकर बात करने वाले थे और जंगली कुत्ते जब आ जाएंगे तो हम उनके साथ बैठ कर बात कर सकेंगे। “

“नहीं! नहीं! मैं यहाँ नहीं रुक सकता अगर मैं यहां रुका और कुत्ते आ गए तो वह मुझे खा जाएंगे इसीलिए मुझे यहां से जाना पड़ेगा।” लोमड़ी ने कहा।

“अच्छा लेकिन सुबह तो फैसला हुआ था कि जंगल के सारे लोग एक दूसरे के साथ मिलकर रहेंगे और किसी को नहीं मारेंगे तो फिर तुम डर क्यों रहे हो?” मुर्गे ने लोमड़ी से पूछा।

लोमड़ी ने मुर्गे से कहा, “दरअसल बात यह है कि यह खबर अभी तक जंगली कुत्तों तक नहीं पहुंची है। इसीलिए मुझे यहां से भाग कर जाना पड़ेगा। “

यह कहकर लोमड़ी तुरंत ही वहां से भाग गया और इस तरह से मुर्गे ने अपनी जान बचाई और अपनी रक्षा की।

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Moral of Fox and Rooster Story in Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दूसरों की बात को तुरंत नहीं मानना चाहिए हमें उस पर विचार जरूर करना चाहिए कि वह हमारे लिए सही है या नहीं। इस कहानी से हमें यह भी शिक्षा मिलते हैं कि हमें अपनी रक्षा के लिए हमेशा विचार करना चाहिए।

Fox and Rooster Story in Hindi Free PDF

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चालाक खरगोश और शेर की कहानी Clever Rabbit and Lion in Hindi

चालाक खरगोश और शेर की कहानी Clever Rabbit and Lion in Hindi.

दूर जंगलों में एक खूंखार और भयानक शेर रहता था। वह रोज़ बहुत से जानवरों का शिकार करता और उन्हें मार देता था। पुरे जंगल में शेर का खौफ था। सारे जानवर उससे डरते और छुपकर रहा करते थे। जंगल के जानवरों का जीना मुश्किल हो चूका था। वे अपने खाने के लिए भी निकलने से डरते थे।

ऐसे में जानवरों ने इस परेशानी का समाधान निकालने के लिए एक सभा बुलाई। उस सभा में शेर के अलावा जंगल के सारें जानवर उपस्थित थे। एक के बाद एक सबसे सुझाव देना शुरू किया लेकिन सबको लोमड़ी का सुझाव सबसे सही लगा। लोमड़ी ने अपने सुझाव में कहा था, “हम रोज़ शेर के पास एक जानवर भेजेंगे। ऐसा करने से शेर को उसका खाना भी मिल जाएगा और वह अन्य जानवरों को नहीं मरेगा। इसके बाद हम जंगल में आराम से घूम सकेंगे और अपने खाने की तलाश बिना डरे कर सकेंगे।”

सबने लोमड़ी की बात सुनी और उसकी बात पर सहमत हुए। अब यही बात बताने के लिए लोमड़ी शेर के पास पहुंची। लोमड़ी ने शेर से कहा, “हम तुम्हे रोज़ खाने के लिए एक जानवर भेज देंगे। आपको खाने के लिए रोज़-रोज़ इतना कष्ट नहीं करना पड़ेगा।”

“ठीक है,” शेर ने कहा, “लेकिन इस बात का ध्यान रखना कि अगर एक दिन भी मेरे पास कोई जानवर नहीं पंहुचा तो मैं फिर से शिकार पर निकलूंगा और बहुत सारें जानवरों को मरूंगा।”

लोमड़ी शेर कि शर्तों को मान गई और वह से चले गई। अब रोज़ शेर को एक-एक जानवर भेज दिया जाता और वह उन्हें मारकर खा जाता। एक दिन बारी आई एक खरगोश कि। वह खरगोश बहुत ही चालक था और हर वक़्त अपने दिमाग का इस्तेमाल किया करता। इस बार भी उसने सोचा कि इस परेशानी से निकालने के लिए क्या किया जाए।

निकालने से पहले उसने सभी जानवरों से कहा, “आज मेरी बारी आ ही गई। लेकिन आज या तो मैं बचूंगा या फिर शेर।” ऐसा कहकर खरगोश वहाँ से निकल पड़ा। रास्ते में चलते-चलते वह यह सोचने लगा कि आखिर वह किस तरह से उस शेर से छुटकारा पाएगा। चलते- चलते उसे एक कुआँ दिखा दिया। वह कुँए के पास गया ताकि वह वहाँ से पानी पि सके। पानी उसकी पहुंच से दूर था इसलिए वह पानी नहीं पि सका।

जब आज कुँए में झाका तो उसे अपनी परछाई कुँए में नज़र आई। अपनी परछाई को देखकर उस खरगोश को एक तरकीब सूझी और वह सीधे शेर के पास जाने लगा।

वही दूसरी तरफ शेर कि भूख बढ़ते जा रही थी। भूख लगने कि वजह से उसका गुस्सा भी बढ़ते जा रहा था। मन में वह सोचने लगा कि वह आज फिर से शिकार कर बहुत सारें जानवरों को मार डालेगा। लेकिन उसके बाद ही खरगोश आ पंहुचा। खरगोश ने कहा, “मैं आ गया मेरे मालिक।”

“तुम्हे आने में इतनी देरी क्यों हुई? मैं तुम्हारा कब से इंतज़ार कर रहा हूँ। मुझे ज़ोरो की भूख लगी है ” शेर ने खरगोश से कहा।

शेर को गुस्सा देखा खरगोश से उसे बताया, “मैं पहले ही आ जाता लेकिन इस जंगल में एक और शेर आ गया है। वह शेर आपसे भी ज़्यादा शक्तिशाली और बलवान है। वह खुदको इस शेर का असली राजा बताता है। उस शेर की वजह से मुझे छुपकर आना पड़ा और इस वजह से मुझे आने में देरी हो गई। “

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खरगोश की बातों को सुनकर शेर और भी ज़्यादा गुस्सा हो गया। शेर ने खरगोश से कहा, “मेरे अलावा इस जंगल का राजा और कोई नहीं हो सकता। सिर्फ और सिर्फ मैं इस जंगल का राजा हूँ। मुझे उस शेर के पास ले चलो उसे मैं सबक सिखाता हूँ।”

इसके बाद खरगोश उस शेर को उस कुँए के पास ले गया जहाँ उसने पाने पिने की कोशिश की थी। खरगोश और शेर जैसे ही उस कुँए के पास पहुंचे तब खरगोश ने ईशारे से से शेर को बताया। खरगोश ने कहा, “यही वह कुआँ है जहाँ से वह शेर निकलता है और शिकार करके वापस चला जाता है।”

अब शेर उस कुँए के पास गया और उसमे झाक कर देखने लगा। कुँए में झाँकने के बाद उस शेर को अपनी परछाई दिखी जिसे वह दूसरा शेर समझने लगा। गुस्से में आकर शेर से दहाड़ लगाई। परछाई भी शेर की नक़ल करने लगा। इससे वह शेर चिड़ने लगा और गुस्से में आकर उस कुँए में कूद गया। शेर उससे लड़ना कहता था लेकिन कुँए में कूदने के बाद उसे पता चला की वहाँ कोई नई था। इस तरह से शेर को अपनी जान गवानी पड़ी।

शेर के मरने के बाद सारें जानवर अब पूरी तरह से आज़ाद थे। सबने खरगोश की सूझबूझ की तारीफ की और उसे धन्यवाद भी कहा।

कहानी की सिख – इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि चाहे कितनी भी बड़ी परेशानी क्यों न हो। हमें हमेशा दिमाग से काम लेना चाहिए। दिमाग का इस्तेमाल करके ही हम अपने परेशानियों का हल निकाल सकते है। खरगोश ने भी यही किया उसने परेशानी में दिमाग से काम किया।

Moral of Clever Rabbit and Lion in Hindi

इस कहानी से हमें यह भी सिख मिलती है कि गुस्सा मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। शेर के अंदर बहुत सारा अहंकार भरा था इसकी वजह से बहुत ही जल्द गुस्सा हो जाता। गुस्से कि वजह से ही उस शेर को अपनी जान गवानी पड़ी। चालाक खरगोश और शेर की कहानी Clever Rabbit and Lion in Hindi.

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Clever Rabbit and Lion in Hindi Free PDF

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खरगोश और कछुए की कहानी Moral story of rabbit and turtle in Hindi

एक नदी के किनारें घना जंगल था उस जंगल में अनेक जंगली जानवर रहते थे। वहाँ एक खरगोश और एक कछुआ भी रहता था। खरोश सबसे तेज़ दौड़ता था वही दूसरी तरफ कछुआ बहुत धीरे-धीरे चलता था। खरगोश हमेशा कछुए का मज़ाक उडाता क्योकि वह हमेशा धीरे चलता था। वह जब कभी भी कछुए को देखता उसका मज़ाक उडाता, “वो देखो फिर आ गया धीमा कछुआ। यहाँ आने के लिए इसे शायद 2 दिन लगा होगा। “

खरगोश को खुदपर बहुत ही ज़्यादा घमंड हो चूका था। अब वह लोगों को दिखने के लिए और कछुए को निचा साबित करने के लिए कछुए से जाकर कहा, “धीमी रफ़्तार वाले कछुए मई तुम्हे खुदको साबित करने का मौका देता हूँ। तुम और मै आपस में एक दौड़ प्रतियोगिता करेंगे। हम दोनों में जो जीतेगा वहीं हममें से ज़्यादा तेज़ होगा।”

कछुआ बेचारा क्या करता उसने उस प्रतियोगिता के लिए हाँ कर दी। अब अगले दिन दोनों के बीच प्रतियागिता होने वाली थी। जैसे ही अगले दिन की शुरआत सूरज की किरणों के साथ हुई जंगल के सारें जानवर इक्खट्टा होने लगें। जैसे ही खरगोश आया सुब उसकी तारीफ करने लगें। सबका कहना था की खरगोश ही जीतेगा। फिर कुछ देर बाद कछुआ भी वहाँ पंहुचा। कछुए को देरी से आता देख सब उसे चिढ़ाने लगें, “देखो इसे आज के दिन भी देरी से आया है। ये कभी नहीं जीत सकता।” कछुए ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया।

दोनों दौड़ के लिए एक साथ खड़े हुए और दोनों के बीच प्रतियोगिता शुरू हुई। प्रतियोगिता शुरू होते ही खरगोश पूरी रफ़्तार के साथ दौड़ने लगा। लेकिन, कछुआ अपनी धीमी चाल से आगे बढ़ता रहा। कछुआ बहुत तेज़ था उसने कम समय में लम्बी दुरी तय कर ली थी। कछुआ जब थोड़ा थक गया टब वह थोड़ी देर रुक गया। उसने पीछे मूडकर देखा तो पीछे कोई भी नहीं था।

उस वक़्त कछुए ने सोचा, “अरे वाह! मै तो बहुत आगे हूँ। मैं यह प्रतियोगिता बड़ी आसानी से जीत जाऊंगा। मैं थोड़ी देर इस पेड़ के नीचे आराम कर लेता हूँ।” अब खरगोश पेड़ के नीचे आराम कर रहा था। आराम करते-करते उसे नींद आ गई और वह सो गया।

दूसरी तरफ कछुआ आराम से चलता हुआ अपने मंज़िल की तरफ बढ़ रहा था। रास्ते में उसने खरगोश को सोता हुआ देखा और वह आगे बढ़ चला। अचानक खरगोश की नींद खुला और वह तुरंत भागा। जब वह अंतिम स्थान पर पंहुचा तो उसने देखा की कछुआ पहले से पहुंच चूका था और खरगोश वह प्रतियोगिता हर चूका था।

खरगोश की हार जाने से उसका सारा घमंड ख़तम हो गया और उसने कछुए से माफ़ी मांगी।

कहानी से हमें क्या सिख मिली ?

हमें इस कहानी से यह सिख मिली की घमंड करना और दूसरे का मज़ाक उड़ाना अच्छी बात नहीं होती।

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साँप और चीटी की कहानी Moral story of snakes and ants in Hindi

जंगल में तरह-तरह के जानवर रहा करते है। कुछ जानवर पेड़-पौधे खाते है और कुछ अन्य जानवरों को खाते है। एक जंगल में एक छोटा सा सांप अपने बिल में रहता था। वह चूहों, बतक आदि छोटे-छोटे जानवरों को खता था। उसका डर बस छोटे जानवरों तक सिमित था। धीरे धीरे वह बड़ा होने लगा। अब शरीर बड़ा होने के साथ-साथ उसे ज़्यादा खाना खाने की आवश्यकता थी। ऐसे में वह एक दिन में बहुत सरे छोटे जानवरों को खा जाता। वह सांप चिडियो को, चिड़ियों के अण्डों को, चूहे, खरगोश,बतख आदि अन्य जानवरों को खाया करता। खाने के बाद अपने बिल में घुस जाता और सोता रहता। जंगल के सारे जानवर उससे परेशां रहने लगे थे।

धिरे-धीरे समय निकलता गया और सांप का शरीर और भी बड़ा होता चला गया। अब उसे अपने बिल में घुसने में मुश्किल होती थी। कभी-कही तो वह अपने बिल में फस जाया करता था। ऐसे में वह सांप दूसरे बिल की तालाश में इधर-उधर भटकने लगा। रेंगता हुआ वह एक बरगद के पेड़ के पास जा पंहुचा। उसने वह देखा की वह चीटियों ने बहुत ही बड़ा बिल बनाया था। सांप ने सोचा, “यह बिल मेरे लिए बहुत सही रहेगा। यह बड़ा भी है और मेरे शरीर के लिया उत्तम भी है। ” यह सोचकर वह चीटिंयों के पास गया और उनसे बोला, “आज से मई इस बिल में रहूँगा तुम सब यहाँ से चले जाओ।”

बरगद का पेड़ बहुत ही बड़ा होता है जिसमे एक साथ बहुत से जानवर रह सकते है। इसीलिए उस बरगद के पेड़ में भी बहुत से जानवर पंछी रखा करते। लेकिन जब उन्होंने सुना की वह सांप यहाँ रहना कहता है तो वे सब डर गए। सबने सोचा के कैसे भी यह सांप यहाँ से चला जाए।

चीटियों ने जैसे ही सांप की बात सुनी तो वे गुस्सा हो गई और सबसे मिलकर एक साथ सांप पर हमला कर दिया। चीटियों ने सां के शरीर को पूरा ढक लिया और वे सुब सांप को काटने लगी। ऐसे में सांप छटपटाने लगा और तुरंत वहां से भाग गया। इस तरह से छोटी सी दिखने वाली चींटियों ने एक बड़े से सांप को भगा दिया। इसलिए कहते है न जो जैसा दीखता है वैसा होता नहीं। दूसरे के छोटे शरीर को देख यह नहीं सोच लेना चाहिए की वह करजोर है। एक छोटा सा चींटी एक बड़े से हाथी को आसानी से परेशान कर सकती है।

शेर और लोमड़ी की कहानी Moral the story of the lion and the fox in Hindi

एक जंगल में एक खूंखार शेर रहता था। वह शेर बहुत ही खतरनाक था जिससे जंगल के सारे जानवर डरा करते थे। शेर अपनी भूक मिटने के लिए जंगल के जानवरों का शिकार करता और उन्हें खा जाता। शेर को ज़ोरों की भूक लगी थी। वह शिकार करने के लिए जंगल में घूमने लगा।
वह बहुत देर तक जंगल में घूमता रहा लेकिन उसे एक भी जानवर दिखाई नहीं दिया। वह भूख के मारे पागल हो रहा था।

बहुत देर तक चलने के बाद शेर एक गुफा के पास जा पंहुचा। गुफा के पास पहुंचते ही उसने सोचा, “यहाँ पक्का कोई जानवर रहता है। मैं उसका शिकार करूँगा और उसे खा जाऊंगा। ” शेर धीरे-धीरे गुफा के अंदर गया। गुफा के अंदर जाकर उसने देखा की वहां कोई नहीं था। वह गुफा खली था। लेकिन शेर को वहां दूसरे जानवर की ताज़ा महक आ रही थी जिससे वह समझ गया की यहाँ पक्का एक जानवर रहता है। ऐसे में शेर वहां छुपकर अपने शिकार का इंतज़ार करने लगा।

कुछ देर बाद एक लोमड़ी वहां आई। लोमड़ी जब अपने गुफा के नज़दीक पहुंची तो उसने देखा की गुफा के अंदर की और शेर के पैरों के निशान है। ऐसे में लोमड़ी बहुत डर गई और वह सोचने लगी की अंदर जाऊ या नहीं जाऊ? लोमड़ी ने खुदको शांत किया और अपने दिमाग का इस्तेमाल करने लगी। बारीकी से देखने के बाद पता चला की शेर के पैरों के निशान अंदर की ओरे जा रहे है लेकिन वापस नहीं आ रहे। ऐसे में लोमड़ी समझ गई की शेर अंदर है।

लोमड़ी अपने निर्णय की पुष्टि करने के लिए एक और तरकीब सोचने लगी। लोमड़ी बोली, मेरी गुफा मैं आ गई। क्या तुम मेरा स्वागत नहीं करोगी ?” लोमड़ी के ऐसे कहने पर शेर चुपचाप अंदर सुन रहा था।

लोमड़ी ने फिर आवाज़ लगाया, “मेरी प्यारी गुफा क्या कोई परेशानी है? आज तुम मेरा स्वागत नहीं कर रही।” यह सुनकर शेर सोचा की उसे चुप नहीं बैठना चाहिए नहीं तो लोमड़ी भाग जाएगी। शेर ने कहा, “नहीं नहीं! सबकुछ ठीक है। तुम्हारा स्वागत है अंदर आओ। ” अब लोमड़ी पाके तौर पर जान चुकी थी की शेर अंदर ही है। ऐसे में वह जितनी जल्दी हो सके वहां से भाग गई और अपनी जान बचा ली। दूसरी तरफ शेर वही भूखा अंदर इंतज़ार करते-करते मर गया।

मोरल ऑफ़ द स्टोरी : हमें हमेशा धंदे दिमाग से काम करना चाहिए। अगर हम किसी मुसीबत में हो तो सबसे पहले हमें अपना दिमाग शांत करना चाहिए फिर कोई निर्णय लेना चाहिए इससे गलतियाँ होने की सम्भावना कम हो जाती है।

लोमड़ी और कौवा Moral story of fox and crow in Hindi

एक समय की बात है एक भूखा कौवा खाने की तलाश में यहां-वहां भटक रहा था तभी उसे एक सड़क पर एक रोटी मिली। उसने उस रोटी को लिया और दूर जंगल में जाकर एक पेड़ पर बैठ गई कौवा। जब वह रोटी खाने लगा उसी वक्त एक लोमड़ी उसके पास आई।

लोमड़ी को भी भूख लगी थी और उसने कौवा के मुंह में रोटी देखकर यह सोचा कि उस रोटी को वह खाएगी। यह विचार कर उस लोमड़ी ने कौवा से कहा, “अरे कौवा! आज तुम तो बहुत ही अच्छे दिख रहे हो और मैंने सुना है की तुम बहुत अच्छा गाते हो। क्या तुम मुझे गाकर सुनाओगे? मैं तुम्हारा गाना सुनने के लिए तरस रहा हूं। “

कौवा अपनी तारीफ सुनकर बहुत ही खुश हुआ और वह गाना गाने के लिए सोचने लगा। लेकिन गाना गाने से पहले उसके दिमाग में विचार आया कि अगर वह गाना गाएगा तो उसके मुंह की रोटी नीचे गिर जाएगी और फिर लोमड़ी उसे खा जाएगी। इसलिए कौवे ने रोटी को अपने पैर के नीचे दबाया और गाना गाने लगा।

कौवे के ऐसा करने पर लोमड़ी को समझ में आ गया कि उसकी तरकीब काम नहीं कर रही है तो उसने दूसरी तरकीब आज़माई। उसने कौवे से कहा, “अरे वाह कितना मधुर गाना गाती हो। मैंने सुना है कि तुम नाचते भी बहुत अच्छा हो। क्या तुम मुझे नाच कर दिखाओगे ?”

अपनी इतनी ज़्यादा तारीफ़ सुनकर कौवे को और भी ज़्यादा खुसी हुई। ख़ुशी के मारे वाह यह भी भूल गया की उसके पैर के नीचे रोटी है। कौवा नाचने लगा। जैसे की कौवे ने अपने दोनों पैर उठाए रोटी नीचे गई। तुरंत ही लोमड़ी उस रोटी को अपने मुँह में दबाकर आगे चला गया।

अब कौवे को समझ आ गया की लोमड़ी उसे बेवकूफ बना रही थी। इसीलिए कहते है की अपनी झूटी तारीफ़ सुनकर हमें खुश नहीं होना चाहिए।

अंगूर खट्टे है Moral story of grapes are sour in Hindi

एक भूखी लोमड़ी खाने की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी। भटकते-भटकते उसे वह एक ऐसी जगह जा पहुंची जहाँ उसके सामने बहुत सारा अंगूर पेड़ की उचाईयों में लगा था। अंगूर को देखकर उसके मुँह में पानी आ गया। लोमड़ी सोचने लगी, “वह कितने स्वादिस्ट अंगूर है इन्हे खाकर मज़ा आ जाएगा। मई पूरा अंगूर खा जाउंगी।”

यह सोचने के बाद वह छलांग लगाती है ताकि वह कूदकर अंगूर को खा सके। लेकिन अंगूर ऊपर था। लोमड़ी ने फिर छलांग लगाया लेकिन फिर भी वह उस अंगूर तुक नहीं पहुंच सकी। ऐसे में वह और ज़ोर से छलांग लगाने लगी। लोमड़ी ने सारा ज़ोर लगा दिया लेकिन फिर भी वह अंगूर तुक नहीं पहुंच सकी। बार-बार कोशिश करने बावजूब भी वह अंगूर तुक नहीं पहुंच सकी। अंत में हार मानकर वह वह से जाने लगी। जाते-जाते उसने कहा, “अंगूर खट्टे है।”

इस कहानी के माध्यम से हमें यह बताया जा रहा है की जब हम किसी चीज़ को पसंद करते है तो उसे पाने के लिए तरह-तरह के कोशिश करते है। लेकिन जब हम उसे प्राप्त नहीं कर पाते तो उसकी बुराई करने लगते है। पहले लोमड़ी अंगूर को स्वादिस्ट कहती है। लेकिन जब वह उसे हासिल नहीं कर पाती तो वह अंगूर खट्टे है कहकर वह से चले जाती है।

बुद्ध का ज्ञान Moral wisdom story of Buddha in Hindi

एक समय की बात है गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ एक सफर पर थे। सफर में चलते-चलते बुद्ध को प्यास लगी तो उन्होंने अपने एक शिष्य से कहा कि जाओ जाकर मेरे लिए पीने का पानी लेकर आओ।

अब ऐसे में उस शिष्य ने आसपास देखा तो कहीं कोई पानी का स्रोत नहीं मिला। लेकिन उसने और कोशिश की तो रास्ते में उसे एक पानी का स्त्रोत मिला।

वहां उसने देखा कि कुछ लोग उस पानी के स्त्रोत में कपड़े धो रहे हैं और तभी वहाँ से एक बैलगाड़ी उस पानी के स्त्रोत के ऊपर से गुजर गया। ऐसे में वहां का पूरा पानी गंदा हो गया और उसमें मिट्टी भर गया। फिर उसने सोचा कि इस गंदे पानी को, मिट्टी से भरे हुए पानी को मैं बुद्ध के लिए कैसे लेकर जा सकता हूं?

तो वह खाली हाथ ही वापस चला गया और गौतम बुद्ध से जाकर यह बात बताई। बुद्ध ने कहा कि ठीक है हम सब यहां इस बड़े से पेड़ की छाया में बैठकर आराम करते हैं।

कुछ समय बीता फिर गौतम बुद्ध ने उसी शिष्य को फिर से पानी लाने को कहा। अब वह शिष्य वापस से उसी पानी के स्रोत के पास गया। वहां जाकर उसने देखा कि वह पानी बिलकुल साफ था और पीने योग्य था। अब वह शिष्य बुद्ध के लिए वह पानी लेकर गया और उसने वह पानी गौतम बुद्ध को पिलाया।

बुद्ध ने सब को यह बात बताई कि जिस तरह से पानी में कीचड़ मिट्टी फैल गई थी। लेकिन उसे थोड़ी समय तक छोड़ देने तक उसका सारा मिट्टी नीचे बैठ गया और वह पानी वापस से साफ हो गया। उसी तरह से हमारा मस्तिष्क भी है। जब हमारा मस्तिष्क अशांत हो तब उसे वक्त देकर उसे शांत करो। हमारा मस्तिष्क भी थोड़े समय के बाद शांत जरूर होगा। अशांत मस्तिष्क से कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए। बस हमें करना यह है कि हमें अपने मस्तिष्क को थोड़ी देर तक शांत रखना है जिससे कि हम अच्छे फैसले ले सकते हैं। बच्चों की कहानियाँ ।

Moral of the story- अशांत मस्तिष्क से लिए हुए फैसले हमेशा गलत होते हैं। हमें हमेशा शांत मस्तिष्क के साथ ही कोई निर्णय लेना चाहिए जिससे कि गलतियां होने की गुंजाइश कम हो जाती है।

Read all these stories in english – Stories in english

लोमड़ी और सारस की कहानी Moral story of the fox and the stork in Hindi

बहुत समय पहले जंगल में एक लोमड़ी और सारस रहा करते थे। लोमड़ी बहुत चालाक थी। सारस बहुत समझदार और दूसरों से अच्छा व्यवहार करता था। वह दूसरों के साथ अच्छे से मिलजुल कर रहा करता था। वह कभी किसी को नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करता।

एक दिन लोमड़ी सारस को नीचा दिखाने की लिए उसके पास आई और उसे बोली, “कैसे हो मेरे दोस्त।”

“मैं बहुत अच्छा हूं,” सारस ने लोमड़ी से कहा, “तुम बताओ यहां आज कैसे आना हुआ।”

“मैं यहां तुम्हें आमंत्रित करने आई हूं। दरअसल मेरा जन्मदिन है और मैं अपने जन्मदिन के उपलक्ष में एक पार्टी का आयोजन कर रही हूं और मैं अपने जन्मदिन के लिए सबको आमंत्रित कर रही हूं। मैं चाहती हूं कि तुम भी मेरे जन्मदिन के उपलक्ष पर आओ।

“जी हां ठीक है। मैं जरूर आऊंगा।” सारस ने कहा। ऐसा कहकर लोमड़ी वहां से चली गई। फिर सारस अगले दिन का इंतजार करने लगा। जैसे ही दिन की शुरुआत हुई सारस तैयार होने लगा था ताकि वह उसके जन्मदिन के दावत में जा सके। पार्टी का समय आ चुका था अब सारस लोमड़ी के घर पहुंचा लोमड़ी ने सारस का स्वागत किया और उसे भोजन करने को कहा।

लोमड़ी ने चालाकी से सारस को एक प्लेट में खाना दिया। सारस पतली प्लेट में खाना देखकर घबरा गया क्योंकि सारस की चोंच बहुत लंबी थी और वह इस तरह से प्लेट से खाना नहीं खा सकता था। सारस हमेशा आपने पतली सुराही में खाना खाया करता था। ऐसे में सारस समझ चुका था कि लोमड़ी उसका मजाक उड़ाने के लिए और उसे नीचा दिखाने के लिए यहां बुलाई है।

लोमड़ी ने सारस से पुछा, “क्या बात है आज का खाना अच्छा नहीं है क्या? खाओ-खाओ इसे हमने बहुत अच्छे से बनवाया है तुम्हें जरूरत हो तो मैं और लेकर आ सकती हूं।”

“नहीं-नहीं इतना ही काफी है।” ऐसा कहकर सारस चुपके से चला गया।

कुछ दिनों बाद सारस का भी जन्मदिन आया इस अवसर पर वह लोमड़ी को बेवकूफ बनाना चाहता था। उसने भी जाकर लोमड़ी को आमंत्रित किया और उसे कहा, “कल मेरा जन्मदिन है तुम आना।”

“हां मैं जरूर आऊंगी।” लोमड़ी ने कहा। अगले दिन लोमड़ी तैयार होकर सारस के घर पर गया ताकि वह उसका जन्मदिन मना सके। सारस ने उसे खाने के लिए खाना दिया लेकिन सारस ने लोमड़ी को खाना एक पतली सी सुराही में दिया। लोमड़ी प्लेट में खाया करती थी। ऐसा करके सारस उसे बेवकूफ बनाना चाहता था। लोमड़ी समझ चुकी थी कि सारस वैसा ही कर रहा है जैसा उसने उसके साथ किया था।

लोमड़ी समझ चुकी थी कि उसे बेवकूफ बनाया जा रहा है। इसीलिए वह बहाना बनाकर वहां से चली गई।

मोरल ऑफ़ द स्टोरी- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो भी हो हमें अपने मेहमान का ख्याल अच्छे से रखना चाहिए और दूसरों को नीचा नहीं दिखाना चाहिए।

शिवाजी और अफजलखान की कहानी Moral story of Shivaji and Afzalkhan in Hindi

यह कहानी है शिवजी और अफजलखान की जिसमें अफजलखान शिवजी से दोस्ती करने के बहाने शिवजी की मारने की तरकिब बनाता है।

छत्रपति शिवाजी महाराज अफजलखान 10 नवंबर 1959 को प्रतापगढ़ के किले के पास एक झोपड़ी में मिले। इस मुलाकात में दोनों के बीच एक शर्त रखी गई कि वह दोनों अपने साथ केवल एक ही हथियार लाएंगे।

शिवाजी महाराज को अफजल खान पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था और इसलिए शिवाजी ने अपने कपड़ों के नीचे कवच डाला। शिवजी ने अपनी दाईं भुजा पर बाघ नख रखा और अफजल खान से मिलने चले गए।

जब शिवाजी महाराज अफजल खान से मिले तो अफजल खान शिवाजी से गले मिला। इसी दौरान अफजल खान ने शिवाजी महाराज पर हमला कर दिया। अपने कवच की वजह से शिवजी बच गए और तुरंत ही शिवाजी महाराज ने अफजल खान का वध कर दिया था। अफजल खान मर गया उसके बाद शिवाजी के सैनिकों पर हमला कर दिया।

Moral of the story – चाहे कुछ भी हो अपने दुश्मन पर कभी भरोसा ना करो। दुश्मन अपनी फितरत कभी नहीं बदलता। हमें स्वयं को हर एक परिस्थिती के लिए तैयार रखना चाहिए।

दो मटकों की कहानी Moral story of two pots in Hindi

एक छोटे से गांव में एक कुम्हार रहता था। वह दिन भर मेहनत करके मिट्टी के बर्तन बनाता। बर्तन बनाने के लिए उसे पानी की जरूरत पड़ती और वह पानी लाने के लिए पास के तालाब में जाया करता। उस तालाब का पानी साफ़ था।

वह पानी लाने के लिए हर दिन अपने दो मटकों को लेकर तालाब की ओर जाता और उसमें पानी भर कर ले आता। उन 2 मटकों में से एक मटके में छोटा सा छेद था। जिसकी वजह से उसका पानी धीरे-धीरे उसमें से निकल जाता। यह देखकर दूसरा मटका उसका मजाक उड़ाता था की उसका पानी गिर जाता है। इस बात से वह मटका उदास हो गया। मटके को उदास देखकर कुम्हार ने उससे कहा, “तुम उदास मत हो। मैं तुम्हें यहां हर दिन जानबूझकर लाता हूं। मैं जानता हूं कि तुम में छेद है लेकिन फिर भी मैं तुम्हें यहां पानी भरने के लिए लाता हूं। ऐसा इसलिए है क्योंकि जो भी पानी तुम में से निकल कर बह जाता है वह इन पौधों पर गिरता है। इन पौधों को देखो कितनी सुंदर है और इसमें कितने सुंदर-सुंदर फूल आ गए हैं और ऐसा सिर्फ तुम्हारी वजह से हुआ है। इसीलिए अपनी कमियों पर उदास मत हो इसे अपनी ताकत समझो।

मोरल ऑफ द स्टोरी – हमे कभी भी अपनी कमजोरी को लेकर उदास नहीं होना चाहिए। बल्कि हमें अपनी कमजोरी को हमेशा अपनी ताकत मानना चाहिए और उस पर काम करना चाहिए।

केले के छिलके Moral story of Banana Peel in Hindi

एक शहर में लल्लू राम नाम का एक आदमी रहता था। वह खाने पीने का शौकीन था। दिन भर में वह बहुत सी चीजें खाया करता। जो कुछ भी वह खाता उसका छिलका या पेपर या पॉलिथीन सबको सड़क में यूं ही फेंक देता। वह इस बात का ध्यान नहीं रखता था कि उसके ऐसा करने से आसपास का इलाका गंदा होता है और छिलकों से कोई भी फिसल कर गिर सकता है।

एक दिन लल्लू राम को ऐसा करता देख एक छोटे बच्चे ने उसे रास्ते में रोका और उससे कहा, “अरे अंकल! आप यह केले के छिलकों को ऐसे क्यों फेंक रहे हैं? सड़क पर इससे कोई फिसल कर गिर जाएगा और और इससे हमारा आसपास का जगह गंदा भी तो होता है। हमे कूड़ा कचरा डस्टबिन में डालना चाहिए। क्या आपके स्कूल में यह सब नहीं सिखाया गया?”

लल्लू राम ने उस बच्चे पर ध्यान नहीं दिया बल्कि उल्टा उसके साथ मजाक कर कहने लगा, “नहीं बच्चे मैं तो कभी स्कूल ही नहीं गया। हा हा हा हा हा हा हा।”

लल्लूराम हंस-हंसकर वहां से चला गया। लेकिन जब वह शाम को अपने घर की ओर वापस लौट रहा था तब वही बच्चा पास में अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था। लल्लूराम उस बच्चे को देख रहा था। उसे देखकर लल्लूराम मुस्कुरा रहा था कि तभी अचानक उसका पैर उस केले के छिलके पर पड़ा जिसे उसने सुबह फेका था। केले के छिलके पर पैर पढ़ते ही वह फिसल कर जोर से गिरा। उसको देख आसपास के सारे बच्चे उस पर हंसने लगे।

फिर से वह बच्चा उसके पास वापस आया और उससे कहा, “क्यों अंकल मैंने कहा था ना कि कूड़ा कचरा यहाँ वहाँ नहीं फेंकना चाहिए।”

मोरल ऑफ़ द स्टोरी-हमें कभी भी कूड़ा कचरा बीच सड़क पर नहीं फेंकना चाहिए। उसे हमेशा डस्टबिन में डालना चाहिए। इससे हमारा आसपास का वातावरण साफ रहता है और दूसरों को नुकसान भी नहीं पहुंचता। Short Story In Hindi With Moral.

कुत्ता और हड्डी की कहानी Moral story of dog and bone in Hindi

एक भूखा कुत्ता खाने की तलाश में यहां-वहां भटक रहा था। जब वह खाने की तलाश कर रहा था तब वह एक कसाई खाने के पास जा पहुंचा। तब एक कसाई ने उस कुत्ते को एक हड्डी दिया जिसमें थोड़ा सा मांस लगा हुआ था। कुत्ते ने उस हड्डी में लगे हुए मांस को खाया। फिर उसके बाद वह उस हड्डी को चबाने लगा। हड्डी को चबाते-चबाते उस कुत्ते को प्यास लगी तो वह उठकर एक नदी के पास गया। कुत्ते ने हड्डी को अपने मुह में ही दबाकर रखा हुआ था।

पानी पीने से पहले वह सोचने लगा कि अगर वह हड्डी को थोड़ी देर के लिए भी नीचे रखेगा तो दूसरा कुत्ता आकर उसे ले जा सकता है। इसीलिए वह आस-पास देखने लगा कि कोई कुत्ता है भी या नहीं। तभी अचानक उसकी नजर नदी पर बने हुए परछाई पर पड़ी। यह परछाई उस कुत्ते की ही थी। लेकिन वह समझ नहीं पाया कि यह उसकी परछाई है।

तब उसने सोचा कि यह कोई और कुत्ता है जिसके मुंह में भी एक हड्डी दबी हुई है। वह कुत्ता लालच में आकर उस हड्डी को भी हथियाने की सोच रहा था। ऐसा करने के लिए उसने अपना मुंह खोला और उसके मुह की हड्डी जाकर नदी में गिर गई। इस तरह से उसके पास जो हड्डी थी वह भी उसके हाथ से चली गई। इसीलिए कहते हैं कि ज्यादा लालच करना बुरी बात है।

मोरल ऑफ़ द स्टोरी – ज्यादा लालच करना बुरी बात है। ज्यादा लालच करने से हमारे पास जो है हम उसे भी खो सकते है। Short Story In Hindi With Moral.

तीन मछलियों की कहानी Moral story of three fish in Hindi

एक तालाब में तीन मछलियां रहा करती थी। तीनों मछलियों में बहुत अच्छी दोस्ती थी। तीनों एक साथ खेलते हैं और तालाब भर में घूमा करते। एक साथ ही खाने की तलाश करते। जब कभी भी तीनों में से कोई मुसीबत में होता तीनों मिलकर उसका सामना करते और कोई भी फैसला लेने से पहले तीनों एकसाथ सलाह मशवरा करते।

एक दिन कुछ मछुआरे उस तालाब के पास आए। उनमें से एक मछुआरे ने कहा, “इस तालाब में बहुत सारी मछलियां है। कल आकर हम इस तालाब की सारी मछलियों को पकड़ कर ले जाएंगे। हमारी बहुत अच्छी कमाई हो जाएगी।”

जब वह मछुआरे बात कर रहे थे तब वे तीनों मछलियां वहाँ उनकी बातें सुन रहे थे। यह बात सुनकर तीनों बहुत ही ज्यादा डर गए। लेकिन उन्होंने सोचा कि इसका सामना कैसे किया जाए? फिर तीनों ने आपस में एक सभा बुलाई और उनमें से एक मछली दोनों से कहने लगी, “हमें यह तालाब छोड़कर दूसरी जगह जाना होगा नहीं तो हमारी जान भी जा सकती है।

दुसरी मछली उससे सहमत थी। अपनी सहमती बताने के लिए उसने कहा, “हमे यह से जाना ही होगा। तुम बिल्कुल सही कह रही हो। मैं तुम्हारी बात से सहमत हूं।”

वहीं तीसरी मछली इस तालाब को छोड़कर जाने से इंकार कर देती है और वह दोनों से कहती है, “मैं यह तालाब को छोड़कर नहीं जा सकती। यह हमारे पूर्वजों का घर है और यहां हमने अपना बचपन भी बिताया है। तो हम कैसे इस जगह को छोड़कर जा सकते हैं? इसीलिए मैं यहीं रुकने वाली हूं।”

तीनों के बीच बातचीत होने के बाद वह दोनों मछलियाँ वहाँ से चली गई और फिर अगले दिन वे मछुआरे आए। मछुआरों ने उस तालाब की सारी मछलियों को पकड़ लिया और वह तीसरी मछली भी मर गई।

मोरल ऑफ़ द स्टोरी- इसीलिए कहते हैं कि हमें किस्मत के भरोसे नहीं रहना चाहिए। हमें हमेशा अपने आप को सुरक्षित रखना चाहिए। Short Story In Hindi With Moral.

हीरा और ज्ञानी पेड़ की कहानी Moral story of the Heera and the knowledgeable tree in Hindi

एक समय की बात है। एक गाँव में मेहनती किसान रहता था। उसका नाम हीरा था। वह इतना मेहनती था की लोगो ने उसका नाम ही मेहनती रख दिया था। अब दिक्कत यह थी की वह जितना भी मेहनत करता उससे उतना फल कभी नहीं मिला। गाँव मे ऐसे बहुत से लोग थे जो कम मेहनत किए भी ज्यादा धन दौलत कमाते थे।खुशी खुशी जीवन जीते थे। इन्हे देख हीरा उदास हो जाता ओर सोचता की ऐसा क्या करें जिससे मेरा जीवन भी सुधर जाए। और भी दूसरो की तरह जीवन जी सकूँ।

इन्हीं सब बातों को सोच कर वह दुखी रहने लगा। ऐसा करके अपना सारा दिन व्यर्थ कर देता। एक दिन जब वह जंगल के मार्ग से जा रहा था। तो वह थक कर एक पेड़ के निच्चे बैठ गया। पेड़ के निच्चे बैठ कर वह उन्ही बातों को सोचकर अपने आप को कोस रहा था। तभी वहाँ पिच्चे से आवाज़ आई, “तुम्हारें परेशानियों का कारण मैं जनता हूँ और मैं तम्हें उसे दूर कैसे करना हैं यह भी बता सकता हूँ”

अचानक यह आवाज सुनकर हीरा घबरा गया। उसने अपने आसपास देखा लेकिन उसे कोई भी दिखाई नहीं दिया तो वह चिल्लाकर बोला, “कौन है जो यह बातें कह रहा है?”

फिर एक आवाज आई, “यह मैं बोल रहा हूं तुम्हारे पीछे का यह पेड़ जिसके नीचे तुम बैठे हो। मैं एक ऐसा पेड़ हूँ जो लोगों की इच्छाएं पूरी करता है। और तुम्हें निराश देखकर मुझे लगता है कि मुझे तुम्हारी इच्छाओं को पूरा करना चाहिए। तो कहो मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूं?”

ऐसे में हीरा बहुत देर तक घबराकर सोचता रहा कि आखिर यह हो क्या रहा है। फिर थोड़ा समय लेने के बाद हीरा ने उस पेड़ से कहा, ” मैं जितनी मेहनत करता हूं इतनी मेहनत कोई भी नहीं करता लेकिन उसके अनुरूप मुझे फल नहीं मिलता। तो मैं चाहता हूं कि मुझे थोड़ी धन दौलत मिले जिससे मैं अपना जीवन अच्छे से व्यतीत कर सकूं।”

पेड़ ने हीरा की बात सुनी और उससे कहा कि जाओ तुम्हारी इच्छा में पूरी करता हूं अगले 30 दिन तक तुम्हें जितने भी धन की जरूरत होगी, वो तुम्हें अपने आप मिल जाएगी और तुम्हें उसका जिस तरह से इस्तेमाल करना हो तुम वह कर सकते हो।

वैसे में हीरा बहुत ही खुश हो गया और खुश होकर सीधे अपने घर की ओर चल पड़ा घर जाते ही उसने देखा कि उसके अलमारी की तिजोरी पूरी पैसों से भरी पड़ी थी। उसने उन पैसों से सारी ऐसो आराम की चीजें खरीदी और जहां हो सकता था वहां उस पैसे को खर्च किया। ऐसा करते-करते उसने अगले के 30 दिन पूरे आशाराम और अच्छे से पैसे खर्च करने में लगा दिया।

समय समाप्त हो चुका था। हीरा को जितने भी पैसे मिले उसने सारे खर्च कर दिए थे और अब उसके पास एक भी पैसा नहीं बचा था। ऐसे में हीरा फिर से उदास हो गया और अपने आगे की चीजों को लेकर फिर से चिंतित हो गया।

हीरो फिर से उस पेड़ के पास गया और जाकर उसे कहने लगा कि मुझे और भी पैसे चाहिए और भी समय चाहिए ताकि मैं उन पैसों को जमा कर सकूं।

फिर पेड़ ने उसे कहा कि यही तो तुम्हारी परेशानी है कि तुम जितना मेहनत करते हो तुम्हें उसके अनुसार पैसे भी मिलते हैं लेकिन तुम उन पैसों की कदर नहीं करते और उन्हें जहां मिले वहां खर्च कर देते हो। जिससे कि तुम्हारे पास भविष्य के लिए पैसे नहीं बचते और तुम दूसरों से अपनी तुलना करना चालू कर देते हो तो मगर दूसरों को देखो तो दूसरी पैसों की कदर करके उसे अपने भविष्य के लिए बचाते हैं और खुशहाल होकर जिंदगी जीते हैं।

यह सुनकर हीरा की आंखें खुल गई और उसने अपने निर्णय लिया कि मैं जितनी भी मेहनत करूंगा और उसका जितना भी मुझे पैसे मिलेगा मैं उसे सही तरीके से खर्च करूंगा और अपने भविष्य के लिए बचा लूंगा। बच्चों की कहानियाँ ।

Moral of the story – हमें हमेशा भविष्य के लिए पैसे बचा कर रखनी चाहिए और हमेशा हमें पैसे का सही इस्तेमाल करने की सीख लेना भी बहुत जरूरी है। Short Story In Hindi With Moral.


सोने का पत्ता Moral story of gold leaf in Hindi

एक समय की बात है एक औरत अपने छोटे से घर में अपने दो बच्चों के साथ रहा करती थी वह बहुत ही गरीब थी। वे इतनी गरीब थे कि उन्हें खाने पीने के लिए भी बहुत संघर्ष करना पड़ता था कभी-कभी तो उन्हें भूखे पेट ही सो जाना पड़ता। ऐसे में वह औरत रोज रात को आसमान की ओर देखकर एक ही बात कहती कि काश हमारी जिंदगी सुधर जाए और हम सब अच्छे से रहने लगे। और उनके साथ ऐसा हुआ भी। एक रात वहां से एक परी गुजर रही थी और उस परी ने उस औरत की दुर्दशा देखी और उसकी बातों को ध्यान से सुना।

उसे सुनकर उस परी को दया आ गई और परी ने उस औरत को एक पेड़ दिया और उसे कहा कि इस पेड़ में से जब कभी भी कोई पता नीचे गिरेगा वह सोने का बन जाएगा। उस सोने को तुम बाजार में बेचकर पैसे ला सकती हो और अपने घर को खुशी-खुशी चला सकते हो।

यह सब होता देखो औरत बहुत ही खुश हुई। अब उसके हालात पहलें से सुधर चुके थे। अब उसे और उसके बच्चों को जी भरकर खान भी मिलता।

वह औरत उस पेड़ का अच्छे से खयाल रखने लगी और समय पर उसे सोना मील जाता। धीरे-धीरे पेड़ उन्हें ज्यादा पत्तियाँ देने लगा। ऐसे मे वें ओर भी अमीर होते चले गए।

लेकिन, उस औरत की लालच बढ़ती चली गई ओर उसने सोचा की क्यो ना पूरी पत्तियों को एक साथ निकालकर बेच आती हूँ इससे रोज़-रोज़ का का कोई झंझट नही होगा ओर पैसे हमारे पास एक साथ आ जायेंगे। उस औरत ने ऐसा ही किया। औरत ने पेड़ के सारे पत्ते निकाल लिए और फिर वह पत्तों को सोने मे बदले का इन्तज़ार करने लगी। समय बिता लेकिन पत्ते सुख गए और ऐसे ही रह गए।

अब पेड़ भी सुख गया और औरत के पैसे धीरे-धीरे खतम होने लगे।

कुछ महिनो पश्चात महिला वापस गरीब हो गए। अब उसकी हालात पहले जैसे हो चुकी थी।

Moral of the story – ज्यादा लालच करना अच्छी बात नी है। हमे खुद पर नियन्त्रण रख कर हमारे अन्दर के तरह तरह के लालच पर काबू पाना चाहिए। Short Story In Hindi With Moral.

सन्यासी का साहस Moral story of adventure of a monk in Hindi

सालों पहले एक सन्यासी हुआ करते थे जो बहुत ही प्रसिद्ध थे। उन्हें एक आश्रम से निकलकर दूसरे आश्रम की ओर जाना था। लेकिन, दोनों आश्रम के बीच में एक घना जंगल पड़ता था। तो इस वजह से उन्होंने निर्णय किया कि दोपहर में ही उस जंगल से होकर अपने दूसरे आश्रम में जाएंगे।

दोपहर होते ही उन्होनें अपने सफ़र की शुरुआत की ओर चलते-चलते जंगल के रास्ते में जा पहुचें। जंगल का रास्ता पुरा सुनसान था। आस-पास कोई भी नज़र नहीं आ रहा था।

सन्यासी जी आगे बढ़ते चले गए। चलते-चलते उन्हें पीछे से कुछ आवाज आने लगी और गौर करके उन्होंने सुनने की कोशिश की तो वह आवाज कुछ बंदरों की थी जो उनका पीछा कर रहे थे। स्वामी जी के थैले में कुछ खाना था शायद इसी वजह से वह उनका पीछा कर रहे थे। धीरे-धीरे बंदरों की आवाज तेज होने लगी और सुनकर ऐसा व्यतीत हो रहा था कि वहां बहुत सारे बंदर थे जो स्वामी जी पर एक साथ हमला कर सकते थे।

ऐसे ही में स्वामी जी वही खड़े हुए और पीछे मुड़कर उन्होंने देखा। स्वामी जी ने हाथ में पत्थर लिया और बंदरों की ओर फेंकने लगे। ऐसा करने से सारे बंदर पीछे हट गए और वहां से भाग गए अब स्वामी जी का पीछा कोई नहीं कर रहा था। और इस तरह से उन्होंने अपने सफर को पूरा किया और जाकर शाम को वह अपने आश्रम में पहुंच गए।

Moral of the story – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जब तक हम परेशानियों से पीछे भागते रहेंगे तब तक परेशानी हमारा पीछा नहीं छोड़ेंगे और जब हम हिम्मत से उसका सामना करेंगे तो कभी ना कभी वह परेशानी खतम हो जाएगी। बच्चों की कहानियाँ ।

इसीलिए कहते हैं की परेशानियों से पीछे नहीं भागना चाहिए जब हम उसका हल निकालेंगे तभी वह परेशानी खत्म हो पाएगी।

एकता में बल Moral story of strength in unity in Hindi

एक गांव में भोला नाम का किसान रहता था। उस किसान के 5 बच्चे थे। उन पांचों बच्चों में बहुत लड़ाइयां होती थी और इसे देखकर भोला बहुत ही परेशान रहता था। भोला के लाख समझाने के बावजूद भी वें नहीं माना करते थे और आपस में लड़ा करते थे। अब भोला की उम्र हो चली थी और वह बूढ़ा हो चुका था और देखते-देखते उसके सारे बच्चे भी बड़े हो चुके थे।

भोला का अंतिम समय निकट था। उसे इस बात की चिंता हो रही थी कि मेरे जाने के बाद इन पांचों का क्या होगा?

अगर यह आपस में इसी तरह लड़ते रहे तो कोई भी इन्हें बर्बाद कर सकता है और इनका फायदा उठा सकता है।

अंतिम घड़ी में उसने सभी पांचों बेटों को एक साथ बुलाया और बोला कि जाओ सब दो-दो लकड़ी के टुकड़े लेकर आओ।

पिताजी के कहने पर पांचों ने ऐसा ही किया और सब के सब दो-दो लकड़िया एक साथ लेकर आए। लकड़ियाँ लाने के बाद भोला ने उनसे कहा कि तुम सब एक-एक लकड़ियां अपने हाथ से तोड़ दो।

सभी लड़कों ने बारी-बारी एक-एक करके लकड़ियों को तोड़ा। वे सभी बड़ी आसानी से लकड़ी को तोड़ सके।

भोला ने अपने बच्चों से कहा कि तुम अब पांचों की पांचों लकड़ियों को एक साथ इकट्ठा करके एक गठरी बनाओ और इसे तोड़कर दिखाओ।

सब ने ऐसा ही किया और पांच लकड़ियों की गठरी बनाई और बारी-बारी करके तोड़ने की कोशिश की। सबसे पहले बड़े बेटे ने कोशिश की लेकिन उससे वह नहीं टूट सका। उसने और भी जोर लगाकर उसे तोड़ने की कोशिश की लेकिन वह नहीं तोड़ पाया। ऐसा ही बाकी चारों भाइयों ने भी किया लेकिन कोई भी उस गठरी को नहीं तोड़ सका।

यह देखकर भोला ने उन पांचों भाइयों को समझाया कि जिस तरह से तुम एक लकडी के टुकडे को बड़ी आसानी से तोड़ सकते हो। लेकिन, वही जब पांच लकड़ियों का समूह बना लिया जाए तो तुम उसे लाख कोशिश करने के बावजूद भी नहीं छोड़ पा रहे हो। अगर तुम अपनी ओर देखो ध्यान से तो तुम पांचों के पांचों अलग-अलग लकड़ियां हो जिनमें कोई भी मेल नहीं है। अगर तुम एक साथ हो जाओ तो तुम्हारा कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता और तुम एक साथ हमेशा बलवान रहोगे।

इस तरह से बोला ने अपने बच्चों को एकता की अहमियत सिखाई। यह चीज हमें आसपास दिखती है कि जो अकेला व्यक्ति होता है उसे लोग कमजोर समझते हैं। लेकिन वही अगर कोई उसके साथ और भी पांच लोग हो तो लोग उसे मजबूत और ताकतवर समझते हैं और उसे तंग करने में भी लाख बार सोचते हैं। इसीलिए कहते हैं कि एकता में बल है। बच्चों की कहानियाँ ।

Moral of the story – एकता में बल है। इसिलिए कहा जाता है कि हमें मिलकर एकता के साथ रहना चाहिए।

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परोपकारी पेड़ की कहानी Moral story of the philanthropic tree in Hindi

यह कहानी है एक पेड़ की एक ऐसा पेड़ जो बहुत ही परोपकारी था। जंगल में सब जानवर इस पेड़ का बहुत सम्मान करते थे। कई सारे पशु-पक्षी इस पेड़ की छाया में अपनी नींद पूरी किया करते और कुछ पक्षियों ने तो इसके ऊपर अपना घोंसला भी बना रखा था। बहुत से ऐसे जानवर थे जो इसका फल खाकर अपना पेट भरा करते थे।

जंगल में सब कुछ एक समय तक खुशहाल था। लेकिन एक ऐसा समय भी आया कि कुछ मनुष्य आकर जंगल के पेड़ों को काटने लगे। जंगल के पेड़ लगातार कटते गए लेकिन जानवरों ने किसी भी पेड़ को काटने पर कुछ नहीं किया।

अब बारी आ गई थी उस परोपकारी पेड़ की जिसे लोग काटने वाले थे। जब मनुष्य उसे काटने की तैयारी कर रहे थे तो जंगल के सारे पशु-पक्षी और जानवर एक साथ होकर मनुष्य के विरोध में आ गए। और उन्हें वहां से खदेड़ कर भगा दिया।

इस तरह से सारे जानवरों और पशु-पक्षियों ने उस परोपकारी पेड़ को बचाया। फिर सब आपस में खुशी-खुशी जीने लगे।

Moral of the story – परोपकारी व्यक्ति हमेशा समाज में सम्मान पाता है और कभी भी उस पर कोई मुसीबत आती है तो लोग उसकी सहायता जरूर करते हैं। इस कहानी में वह पेड़ परोपकारी था। दूसरों के लिए अपनी सारी चीजें दे देता था और इसी के चलते वह समाज में सम्मान पाता था। जानवरों के बीच वह सम्मानित था और इसी वजह से जब उस पर मुसीबत आई तो सारे जानवरों ने उसकी सहायता की और उसे बचाया। इसी तरह से हमें भी परोपकारी बनना चाहिए और परोपकारी बनने के साथ-साथ दूसरों की सहायता भी करनी चाहिए।

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सच्चा मित्र-बच्चों की कहानियाँ Moral story of a true friend in Hindi

एक शहर में गोविंद नाम का एक लड़का रहता था। गोविंद बहुत ही अच्छा लड़का था। लेकिन वह एक दिव्यांग था। वह अक्सर लोगों को देखता उन्हें चलता फिरता देखकर खुश होता। अपने साथियों को खेलता देख खुश होता। लेकिन जब खुद ऐसा करने का सोचता तो इस बात को लेकर वह दुखी हो जाता।

गोविंद के दो दोस्त भी थे। जिनमें से एक का नाम था रवि दूसरे का नाम था भोला। रवि हमेशा गोविंद की मदद किया करता और जो भी उसे परेशानी होती उसकी सहायता के लिए हमेशा आगे आ जाता। लेकिन वहीं दूसरी तरफ भोला की बात करें तो वह हमेशा गोविंद के विकलांग होने का मजाक उड़ा था।

एक दिन गोविंद अचानक रास्ते में गिर गया और गिरने पर उसे चोट लग गई। उसे ऐसा गिरा हुआ देख भोला उसपर हंसने लगा और उसका मजाक उड़ाने लगा। लेकिन वही अचानक से रवि आकर भोला को उठाया और उसकी मदद की। उस वक्त रवि ने बोला को फटकार लगाई और कहा, “तुम कैसे दोस्त हो अपने एक दोस्त को परेशानी में देख कर तुम हस रहे हो। तुम्हें शर्म आनी चाहिए।”

ऐसा सुनकर बोला चुप हो गया। इतना सब कुछ करने के बाद भी बोला की आदत में कोई सुधार नहीं आया। वह फिर से गोविंद का मजाक उड़ाना चालू कर दिया। ऐसा देखकर रवि और गोविंद ने भोला से अपनी दोस्ती तोड़ दी। वे उससे अलग रहने लगे। अब दोनों भोला से बात नहीं करते और उससे दूर रहते।

ऐसे में भोला ने दूसरे दोस्त बनाने चालू किए। लेकिन वह सारे के सारे भोला से दूर हो जाते। क्योंकि उसकी आदत अभी भी नहीं बदली थी। उसने दूसरों का मजाक उड़ाना बंद नहीं किया था।

अब भोला अकेला पड़ चुका था और उसके कोई दोस्त नहीं थे। ऐसे में भोला बहुत ही उदास रहने लगा था और वह हर वक्त दुखी रहता।

भोला की ऐसी हालत देखकर रवि और गोविंद ने फैसला किया कि उससे जाकर बात करते हैं और उसे अच्छे से समझाते हैं। रवि और गोविंद के समझाने पर भोला थोड़ी देर तक रोया और उनकी बात पर गौर किया। इसके बाद उसे एहसास हुआ कि भोला बहुत ही गलत था और उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। फिर उस दिन के बाद से भोला ने कभी भी किसी का मजाक नहीं उड़ाया और वह सबसे अच्छे से बात करना चालू कर दिया। अब गोविंद, रवि और भोला बहुत अच्छे मित्र हैं और उनकी मित्रता सालों साल तक बनी रही।

Moral of the story – अच्छे दोस्त हमेशा बुरे समय में हमारी मदद जरूर करते हैं। और हमें हमेशा अपने दोस्त चुनकर ही बनाने चाहिए और इस बात की जानकारी हमें होने चाहिए कि कौन हमारा एक अच्छा दोस्त हो सकता है।

इस कहानी में हमने देखा कि गोविंदा और रवि ने अपनी मित्रता निभाई। भोला को उदास देखकर उन्होंने भोला का साथ दिया और उसे बड़े प्यार से समझाया। यही एक सच्चे मित्र की निशानी है। Short Story In Hindi With Moral.

गरीबी का बहाना Moral story of poverty excuse in Hindi

एक शहर में रोहन नाम का लड़का रहता था। रोहन दिन भर ही उदास रहता था और सोचता कि उसकी ही जिंदगी सबसे ज्यादा खराब है। उसे इस बात का दुख होता है कि उसके घर वाले गरीब है। वह हमेशा अपनी गरीबी को लेकर उदास रहता हूं और हमेशा गरीबी की बहाने बनाता था।

एक दिन रास्ते में चलते-चलते उसके सामने एक सन्यासी मिले सन्यासी ने उसे देखते हुए कहा, “बच्चे, तुम बहुत ही उदास लगते हो आखिर क्या वजह है कि तुम इतने उदास हो?”

रोहन ने फिर कहा, “मैं बहुत ही गरीब हूं मेरे घर वाले भी बहुत गरीब है और मुझे कुछ करने का मौका नहीं मिलता। अब आप ही बताइए कि एक गरीब आदमी कैसे खुश रह सकता है। जब उसकी इच्छाएं पूरी ना हो। उसे कुछ करने का और आगे बढ़ने का मौका ना मिले तो वह तो हमेशा उदास ही रहेगा ना।”

उस सन्यासी ने कहा, “तुम्हारी बात तो बिल्कुल सही है। लेकिन मैं तुम्हारी परेशानियों को दूर कर सकता हूं इसके लिए तुम्हें कल ठीक सुबह को सामने की मंदिर में आना होगा।”

रोहन इस बात पर सहमत हुआ और सन्यासी को कहा, “मैं कल अवश्य ही सुबह समय पर पहुंच जाऊंगा।”

अगले दिन सुबह होते ही रोहन तैयार होकर उस सन्यासी की बताई हुई जगह पर पहुंचा। तब उस सन्यासी ने रोहन से कहा, “चलो आओ आज हमें बहुत ही लंबा सफर तय करना है। हमें आज पैदल चलकर बहुत सी जगहों पर जाना है।”

सबसे पहले वह सन्यासी रोहन को एक अनाथ आश्रम में लेकर गए। उस अनाथ आश्रम में ले जाने के बाद उस सन्यासी ने रोहन से कहा, “देखो यह सारे बच्चे यहां पर बिना मां-बाप के रहते हैं। यहां इनका कोई भी नहीं है। बस यह लावारिस की तरह यहां हैं।”

वहाँ से निकलने के बाद सन्यासी रोहन को एक ऐसी बस्ती में लेकर गए जहां रोहन ने देखा कि कुछ ऐसे बच्चे थे जिन्हें ठीक से खाने नहीं मिलता। सन्यासी ने रोहन को बताया कि ये ऐसे बच्चे हैं जो तुमसे भी ज्यादा करीब है। इन बच्चों को तो कभी कभी खाना भी नसीब नहीं होता।

इसके बाद सन्यासी ने रोहन को तीन ऐसे लोगों से मिलाया जिनमें से एक लंगड़ा था, दूसरा आंख से अंधा था, और तीसरे के पास हाथ नहीं थी। लेकिन तीनो के तीनो अपनी जिंदगी में कुछ ना कुछ कर रहे थे।

यह सब दिखाने के बाद सन्यासी ने रोहन से पूछा, “क्या तुम अभी मानते हो कि तुम इस संसार में सबसे ज्यादा परेशान व्यक्ति हो?”

सन्यासी की सारी बातें रोहन समझ चुका था। रोहन जान चुका था कि वह बस मौका मिलने पर बहाने बनाता था। जबकि उसके पास यह सारी चीजें मौजूद है जिससे वह आगे बढ़ सकता है। और अपने जीवन को अच्छा और बेहतर बना सकता है।

इसके बाद रोहन ने सन्यासी से क्षमा मांगी और कहा कि अब से मैं कभी बहाने नहीं बनाऊँगा और मौका मिलने पर खुद को साबित जरूर करके दिखाऊंगा।

moral of the story – हमें बहाने ना बनाकर अवसर का फायदा उठाना चाहिए। हमें इस बात का शौक नहीं करना चाहिए कि हमारे पास क्या नहीं है। हमें ऊपर वाले ने बहुत सारी चीजें दिए हैं जिसका उपयोग करके हम खुद को आगे बढ़ा सकते हैं। Short Story In Hindi With Moral.

भगवान हमें हमेशा देखते रहते है Moral story of God always watching us in Hindi

एक समय की बात है एक छोटे से गाँव में रमेश नाम का एक छोटा लड़का रहता था। गर्मियों के मौसम में वह गाँव मे घूम रहा था। घूमते-घूमते उसने देखा की एक घर के अन्दर बड़ा सा आम का पेड़ है। उस आम के पेड़ पर बहूत सारें पके हुए आम लगे हुए थे। रमेश ने सोचा की वह पेड़ से चुपके से आम तोड़ेगा और उसे घर लेजाकर बड़े मजे से खाएग और अपने पिताजी को भी देगा।

रमेश ने ढ़ेर सारें आम तोड़े और उन्हें अपने कपड़े में बाँध लिया और घर की ओर चल पड़ा। घर जाकर उसने अपने पिताजी को सारें आम दिखाया और कहा, “देखिये पिताजी ढ़ेर सारें पके हुए आम।”

पिताजी ने रमेश की ओर देखा और फिर आम की ओर देखा और कहा, “यह आम तुम कहाँ से लेकर आए हो? तुम्हारे पास इतने पैसे कहा से आए?”

रमेश ने कहा, “पिताजी यह आम मैने खरीदे नहीं है। यह तो मैने दुसरे के पेड़ से तोड़े है।”

पिताजी ने कहा, “इसका मतलब तुमने चोरी की है?”

रमेश ने कहा, “जी नही पिताजी मुझे वहाँ किसी ने नहीं देखा तो यह चोरी कैसे?”

पिताजी ने कहा, “मेरे बच्चे यह चोरी है। और इस बात का हमेशा ध्यान रखना की जब हमें कोई नहीं देख रहा होता तब हमें ईश्वर देख रहे होते है। तुमने जो किया है वह गलत है।”

यह सुनकर रमेश ने पिताजी से माफी मांगी और कहा की वह ऐसी गलती दुबारा नहीं करेगा और उनके बताई हुई बातों का हमेशा ध्यान रखेगा।

कुछ सालों बाद रमेश के घर खाने की कमी हुई। रमेश के पिता की आमदनी नहीं हो रही थी। एक दिन पिताजी ने रमेश से कहा की तुम मेरे साथ चलो हमें खेत से कुछ धान काट कर लाना है। हम धान दुसरे की खेत से काटेंगे।

खेत के पास पहुचते ही पिताजी ने कहा, “रमेश तुम आस-पास नज़र रखना और अगर हमें कोई देखें तो मुझे बताना।”

थोड़ी देर बाद रमेश ने कहा, “पिताजी हमें कोई देख रहा है।”

पिताजी तुरंत उठकर आस-पास देखने लगे मगर उन्हें कोई दिखाई नहीं दिया। पिताजी ने रमेश से पुछा, “यहाँ आस-पास तो कोई भी नहीं है। तो हमें कौन देख रहा है?”

रमेश ने जवाब देतें हुए कहा, “पिताजी आपने ही तो कहा था की अगर हमें कोई ना देखे तो इसका मतलब हमें ईश्वर देख रहे है।”

यह सुनकर पिताजी की आँखे खुल गई ओर उन्होनें निर्णय किया की अब वह कोई भी गलत काम नहीं करेंगे। कुछ दिनो बाद पिताजी की आमदनी फिरसे अच्छी हो गई ओर वें फिर से खुशी से रहने लगे। Short Story In Hindi With Moral.

जानकारी और अनुभव का महत्व Moral story of the importance of information and experience in Hindi

रमेश और सुरेश दो अच्छे दोस्त थे। दोनों ने बचपन से लेकर एक साथ पढ़ाई की थी और उनका घर एक ही मोहल्ले में था। दोनों एक साथ घूमते फिरते और मजे करते। लेकिन अब वे बड़े हो गए। अब उन्हें काम की चिंता सताने लगी। वे सोचते कि अगर उन्हें कोई काम नहीं मिलेगा तो भविष्य में उनका क्या होगा? इसीलिए दोनों ने व्यापार करने का सोचा। व्यापार करने के लिए पैसों की जरूरत होती है। दोनों ने सोचा कि वे दोनों अपने माता पिता के पास जाएंगे और उनसे कुछ पैसे मांगेंगे। जिसकी मदद से वे व्यापार व्यापार शुरु कर सके।

रमेश अपने माता पिता के पास गया और उनसे कहा, “मुझे कोई व्यापार करना है। क्या आप मुझे कुछ पैसे दे सकते हैं जिससे कि मैं व्यापार कर सकूं?”

यह बात सुनकर रमेश के पिताजी ने उससे कहा, “तुम्हें व्यापार करना है यह अच्छी बात है। लेकिन तुम किस चीज का व्यापार करोगे?

“वह तो मैं नहीं जानता पिताजी कि मैं किस चीज का व्यापार करूंगा।” रमेश ने पिताजी से कहा।

पिताजी ने रमेश से कहा, “अच्छा तो पहले यह पता लगाओ कि तुम किस चीज का व्यापार करना चाहते हो। फिर तुम इस व्यापार के बारे में अच्छी खासी जानकारी लेकर आओगे।”

रमेश ने वैसा ही किया जैसा कि उसके पिताजी ने उससे कहा था। वह बाज़ार गया और उसने बाजार में देखा कि फलों का व्यापार बहुत ही अच्छा चल रहा है। तो उसने फलों के व्यापार के बारे में अच्छी खासी जानकारी जुटाई। जानकारी जुटाने के बाद वह अपने पिताजी के पास गया और उनसे कहा, “पिताजी मैंने फल के व्यापार को लेकर सारी जानकारी जुटाई है। मैं इसका व्यापार करना चाहता हूं।”

“अच्छा तुमने यह काम तो कर लिया लेकिन अब तुम्हें इस व्यापार का अनुभव लेना है। जाओ अगले 4 महीने तक किसी फल के व्यापारी के साथ काम करो और इसके बारे में अनुभव लेकर आओ।” रमेश पिता जी ने उससे कहा।

वहीं दूसरी तरफ सुरेश ने भी अपने माता पिता से कुछ पैसे मांगे ताकि वह व्यापार शुरू कर सके। लेकिन उसके माता पिता जी ने उससे कोई सवाल नहीं किया और उसे पैसे यूं ही दे दिए। रमेश ने लगभग ₹10000 अपने घरवालों से लिए और वह बाजार जा कर फलों का व्यापार करना शुरू कर दिया। उसने शुरू में ही ₹10000 के एक तरह के फल खरीदें और उन्हें बेचने के लिए बाजार ले गया। पहले दिन उसकी बिक्री थोड़ी अच्छी ही हुई लेकिन उसने पूरा फल नहीं बेचा था। इसके बाकी बचे हुए फल नहीं बिक रहे थे क्योंकि वह पुराने हो गए थे और ऐसा करते-करते उसके फल सड़कर बर्बाद हो गए। इसे सुरेश को बड़ी हानि हुई और अब उसके पास व्यापार को आगे चलाने के लिए भी पैसे नहीं थे।

वही रमेश 4 महीने तक एक फल व्यापारी के साथ काम किया और तरह-तरह के अनुभव जुटाने लगा। लगभग 4 महीने के बाद उसने व काम छोड़ा और अपने पिताजी के पास गया। उसके पिताजी ने उसे सिर्फ और सिर्फ ₹5000 दिए। रमेश ने उन पैसों से समझदारी के साथ चुन चुन कर अलग-अलग तरह के फल खरीदें और उसने वह फल अपने अनुभव के साथ एक दिन में ही बेच डाले। उसे अच्छा खासा लाभ हुआ। धीरे-धीरे वह अपने इस व्यापार को बढ़ाता गया और समय के साथ-साथ वह एक अच्छा बड़ा व्यापारी बन गया।

मोरल ऑफ द स्टोरी-हमें हमेशा कोई भी काम बिना जानकारी लिए नहीं करनी चाहिए। अनुभव के साथ किया गया काम सफल होता है। अच्छी जानकारी और अनुभव के साथ काम करने से हमें सही दिशा मिलती है।

एक आलसी गधा Moral story of a lazy donkey in Hindi

एक व्यापारी के पास एक गधा था। वह गधा बहुत ही ज्यादा आलसी था जो कामचोरी किया करता। अपने मालिक की फटकार के बाद वह काम करता एक। दिन उसके मालिक ने सोचा कि वह शहर जाकर नमक बेचकर आएगा। मालिक ने उसके पीठ पर नमक के दो बोरे डालें और फिर उसे लेकर शहर की ओर चल पड़ा। शहर जाने के रास्ते पर एक छोटा सा नदी पड़ता था जिसे पार करने के लिए कोई भी पुल नहीं था। इसीलिए उन्हें नदी से होकर गुजरना पड़ता। जब वे नदी से गुजर रहे थे तब गधे का पैर फिसला और वह नीचे गिर गया। तुरंत ही उसके मालिक ने उसे उठाया लेकिन नमक का बस्ता भीग चुका था। बस्ते में से कुछ नमक पानी में बह। जैसे ही गधा उठा तो उसकी पीठ का भार कम हो चुका था। यह जानकर गध बहुत ही ज्यादा खुश हो गया कि उसे अब कम वजन उठाना होगा। इसके बाद व्यापारी शहर गया और अपने नमक को बेच कर वापस आया।

अगले दिन भी उसे शहर जाना था और नमक बेचकर वापस आना था। अगले दिन उठकर उस व्यापारी ने फिर से गधे के ऊपर नमक के बोरे डालें और उसे लेकर शहर की ओर चल पड़ा। गधा जानता था कि उसे किस तरह से अपने पीठ पर रखे नमक का वजन कम करना है। जब वे नदी पार कर रहे थे फिर से गधे ने गिरने का नाटक किया।

वह फिर से पानी में गिरा और नमक का भार कम हो गया। गधे को ऐसा करता देख उसका मालिक समझ चुका था कि वह क्या कर रहा है? अगले दिन वह व्यापारी उसके पीठ पर रुई रखा। इस बार गध फिर से गिरने का नाटक किया लेकिन रुई ने पूरा पानी सोख लिया जिससे कि रुई वजन भारी हो गया था। इस बार गधे को भारी वजन उठाना पडा।

मोरल ऑफ द स्टोरी – इसिलिए हमे अपने काम को लेकर आलस नहीं करना चाहिए।

जान की रक्षा Moral story ‘life saving’ in Hindi

राजू नाम का एक छोटा बच्चा था। उसकी आदत थी कि वह चीजों को इकट्ठा करके रख दिया करता था। वह सिक्के इकट्ठे करता। तरह-तरह की चीजें इक्कठा करता और उससे अपने बक्से में रख देता था।

एक दिन उसने अपने घर में एक चूहे को देखा। वह चूहा दिन भर उस घर में आता जाता रहा और सबको परेशान करता।

अगले दिन उस चूहे ने राजू की एक पुस्तक को कुतर दिया। राजू अपनी पुस्तक को खराब होता देख बहुत ज्यादा गुस्सा हुआ। उसने सोच लिया था कि अब वह चूहे को पकड़ेगा और उसे कैद कर लेगा। उसने बाजार से एक पिंजड़ा लाया और उस पिंजरे के अंदर स्वादिष्ट फल को रख दिया। ऐसा करने के बाद वह पिजड़े को ले जाकर ऐसी जगह पर रखा जहां वह चूहा अधिकतर आया जाया करता था। ऐसा करने के बाद वह चुपचाप अपने बिस्तर पर जाकर सो गया।

अगले दिन उसने उठकर देखा की पिजड़े पर वह चूहा फंसा हुआ था। उसने उस चूहे को वहां से निकाला और एक कांच के बर्तन में डाल दिया। कांच के बर्तन को उसने पॉलिथीन से ढक दिया। उसने पॉलिथीन के ऊपर छोटा सा छेद कर दिया ताकि उस छेद से हवा अंदर जा सके और बाहर आ सके। ऐसा करने से वह चूहा सांस ले पाता।

इसके बाद राजू ने देखा कि वह चूहा बार-बार उस बर्तन से निकलने की कोशिश करने लगा। वह चूहा बार-बार कूदता और अपने मुह को छेद के पास ले जाता। वह चूहा ऐसा बार-बार करता रहा और राजू ने उसे गौर से देखा। कुछ समय बाद पॉलिथीन का छेद धीरे-धीरे बड़ा होने लगा और अंत में चूहे ने जोर से छलांग लगाया। उसका गर्दन उस छेद पर फस गया। चूहा अपने हाथ की मदद से उस छेद को बड़ा किया और जैसे तैसे पॉलिथीन को फाड़कर उस कांच के बरतन से बाहर निकल गया।

यह देखकर राजू सोचा कि चूहा कितना मेहनती है और अपनी जान को बचाने के लिए कितना संघर्ष करता है।

मोरल ऑफ द स्टोरी – जरूरत पड़ने पर हमें भी अपनी जान को बचाने के लिए जी तोड़ कोशिश करनी चाहिए। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बार-बार कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

हाथियों का झुंड Moral story of elephant’s herd in Hindi?

एक बड़े से जंगल के छोटे से हिस्से में बहुत सारे छोटे-छोटे जानवर, पंछी और चीटियां रहा करती थी। छोटे जानवर जमीन के अंदर बिल बनाकर रहा करते थे। पंछी पेड़ों के ऊपर घोसला बनाकर रहती थी और चीटियां अपने मिट्टी के महल बनाकर रहते थे। वह सब खुशी-खुशी वहां रहते थे।

लेकिन 1 दिन उनकी परेशानी बढ़ गई। दरअसल हुआ यूँ कि एक हाथी का झुंड जंगल के उस हिस्से से गुजरा। हाथी के झुंड के गुजरने की वजह से उस जगह में कंपन होने लगी और उस कंपन की वजह से चिड़ियों का घोंसला पेड़ों से गिर गया, चीटियों की मिट्टी का महल भी गिर गया और बिल में रहने वाले जानवर भी इस कंपन से परेशान हो गए। हाथी का झुंड रोज वहां से गुजरा करता और उन लोगों का घर बर्बाद हो जाता। ऐसे में सबने मिलकर निर्णय किया कि वे एक साथ जाएंगे और हाथियों से बात करेंगे।

सब हाथियों के पास गए और उन्हें वह सारी बात बताएं जिसकी वजह से उनको परेशानी हो रही थी। उन सबकी यह दुर्दशा देखकर हाथियों ने निर्णय लिया कि वह जंगल के उस हिस्से से आराम से गुजरेंगे और किसी को भी हानि नहीं पहुंचाएंगे।

अगले दिन हाथियों ने वैसा ही किया और किसी को भी नुकसान नहीं हुआ। अब हाथी उस जगह से आराम से गुजारा करते और खुशी-खुशी वहां से चले जाते।

एक दिन अचानक जंगल में शिकारी आए। शिकारियों ने हाथियों के ऊपर जाल फेंक और सब को पकड़ लिया। सारे हाथी जाल में फंस चुके थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करेंगे? डर के मारे सारे हाथियों ने एक साथ जोर जोर से चिल्लाया। वे सब से मदद माँगने लगे। पूरे जंगल में उनके चिल्लाने की आवाज गूंजने लगी। हाथियों की मदद की पुकार सुनकर वे सारे पंछी छोटे-छोटे जानवर और चीटियां उन्हें बचाने के लिए अपने घर से निकले।

पंछी और छोटे-छोटे जानवरों ने जाल को काटने का काम किया। चितियों ने उन शिकारियों पर हमला किया। चीटियां शिकारियों के शरीर पर चढ़ गए और उन्हें हर जगह काटने लगे। चीटियों के काटने की जलन से सारे शिकारी झटपट वहाँ से भागने लगे। और इस तरह से उन्होंने हाथियों की जान बचाई।

Moral of the story – अगर अब दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं तो बदले में वह भी हमारे साथ अच्छा व्यवहार करते हैं। अगर हम मुसीबत में भी पढ़े तो वह बिना सोचे समझे हमारी मदद को आगे आते हैं। इसीलिए हमें भी दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और उन्हें परेशान नहीं करना चाहिए। हमें दूसरों की मदद भी करनी चाहिए।

शेर और चूहे की कहानी – Moral story of a lion and a rat in Hindi

बहुत समय पहले जंगल का एक राजा खूंखार शेर हुआ करता था। वह हर दिन दोपहर को खाना खाकर आराम करता। एक दिन वह शिकार करने के बाद खाना खाया। खाना खाकर वह आराम करने लगा। जब वह आराम कर रहा था कि तभी एक चूहा उसके शरीर के ऊपर दौड़ने लगा और कूदने लगा।

उस चूहे के ऐसा करने से वह शेर परेशान हो रहा था। परेशान होकर उसने अचानक एक बड़ी सी दहाड़ लगाई और वह चूहा भाग गया। अगले दिन फिर से वह शेर खाना खा कर आराम कर रहा था कि तभी वह चूहा फिर से वापस आया और शेर को परेशान करने लगा। परेशान होकर शेर उस चूहे को अपने पंजे में पकड़ लिया और फिर उसे डराने लगा।

शेर अपना बड़ा सा मुंह खोला और चूहे को अपने मुंह के अंदर डालने ही वाला था कि चूहे ने उससे कहा, “मुझे माफ कर दीजिए राजा। मैं अब आपको तंग नहीं करूंगा। मुझे माफ कर दीजिए और हो सके तो मैं आपकी एक ना एक दिन जरुर मदद करूंगा।”

चूहे की ऐसी बात सुनकर शेर हसने लगा और बोला, “तुम इतने छोटे से चूहे हो। तुम मेरी क्या मदद करोगे?” यह कहकर शेर उस चूहे को छोड़ दिया क्योंकि शेर का पेट भरा हुआ था।

एक दिन वह शेर शिकार के लिए जंगल में घूमने लगा। जंगल में कुछ शिकारी शेर के लिए जाल बिछा कर रखे हुए थे। जैसे ही वह शेर जाल पर अपना पैर रखा वह शेर जाल में फस गया। जाल में फंसने के बाद शिकारी बहुत खुश हो गए और शेर को वहां से ले जाने के लिए पिंजरा लाने गए।

वही शेर जाल में फस कर जोर-जोर से चिल्लाने लगा और दहाड़ने लगा। शेर की दहाड़ पूरे जंगल में गूंज रही थी। जंगल के सारे जानवर शेर की दहाड़ और चिल्लाने की आवाज को सुन रहे थे। उस चूहे ने भी शेर को तकलीफ में देखा तो वह तुरंत दौड़कर गया और बोला, “आप चिंता मत करिए राजा। मैं आपकी मदद करूंगा।”

यह कहकर वह चूहा जाल को अपने दांतों से काटने लगा। कुतर-कुतर कर उसने पूरे जान को काट दिया और शेर वापस आजाद हो गया। उस वक्त शेर को समझ आ गया कि छोटा हो या बड़ा कब किसकी मदद पड़ जाए यह कोई नहीं कह सकता। इसके बाद शेर ने उस चूहे को शुक्रिया कहा। कुछ देर बाद वे शिकारी वापस पिंजरे के साथ आए थे लेकिन शेर को आजाद देखकर डर के मारे वहां से भाग गए।

ईमानदार लकड़हारे की कहानी Moral story of an honest woodcutter in Hindi?

एक गरीब लकड़हारा था जो जंगल में जाकर लकड़ियां काटता और उसे बेचकर पैसे कमाता। वह उन पैसों से अपना घर चलाता। उसके पास एक कुल्हाड़ी थी जिसकी मदद से वह पेड़ो को काटता।

एक दिन वह नदी के किनारे लगे हुए पेड़ पर चढ़ गया और उसकी टहनियों को काटने लगा। टहनियों को काटते-काटते अचानक से कुल्हाड़ी उसके हाथ से फिसलकर पास के नदी में जा गिरी। उस लकड़हारे के पास मात्र एक ही कुल्हाड़ी था जो नदी में गिर गया।

नदी का बहाव बहुत तेज था और वह नदी बहुत गहरी भी थी। इसीलिए वह लकड़हारा नदी में उतर कर कुल्हाड़ी को नहीं ला सकता था। यह सोचकर वह नदी के किनारे बैठ कर रोने लगा। उसे अब इस बात की चिंता सता रही थी कि वहां लकड़ी कैसे काटेगा और अपने घर को चलाने के लिए पैसे कहां से लाएगा?

जब वह रो रहा था तभी उसके सामने पानी के देवता प्रकट हुए और उससे पूछें, “क्या बात है मनुष्य। तुम क्यों रो रही हो?”

उस लकड़हारे ने रोते हुए कहा, “मेरे पास बस एक ही कुल्हाड़ी थी। वह कुल्हाड़ी नदी में गिर चुकी है। अब मैं लकड़िया कैसे काटूंगा और अपना घर कैसे चलाऊंगा? इसी बात की चिंता से मैं यहां बैठ कर रो रहा हूं।”

यह सब सुन लेने के बाद पानी के देवता ने उस लकड़हारे से कहा, “तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हारी कुल्हाड़ी अभी ला कर देता हूं।”

यह कहकर पानी के देवता नदी के नीचे गए और वहां से वापस आए। उनके हाथ में एक कुल्हाड़ी थी लेकिन वह कुल्हाड़ी सोने की थी। पानी के देवता ने उस लकड़हारे से कहा, “यह रही तुम्हारी कुल्हाड़ी। अब तुम इसे लेकर अपना काम कर सकते हो।”

उस लकड़हारे ने सोने की कुल्हाड़ी को देखा और पानी के देवता से बोला, “माफ करना यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।”

यह सुनने के बाद पानी के देवता फिर से नीचे गए और एक दूसरी कुल्हाड़ी लेकर आए। इस बार कुल्हाड़ी चांदी की थी। पानी के देवता ने उस लकड़हारे से कहा, “यह रही तुम्हारी कुल्हाड़ी इसे लो और अपना काम शुरु करो।”

उस चांदी की कुल्हाड़ी को देखकर लकड़हारे ने फिर से पानी के देवता से कहा, “मुझे माफ करना लेकिन यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। मेरी कुल्हाड़ी लोहे की बनी हुई थी जिसमें लकड़ी का हत्था था। यह कुल्हाड़ी तो चांदी की है।”

लकड़हारे की बात सुनकर पानी के देवता फिर से नीचे गए और इस बार लोहे की कुल्हाड़ी लेकर वापस आए। लकड़हारे ने कहा, “जी हां यह मेरी कुल्हाड़ी है। आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जो आपने यह मुझे लाकर दिया। मैं आपका आभारी हूं।”

वह लकड़हारा ईमानदार था। उस लकड़हारे की इमानदारी को देखकर पानी के देवता बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने लकड़हारे को सोने और चांदी से बना हुआ कुल्हाड़ी दिया। पानी के देवता ने उस लकड़हारे से कहां, “यह लो मैं तुम्हें यह दो अन्य कुल्हाड़ी उपहार में दे रहा हूं क्योंकि तुम बहुत ही ईमानदार हो।”

लकड़हारे ने अपनी और अन्य दो कुल्हाडीयों को लिया और अपने घर वापस चला गया। रास्ते में उसने गांव के सारे लोगों को वह बात बताई जो उसके साथ जंगल में घटी थी।

पास में एक लालची व्यक्ति था जो उस इमानदार लकड़हारे की बात को सुन रहा था। सोने और चांदी की कुल्हाड़ी के बारे में सुनकर वह भी जंगल की ओर चला गया। वह उसी पेड़ पर चढ़ गया जिस पर ईमानदार लकड़हारा चढ़ा था।

पेड़ के ऊपर चढ़कर वह व्यक्ति लकड़ी काटने का नाटक करने लगा और जानबूझकर कुल्हाड़ी को नदी में फेंक दिया। ऐसा करने के बाद वह नीचे उतरा और नदी के किनारे बैठकर रोने लगा। तभी उसके सामने फिर से पानी के देवता प्रकट हुए और उनके हाथ में सोने का कुल्हाड़ी था। पानी के देवता ने उससे पूछा, “क्या यह तुम्हारा कुल्हाड़ी है जिसके लिए तुम इतना रो रहे हो?”

“जी हां, यह मेरी ही कुल्हाड़ी है।” उस व्यक्ति ने लालच में आकर पानी के देवता से कहा।

पानी के देवता समझ चुके थे कि वह व्यक्ति एक लालची है और लालच में आकर बेईमानी कर रहा है। इसीलिए वह वहां से चले गए और उस व्यक्ति को खाली हाथ ही घर वापस लौटना पड़ा। अब उसके पास अपना कुल्हाड़ी भी नहीं था।

Moral of the story – हमें हमेशा दूसरों के प्रति ईमानदार होना चाहिए और लालच करने से हम वह भी चीज खो सकते हैं जो हमारे पास मौजूद है।

भेड़िया आया! भेड़िया आया! की कहानी Moral story of Wolf came! Wolf came! in Hindi

भेड़िया आया! भेड़िया आया! की कहानी। जंगल के पास एक गांव बसता था। जहां पर ज्यादातर लोग खेती किया करते और जानवर पाला करते। उनमें से ही एक था गडरिया जिसके पास बहुत सारी भेड़ थी। उसका बेटा उन भेड़ो को जंगल में लेजा कर घास चराया करता और सुरक्षित घर वापस लाता था। वह अपना काम बखूबी करता लेकिन वह बहुत ही शरारती था।

एक दिन जब वह जंगल में भेड़ चराने गया तब उसने जोर-जोर से चिल्लाया, “भेड़िया आया! भेड़िया आया! गांव वालों जल्दी आओ भेड़िया आया! भेड़िया आया!”

उस लड़के के चिल्लाने की आवाज सुनकर गांव के सारे लोग हाथ में डंडा लेकर जंगल की ओर दौड़ पड़े। जब वे उस लड़के के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि वहां कोई भेड़िया नहीं था। लड़का गांव वालों को देखकर जोर-जोर से हंसने लगा और बोला, “मैंने सबको बेवकूफ बना दिया बहुत मजा आया।”

उस लड़के की शैतानी देखकर गांव के सारे लोग उस पर गुस्सा हो गए और फिर वहां से वापस चले गए। कुछ दिनों बाद वह गडरिया का बेटा फिर से जंगल गया अपने भेड़ो को चराने के लिए। वह वहां जाकर फिर से चिल्लाने लगा, “भेड़िया आया! भेड़िया आया!”

उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर गांव के सारे लोग दौड़कर उसके पास आए लेकिन इस बार भी वह मजाक कर रहा था। ऐसे में सारें लोग फिर से वापस चले गए।

एक दिन जब वह भेड़ चराने जंगल की ओर गया तो वहां सचमुच का भेड़िया आ गया। भेड़िये को देखकर वह लड़का डर गया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा, “भेड़िया आया! भेड़िया आया! गांव वालों जल्दी आओ यहां भेड़िया आया है!”

लेकिन उसकी बात सुनकर सभी गांववालों ने जंगल ना जाने का निर्णय किया क्योंकि वह सोच रहे थे कि वह लड़का फिर से मजाक कर रहा है। उस भेड़िए ने लड़के के बहुत सारे भेड़ो को मार गिराया और कुछ को अपने मुह में दबाकर ले गया।

Moral of the story- इसीलिए कहते हैं कि मजाक में भी झूठ नहीं कहना चाहिए नहीं तो सही समय आने पर आप अगर सच भी बोलेंगे तो आपकी बातों का कोई भी विश्वास नहीं करेगा। भेड़िया आया! भेड़िया आया! की कहानी

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52 thoughts on “30 Short Story In Hindi With Moral With PDF – Bacchon ki Kahaniyan

  1. बहुत ही अच्छी कहानिया साझा की है। इन कहानियों को पढ़ कर बहुत अच्छा लगा।

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